मंदसौर कांड की बरसी पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति मनाएगी किसान स्मृति दिवस

मंदसौर में किसानों पर पुलिस की गोलीबारी की पहली बरसी के दिन 6 जून को देशभर में मंदसौर शहीद किसान स्मृति दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा

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मंदसौर कांड की बरसी पर अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति मनाएगी किसान स्मृति दिवस

नई दिल्ली। मंदसौर कांड की बरसी को लेकर मध्य प्रदेश में सियासत तेज हो गई है। एक तरह जहां 1 जून से कुछ किसान संगठन गांव बंद का ऐलान कर चुके हैं वहीं राहुल गांधी के भी मंदसौर पहुंचने की अटकले हैं। इसी बीच मंदसौर कांड के बाद बनी किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 6 जून को पूरे देश में किसान स्मृति दिवस मनाने का ऐलान किया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने देश के किसानों को मूलभूत अधिकारों के लिए गोलबंद करने की मुहिम के तहत मंदसौर किसान आंदोलन पर पुलिस गोलीचालन की पहली बरसी के दिन 6 जून को देशभर में मंदसौर शहीद किसान स्मृति दिवस के तौर पर मनाने की घोषणा की है।

दिल्ली में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने इसका ऐलान किया है। शहीदों की स्मृति में भोपाल में 4 जून को मसाल जुलूस निकाला जाएगा, और 5 जून की शाम को मंदसौर के ग्राम बूढ़ा में आमसभा होगी तथा 6 जून को मल्हारगढ़ तहसील के चिल्लोद पिपलिया ग्राम में शहीद किसान कन्हैया लाल पाटीदार की मूर्ति के समक्ष दिनभर का सामूहिक उपवास एवं श्रद्धांजलि कार्यक्रम किया जाएगा, जिसमें अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सभी प्रमुख नेतागण भाग लेंगे।



अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के नेताओं ने दिल्ली में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि 6 किसानों की दिनदहाड़े हत्या करने वालों पर अब तक हत्या के मुकदमें दर्ज नहीं किए गए हैं। नेताओं ने कहा कि अब इस मुद्दे को लेकर 6 जून को देशभर में विरोध कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि मंदसौर में पुलिस गोली चलाने की प्रतिक्रिया स्वरूप ही पिछले वर्ष 16 जून को अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति का गठन हुआ था तथा सभी 193 संगठनों ने मिलकर किसानों की संपूर्ण कर्जा मुक्ति तथा लाभकारी मूल्य की गारंटी के मुद्दे को लेकर गत वर्ष 6 जून से ही मंदसौर (ग्राम बूढ़ा) किसान मुक्ति यात्रा शुरू की थी। नेताओं ने दावा किया कि उन्होंने तत्कालीन पुलिस दमन को रोकने में कामयाबी हासिल की थी तथा किसानों के मनोबल को बढ़ाया था।

समिति के संयोजक डा.वीएस सिंह ने कहा, "हम लोगों ने सोमवार को राष्ट्रपति से मिलकर किसानों के दो बिलों को पारित कराने के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की थी। अगर तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिसंबर 2003 को गन्ना किसानों के संकट तथा मंदरवा (बस्ती जिले में) 3 किसानों की मौत को लेकर दिसंबर 2003 में संसद का विशेष सत्र बुलाया जा सकता है तथा जीएसटी के लिए मध्य रात्रि में सत्र बुलाया जा सकता है, तब कृषि संकट से निपटने, किसानों की आत्महत्या पर अंकुश लगाने के लिए संसद का विशेष सत्र क्यों नहीं बुलाया जा सकता?"

उन्होंने उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति समिति द्वारा उठाये गये मुद्दों का समर्थन करेंगे। हम अपनी पूरी ताकत लगाकर दोनों बिलों को लेकर राष्ट्रव्यापी मुहिम छेड़ेंगे। जब ये बिल संसद में चर्चा के लिए लाए जाएंगे दोनों सदनों में 21 राजनैतिक दलों के द्वारा अवश्य समर्थन किया जाएगा।"

शीतकालीनसत्र के दौरान महाराष्ट्र से सांसद राजू शेट्टी और राज्यसभा में सांसद के.के. राजेशजी ने किसान संघर्ष समिति के द्वारा पास बिल संसद में पेश किए थे, इन बिलों के समर्थन में समिति के नेता दूसरे सांसदों को प्रेरित करेंगे।

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति में मौजूदा दौर में 193 किसान संगठन शामिल हैं। साथ समिति का दावा है कि 21 राजनैतिक दलों ने उनके द्वारा पास किए गए किसान हितैसी बिलों का समर्थन किया है। बीएम से ने कहा कि आजादी के आंदोलन के पहले युद्ध (सिपाहियों के विद्रोह) की बरसी के अवसर पर 10 मई 2018 को देशभर में लाखों किसानों के हस्ताक्षर के साथ लोकसभा अध्यक्ष तथा राज्यसभा के सभापति को जिलाधीशों के माध्यम से बिलों के साथ ज्ञापन पत्र सौंपे गए। अब यही कार्यक्रम सांसदों को दोनों बिल सौंप कर देशभर में किसानों द्वारा किया जाएगा।

किसान नेताओं ने स्टरलाइट, कॉपर, स्मेल्टर प्लांट (वेदांता) के कारखानों द्वारा फैलाये जा रहे अत्याधिक प्रदूषण का विरोध कर रहे नागरिकों पर तूतीकोरन में किए गए बर्बर पुलिस गोलीचालन में शहीद 13 आंदोलनकारियों के परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवजा देने तथा गोलीचालन के दोषियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज किए जाने की मांग की। किसान नेताओं ने मध्य प्रदेश में 7 दिन में 10 किसानों की आत्महत्या एवं गन्ने के भुगतान समय से न होने के कारण किसानों की हो रही मौतों के लिए सरकारों की किसान विरोधी नीतियों को जिम्मेदार बताया। प्रेसवार्ता को वी.एम. सिंह, राजू शेट्टी, हन्नान मौला, अतुल अंजान, प्रेम सिंह गहलावत, जगमोहन सिंह, योगेंद्र यादव, अविक साहा एवं डॉ सुनीलम ने संबोधित किया।

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