मध्य प्रदेश: गायें भी चर सकती हैं वोट की फसल
Manish Mishra 22 Nov 2018 10:00 AM GMT
फोटो, वीडियो- सुयश शादीजा
भिंड (मध्य प्रदेश)। बिजली, पानी और सड़क को तो चुनावी मुद्दा बनते सुना होगा लेकिन इस बार के मध्य प्रदेश में गाय भी वोट की फसल चरती दिख रही है।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले से मध्य प्रदेश की ओर घुसते ही मध्य प्रदेश का पहला जिला भिंड पड़ता है जो कभी दस्यु और डकैतों से परेशान थे, वो आज गायों और छुट्टा जानवरों परेशान हैं।
मध्य प्रदेश चुनावों को लेकर जारी 'गाँव कनेक्शन' की यात्रा जब भिंड जिले के गाँव प्रतापपुरा में पहुंची तो वहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जनसभा में आए किसानों की सबसे बड़ी समस्या अपनी फसलों को इन छुट्टा जानवरों से बचाने की दिखी।
"यहां छुट्टा मवेशी बहुत बड़ा मुद्दा है, ये किसानों की फसलें चर जाती हैं, इस तरह किसान का नुकसान है, और किसान का राजनेता का नुकसान माना जाता है, विधानसभा क्षेत्र अटेर के रहने वाले राजीव शर्मा ने कहा।
ये भी पढ़ें-भूखी-प्यासी छुट्टा गाएं वोट चबाएंगी, तुम देखते रहियो
उत्तर प्रदेश की सीमा रेखा से लगे मध्य प्रदेश के एक बहुत बड़े क्षेत्र में गोवंश किसानों की सबसे बड़ी समस्या है। उत्तर प्रदेश में अवैध बूचड़खानों पर रोक और देशभर में गोरक्षा के को लेकर उठे मुद्दे ने किसानों की सिरदर्दी और बढ़ा दी है।
"गोवंश से जनता बहुत परेशान है, इस वजह से भारतीय जनता पार्टी नुकसान उठा सकती है। लोग इन गोवंशों से परेशान होकर कहीं जा भी नहीं सकते। अगर कहीं चले गए तो ये मवेशी इनकी फसलों का नुकसान कर देती हैं," भिंड जिले के प्रतापपुरा के रहने वाले राज बहादुर सिंह कुशवाहा ने बताया।
"गोवंश यहां ज्यादा तादाद में होने से फसलों का नुकसान होता है, जिससे किसान परेशान है," राजीव शर्मा ने आगे बताया।
पिछली पशुगणना 2012 में की गई थी जिसके अनुसार मध्य प्रदेश में 1.97 करोड़ मवेशी (गाय और बैल) हैं, जो देश के किसी भी राज्य में सबसे ज्यादा हैं। प्रदेश में हर तीन इंसान पर एक गोवंश है। ये आवारा पशु राजमार्गों पर भटकते रहते हैं, खेतों में घूमते हुए चरते हैं और इस तरह गंभीर परेशानी का सबब बन गए हैं।
ये भी पढ़ें- छुट्टा जानवरों से परेशान हैं तो अपनाएं ये तकनीक, मामूली खर्च में मिलेगी जीवनभर के लिए सुविधा
मध्य प्रदेश के पड़ोसी राजस्थान में मवेशियों की आबादी कोई 1.3 करोड़ है जो देश में पांचवीं सबसे बड़ी आबादी है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नंदी गोशालाओं की स्थापना के लिए राज्य के बजट में 16 करोड़ रुपए के प्रावधान का ऐलान किया था।
देश में गोवंश को लेकर विवादों के कारण मध्य प्रदेश इससे संबंधित कारोबार पर भी असर पड़ा है। मध्य प्रदेश में प्रकाशित कई समाचारों पत्रों के अनुसार 2010-11 में राज्य में हुए 10 बड़े मेलों में 30,000 से ज्यादा मवेशी बेचे गए थे, जबकि 2016-17 में यह घटकर 3,000 पर आ गई।
(गांव कनेक्शन टीम इस रूट से होते हुए भिंड पहुंची।)
मध्य प्रदेश ने सितंबर 2017 में कामधेनु गो अभयारण्य का उद्घाटन किया था, जो 472 एकड़ से ज्यादा भूभाग में फैला है। यह सात साल में 32 करोड़ रुपए की लागत से बना और यह हिंदुस्तानी नस्लों पर शोध केंद्र के तौर पर भी काम करता है लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं है।
"गोवंश परेशान और भूखी प्यासी फिर रही हैं यहां। चारे और पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, मर रही हैं। उनके लिए गांव-गांव गोशाला बनवाई जाए ताकि किसान और गोवंश, दोनों का भला हो" साधु दशरथ गिरी रास्ता सुझाते हुए बालते हैं।
ये भी पढ़ें- सरकारी सुविधाओं के अभाव में बंद हो रहे मध्य प्रदेश के उद्योग धंधे
#elections #madhya pradesh #Madhya Pradesh Assembly elections 2018 #MP Assembly election 2018 #MP Vidhan Sabha Election #stray animal cattle #stray animal cattle Issue in MP election #election connection with gaonconnection
More Stories