एलर्ट : चमगादड़ ही नहीं दूसरे जानवरों से भी फैल सकता है निपाह वायरस
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुुसार निपाह वायरस एक ऐसा वायरस है, जो अन्य जानवरों से भी इंसानों में फैल सकता है।
Deepanshu Mishra 24 May 2018 9:20 AM GMT
लखनऊ। केरल से शुरू हुए निपाह वायरस का आतंक बाद दूसरे राज्यों में भी एलर्ट जारी कर दिया गया है। चमगादड़ से फैलने वाला वायरस दूसरे जानवरों से भी इंसानों को संक्रमित कर सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक निपाह वायरस एक ऐसा वायरस है, जो अन्य जानवरों से भी इंसानों में फैल सकता है। यह जानवरों और इंसानों दोनों में गंभीर बीमारियों की वजह बन सकता है। इस वायरस का मुख्य स्रोत चमगादड़ है, जो फल खाते हैं। ऐसे चमगादड़ों को फ्लाइंग फोक्स के नाम से भी जाना जाता है।
केरल में निपाह वायरस से नौ लोगों की मौत के मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है। यह बीमारी लाइलाज है। संक्रमण के बाद बीमारी को बढ़ने से नहीं रोका गया तो 24 से 48 घंटे में मरीज कोमा में जा सकता है और उसकी मौत हो सकती है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पल्मोनरी एवं क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. वेदप्रकाश ने निपाह वायरस के बारे में जानकरी देते हुए बताया, "निपाह वायरस नया उभरता हुआ संक्रमण है। इस वायरस के जानवरों से भी फैलने की संभावना रहती है। निपाह वायरस होस्ट फ्रूट बैट होता है। यह वायरस चमगादड़ से सुअर और पालतू जानवर से मनुष्यों में बीमारी फैलने के बीच की कड़ी है।"
उन्होंने आगे बताया, "यह वायरस पहली बार निपाह ग्राम मलेशिया में साल 1998 में फैला था, जबकि भारत में पहली बार 2001 में सिलीगुड़ी वेस्ट बंगाल में फैला था। साल 2001 में ही ये बीमारी बांग्लादेश में पाम ट्री से बनी शराब के पीने से फैली थी। निपाह ग्राम पर ही इस वायरस को निपाह कहा जाने लगा था।"
पहली बार ये बीमारी चमगादड़ द्वारा खजूर को संक्रमित करने से हुई थी। यह बीमारी एक मरीज से दूसरे मरीज को भी फैल सकती है। निपाह वायरस एच1 एन1 की तरह से आपनी जींस की संरचना में बदलाव कर सकता है। इस बीमारी से 40-75 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।
बीमारी के लक्षण
- बीमारी के लक्षण इस वायरस का इक्वेशन पीरियड 5 से 14 दिन का है, इसलिए बीमारी के लक्षण मरीज से संपर्क में आने से 5 से 14 दिन बाद आते हैं।
- बुखार के लक्षण, सर्दी, जुखाम, बदन दर्द, सर दर्द, उल्टी आना, पेट दर्द, खांसी आना, अचानक सांस फूलना, तेज सांस लेना, चक्कर आना, झटके आना, बेहोशी आना और कोमा हो सकता है। कुछ लोगों में तो कोई लक्षण भी नहीं पाए जाते हैं। सामान्य वायरस बुखार के लक्षण 2 से 3 दिन के भीतर ही मरीज को कोमा हो सकता है।
- यह बीमारी घरेलू जानवरों और सूअरों में भी हो सकती है। यह बीमारी जानवरों द्वारा या बीमार मरीज के लाभ एवं मूत्र से फैलती है। इस बीमारी का कोई विशेष इलाज और टीका नहीं है। इस बीमारी में लक्षणों का ही इलाज एवं मरीज की देखभाल की जाती है।
फेफड़े पर वायरस का हमला
- इस वायरस के होने पर सबसे पहले यह वायरस सीधे फेफड़े पर और तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है। ज्यादातर मरीजों की मौत फेफड़े की कार्यक्षमता में प्रभाव डालने से होती है।
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- बीमारी से बचाव
- खाद्य पदार्थ चमगादड़ से संक्रमित ना हो
- खाद्य पदार्थ को चमगादड़ खा ना पाए एवं मल मूत्र विसर्जन न कर पाए
- वह फल ना खाएं जिसमें चमगादड़ की खाने की संभावना हो
- नारियल से बनने वाली चीजों को ना खाएं
- हाथ अच्छे से धोएं और बीमार मरीज से दूर रहें
- बीमार मरीज के बिस्तर, बर्तन, कपड़े, बाल्टी और मग को अलग रखें
- मरीज के रिश्तेदार मरीज के मृत शरीर को जिसकी निपाह वायरस से मृत्यु हो गई हो, गले मिलने से बचें।
- मृत शरीर के शरीर को नहलाते समय भी विशेष ध्यान रखें।
- पालतू जानवरों का भी ध्यान रखें जिससे कि उनमें बीमारी ना हो पाए
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