CAG ने उठाए आकाश मिसाइल के निर्माण पर सवाल, कहा - 30 फीसदी परीक्षण रहे नाकाम

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CAG ने उठाए आकाश मिसाइल के निर्माण पर सवाल, कहा - 30 फीसदी परीक्षण रहे नाकामआकाश मिसाइल।

नई दिल्ली। देश में निर्मित जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल आकाश एक तिहाई बुनियादी परीक्षणों में फेल रहने से पीएम नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया मिशन को धक्का लगा है वहीँ नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (कैग) ने संसद को सौंपी एक रिपोर्ट में भारत में बनी स्वदेशी मिसाइल ‘आकाश’ की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठाए हैं।

कैग ने इस मिसाइल की शुरुआती जांच में ही 30% सैंपल फेल होने को लेकर सवाल खड़े किए हैं। कैग ने बताया कि किसी भी युद्ध जैसी स्थिति में आकाश मिसाइल की गुणवत्ता कम है। इसलिए इसका इस्तेमाल विश्वसनीय नहीं है और यही कारण है कि वर्ष 2013 से 2015 के बीच लगने वाली मिसाइलों को पूर्वी सीमा पर तैनात ही नहीं किया गया। खास बात यह है कि भारत और चीनी सेना के बीच डोकलाम में जिस जगह पर आमना-सामना हुआ है, वह सिलीगुड़ी कॉरिडोर से कुछ ही किमी. दूर है।

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बता दें कि ये स्वदेशी मिसाइल भारत के ‘चिकन नेक’ कहलाने वाले सिलिगुड़ी कॉरिडोर सहित चीन सीमा से सटे छह अहम बेस पर लगने थे। इन मिसाइलों का टेस्ट साल 2014 में अप्रैल से नवंबर के बीच किया गया था। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बेल) द्वारा बनाई गई, इन मिसाइलों की कुल लागत करीब 3900 करोड़ रुपये है, जिनमें से एयरफोर्स ने 3800 करोड़ रुपये का भुगतान भी कर दिया है। सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, बड़ा मसला यह है कि सेम्पल टेस्ट में 30% तक फेल होना इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करता है। जबकि इसको आधार बनाते हुए ही 95% भुगतान किया जा चुका है।

सीएजी के मुताबिक, कम से कम 70 मिसाइल का जीवन काल कम से कम 3 साल इस वजह से बेकार हो गए, क्योंकि उनके स्टोरेज के लिए कोई सुविधा उपलब्ध नहीं थी। प्रत्येक आकाश मिसाइल की लागत करोड़ों में होती है। इसी वजह से 150 अन्य मिसाइल का जीवन काल दो से तीन साल और 40 मिसाइल का जीवन काल एक या दो साल कम हो चुका है।

‘आकाश’ मिसाइल का जीवन काल ‘मैन्युफैक्चरिंग डेट’ से 10 साल तक होता है और उन्हें कुछ नियंत्रित दशाओं में संग्रह करना पड़ता है। गौरतलब है कि यूपीए सरकार ने साल 2010 में ही आकाश मिसाइल की सिलीगुड़ी कॉरिडोर में तैनाती को मंजूरी दे दी थी।

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आकाश मिसाइल

2003 में भारत ने जमीन से हवा में मार करने वाली आकाश मिसाइल का परीक्षण किया। 700 किलोग्राम के वजन वाली ये मिसाइल 55 किलोग्राम का लोड ले जा सकती है। इसकी गति 2.5 माक है। आकाश मिसाइल प्रणाली कई निशानों को एक साथ भेद सकती है और मानवरहित वाहन, युद्धक विमान और हेलीकॉप्टरों से दागी मिसाइलो को नष्ट कर सकती है। इस प्रणाली को भारतीय पेट्रीयट कहा जाता है। आकाश मिसाइल प्रणाली 2030 और उसके बाद तक भारतीय वायु सेना का अहम हिस्सा रहेगी।

क्या है खासियत

जमीन से आसमान में मार करने वाली आकाश मिसाइल देश की पहली ऐसी मिसाइल है जो भारत में ही बनी है। आकाश बेशक छोटी रेंज की सुपरसोनिक मिसाइल है लेकिन दुश्मन के ख़ात्मे का पूरा माद्दा रखती है। इसकी ताक़त ऐसी है कि ये 25 किमी तक आसमान से आते ख़तरे को पल भर में ख़त्म कर सकती है। फिर चाहे वो विमान हो, या हेलीकॉप्टर या फिर ड्रोन। आकाश मिसाइल भारत के पूरे आकाश की रखवाली है। आकाश मिसाइल की सबसे बड़ी ख़ासियत ये है कि ये एक साथ अलग-अलग दिशा से आते कई दुश्मनों को नेस्तोनाबूद कर सकती है। आकाश में लगा महज़ एक रडार आसमान में छिपे 64 दुश्मनों को खोज सकता है। आकाश मिसाइल किसी भी तरह के मौसम में कारगर साबित होती है।

          

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