गाय की मदद से हो सकेगा एचआईवी का इलाज, अमेरिकी शोध में खुलासा

Mithilesh DharMithilesh Dhar   22 July 2017 4:59 PM GMT

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गाय की मदद से हो सकेगा एचआईवी का इलाज, अमेरिकी शोध में खुलासागाय की मदद से एचआईवी का इलाज संभव।

लखनऊ। गो-मूत्र और गाय के गोबर पर अब तक कई शोध हो चुके हैं। शोध में इन्हें बहुपयोगी बताया गया है। गाय के दूध को भी वैज्ञानिकों ने ज्यादा फायदेमंद बताया है। इसी बीच अमेरिका में एक ऐसा शोध हुआ जो सिद्ध करता है कि गाय हमारी सोच से कहीं ज्यादा उपयोगी है।

गाय से हमें पौष्टिक दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स तो मिलते ही हैं, लेकिन अब गाय की मदद से एचआईवी का टीका भी बनाया जा सकता है। अमेरिका के रिसर्चर्स का मानना है कि एचआईवी से निपटने के लिए वैक्सीन बनाने में गाय मददगार हो सकती है। उनका मानना है कि ये मवेशी लगातार ऐसे एंटीबॉडीज प्रोड्यूस करते हैं, जिनके जरिए एचआईवी का न सिर्फ इलाज किया जा सकता बल्कि उसे जड़ से खत्म भी कर सकता है। उनका मत है कि कॉप्लेक्स और बैक्टीरिया युक्त पाचन तंत्र की वजह से गायों में प्रतिरक्षा की क्षमता ज्यादा अच्छी और प्रभावशाली होती है। अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ने इस जानकारी को बहुत ही कारगार माना है।

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पहले चरण से ही हो सकेगा ईलाज

एचआईवी एक बहुत ही खतरनाक बीमारी है। ये अपनी स्थिति बहुत तेजी से बदलती है और इसके वायरस मरीज के प्रतिरक्षा सिस्टम पर हमला कर देते हैं। रिसर्च में ये बात सामने आयी है कि गाय की मदद से एक वैक्सीन मनायी जा सकती है जो मरीज के प्रतिरोधक सिस्टम को मजबूत करेगा और मरीज को एचआईवी के पहले स्टेज से ही बचाया जा सकेगा।

इंटरनेशनल एड्स वैक्सीन इनीशिएटिव और द स्क्रिप्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉ.डेविन सोक ने कहा कि जब हमने ये रिसर्च किया तो इसके रिजल्ट ने हमें चौंका दिया। जरूरी एंटीबॉडीज गायों में कई सप्ताह में बन जाते हैं, जबकि इंसानों में ऐसे एंटीबॉडी डेवलप होने में करीब तीन से पांच साल लग जाते हैं। हमें नहीं पता था कि एचआईवी के ईलाज में गाय का इतना बड़ा योगदान होगा।

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एचआईवी का असर 42 दिनों में 20% तक कम होगा

नेचर के जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट के हवाले से टाइम पर प्रकाशित खबर में बताया गया है कि गाय की एंटीबॉडीज से एचआईवी के असर को 42 दिनों में 20 फीसदी तक कम किया जा सकता है। स्टडी में पता चला है कि 381 दिनों में ये एंटीबॉडीज 96 फीसदी तक एचआईवी को बेअसर कर सकते हैं। एक और शोधकर्ता डॉक्टर डेनिस बर्टन ने कहा कि इस अध्ययन में मिली जानकारियां बेहतरीन हैं। उन्होंने कहा, "इंसानों की तुलना में जानवरों के एंटीबॉडीज ज्यादा यूनीक होते हैं और एचआईवी को खत्म करने की क्षमता रखते हैं।"

पिछले साल10 लाख लोगों ने गंवाई जान

संयुक्त राष्ट्र ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा कि साल 2016 में एड्स ने करीब 10 लाख लोगों की जान ली, यह 2005 में इस बीमारी से हुई मौत के आंकड़ों से लगभग आधा है जब इसका प्रकोप चरम पर था। रिपोर्ट में घोषणा की गई है कि इसका प्रभाव कम हो रहा है। पेरिस में एड्स विज्ञान सम्मेलन से पहले प्रकाशित इस आंकड़े के मुताबिक न सिर्फ एचआईवी संक्रमण के नये मामलों और इससे होने वाली मौतों का आंकड़ा नीचे आ रहा है बल्कि पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा लोग जीवन रक्षक उपचार ले रहे हैं।

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एड्से के चपेट में युवा सबसे ज्यादा

एचआईवी को लेकर एक चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया है कि विश्व में एचआईवी से पीड़ित होने वालों में सबसे अधिक संख्या किशोरों की है। यह संख्या 20 लाख से ऊपर है। यूनिसेफ की ताजा रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2000 से अब तक किशोरों के एड्स से पीड़ित होने के मामलों में तीन गुना इजाफा हुआ है जो कि अत्यंत चिन्ता का विषय है। ये चिन्ता तब और भी बढ़ जाती है जब ये जानने को मिलता है कि एड्स से पीड़ित दस लाख से अधिक किशोर सिर्फ छह देशों में रह रहे हैं और भारत उनमें एक है। शेष पाँच देश दक्षिण अफ्रीका, नाईजीरिया, केन्या, मोजांबिक और तंजानिया हैं।

भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर

पिछले साल मार्च में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने लोकसभा में जानकारी दी थी कि भारत में 21 लाख 70 हजार लोग एचआईवी संक्रमित हैं। एचआईवी संक्रमित लोगों की ये आबादी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी आबादी है। नड्डा द्वारा पेश किए गए आंकड़े के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका में 68 लाख और नाईजीरिया में 34 लाख लोग इसके शिकार हैं। इन दो देशों के बाद भारत का नंबर आता है।

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