आपके घर की एसी से बढ़ सकता है बिजली संकट 

पिछले कुछ सालों में शहरों के साथ ही गाँव में भी एयर कंडीशनर यानी एसी का चलन तेजी से बढ़ा है; हीट वेव और बढ़ते तापमान की वजह से इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे बिजली की खपत भी बेतहाशा बढ़ रही है, अगर ऐसा ही रहा तो बिजली संकट आ सकता है।

भारत में इस साल की शुरुआत से ही हीटवेव का प्रकोप शुरू हो गया है। तटीय महाराष्ट्र और गोवा के कुछ हिस्सों में फरवरी से ही लू जैसे हालात बन गए थे, जहां तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया था। इस समय देश के कई हिस्से भीषण गर्मी की चपेट में हैं, और आने वाले मई-जून में और भी तेज गर्मी की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग ने पहले ही चेतावनी दी है कि इस साल गर्मी असहनीय होगी।

इस स्थिति में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (UC) बर्कले के इंडिया एनर्जी एंड क्लाइमेट सेंटर (IECC) के एक अध्ययन में कहा गया है कि अगर भारत अपने एसी की ऊर्जा दक्षता को दोगुना कर ले, तो अगले दशक में गंभीर बिजली संकट को टाला जा सकता है और उपभोक्ताओं के 2.2 लाख करोड़ रुपये ($26 बिलियन) तक की बचत हो सकती है। 

एसी की बढ़ती मांग और बिजली संकट

इंडिया कैन एवर्ट पावर शॉर्टेजेज एंड कट कंज्यूमर बिल्स बाय रिक्वायरिंग मोर एफिशिएंट एयर कंडीशनर्स (India Can Avert Power Shortages and Cut Consumer Bills by Requiring More Efficient Air Conditioners) नाम से प्रकाशित इस अध्ययन में यह पाया गया है कि भारत में हर साल 1 से 1.5 करोड़ नए एसी बिक रहे हैं, और अगले 10 वर्षों में यह संख्या 13 से 15 करोड़ तक पहुंच सकती है। यदि नीतिगत स्तर पर तत्काल हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो 2030 तक एसी के कारण 120 गीगावाट (GW) और 2035 तक 180 GW तक की बिजली मांग हो सकती है, जो अनुमानित कुल बिजली खपत का 30% होगी।

अध्ययन के प्रमुख लेखक और UC बर्कले के फैकल्टी सदस्य डॉ. निकित अभ्यंकर ने कहा, “अगर एसी की बढ़ती संख्या को नियंत्रित नहीं किया गया, तो 2026 तक बिजली संकट और ब्लैकआउट का खतरा मंडरा सकता है। लेकिन स्मार्ट नीतियों से इस समस्या से निपटा जा सकता है।”

समाधान: ऊर्जा दक्ष एसी की अनिवार्यता

अध्ययन का सुझाव है कि भारत को अपने न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानक (MEPS) को 2027 तक अपडेट करना चाहिए, जिसमें 1-स्टार एसी की न्यूनतम दक्षता (ISEER 5.0) को वर्तमान 5-स्टार स्तर तक लाया जाए और हर तीन साल में मानकों को सख्त किया जाए।

इससे 2028 तक 10 GW, 2030 तक 23 GW, और 2035 तक 60 GW बिजली की बचत हो सकती है, जो 120 बड़े बिजली संयंत्रों के बराबर है। साथ ही उपभोक्ताओं के 66,000 करोड़ से 2.25 लाख करोड़ रुपये ($8–26 बिलियन) की बचत हो सकती है।

उपभोक्ताओं के लिए बड़ा लाभ

सह-लेखक डॉ. अमोल फडके के अनुसार, “अक्सर यह चिंता होती है कि अधिक दक्ष एसी महंगे होंगे, लेकिन हमारे शोध से पता चला है कि वैश्विक बाजारों में दक्षता ही कीमत बढ़ाने का मुख्य कारण नहीं है। सही नीतियों के साथ, ऊर्जा दक्षता और कम लागत एक साथ बढ़ सकती हैं।”

वर्तमान में भारत में 600 से अधिक मॉडल पहले से ही 5-स्टार दक्षता स्तर से बेहतर हैं, जिनमें से कई भारतीय कंपनियों द्वारा बनाए गए हैं। यह भारतीय निर्माताओं के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे वैश्विक ऊर्जा दक्षता में अग्रणी बनें।

भारत के ऊर्जा भविष्य के लिए निर्णायक समय

डॉ. निकित अभ्यंकर ने आगे कहा, “भारत के पास सीमित समय है यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी नए एसी अधिक ऊर्जा दक्ष हों। यदि सही कदम उठाए गए, तो भारत न केवल बिजली संकट से बच सकता है, बल्कि दुनिया को स्थायी और किफायती कूलिंग में नेतृत्व भी प्रदान कर सकता है।”

(लेखिका डॉ. सीमा जावेद जलवायु परिवर्तन और साफ़ ऊर्जा की कम्युनिकेशन विशेषज्ञ हैं)

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