गोरे अंग्रेज चले गए अब काले अंग्रेज हुकूमत कर रहे: अन्ना हजारे

Divendra SinghDivendra Singh   23 March 2018 6:08 PM GMT

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गोरे अंग्रेज चले गए अब काले अंग्रेज हुकूमत कर रहे: अन्ना हजारेमंच से लोगों को संबोधित करते अन्ना हजारे।

सात साल बाद एक बार फ़िर अन्ना आंदोलन राम लीला मैदान अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठे हैं, लेकिन इस बार मुद्दा भ्रष्टाचार नहीं, किसान हैं। देश भर से कई राज्यों के किसान एक दिन पहले से ही रामलीला मैदान में इकट्ठा होने लगे थे, कई किसानों को तो रास्ते में ही रोक दिया गया।

सत्याग्रह में कई राज्यों के लोग पहुंचे।

अपने सत्याग्रह को शुरू करते हुए अन्ना ने कहा, "अंग्रेज चले गए लेकिन कुछ नहीं बदला, गोरे चले गए तो अब काले आ गए। किसानों के लिए जान भी दे सकता हूँ। 80 साल की उम्र में मैं समाज और देश के लिए जान दे दूंगा तो कोई गम नहीं।" उन्होंने आगे कहा, "मुझे रोकने का पूरा प्रयास किया गया मंत्री मुझसे मिलने तक आये की आंदोलन रोक दो, उन्होंने कहा कि हम ये कर रहे हैं, लेकिन मैंने उनसे कहा कि मुझे तुम पर यकीन नहीं है।"

कर्नाटक के पूर्व लोकायुक्त व सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज एन संतोष हेगड़े भी आंदोलन का हिस्सा बनने रामलीला मैदान पहुंचे। रामलीला मैदान से पहले पहुंचे राजघाट इससे पहले आज सुबह अन्ना हजारे राजघाट पहुंचे जहां उन्होंने गांधी जी की समाधि पर श्रद्धा सुमन अर्पित किए और फिर वहीं बैठ गए। इस वक्त अन्ना हजारे राजघाट पर बैठ कर प्रार्थना की।

आंदोलन में पहुंचे लोग।

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अन्ना हजारे ने कहा कि यह आंदोलन राजनीतिक लोगों को दूर रखेगी। अगर कोई राजनीतिक दल इसमें शामिल भी होना चाहता है तो उसे भीड़ के साथ जगह मिलेगी। उसे मंच पर जगह नहीं दी जाएगी। अन्ना हजारे ने कहा है कि वह इस आंदोलन में शामिल होने वालों से शपथ पत्र ले रहे है की वह इस आंदोलन के बाद किसी राजनीति दल में नहीं जाएंगे। महाराष्ट्र के नासिक से आए किसान श्रीराम मोरे ने कहा, "हम तो पहले भी अन्ना के साथ थे अब भी हैं, जबतक अन्ना यहाँ पर रहेंगे हम उनका साथ देते रहेंगे।" इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब जैसे कई राज्यों के तीन हज़ार से भी ज्यादा किसान पहुंचे हैं।

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ये हैं अन्ना हजारे की मांगें

अन्ना हजारे ने कहा कि सरकार के नियंत्रण में जो भी आयोग है जैसे कृषि मूल्य आयोग, चुनाव आयोग, नीति आयोग या इस तरह के अन्य आयोगों से सरकार का नियंत्रण हटना चाहिए और उन्हें संवैधानिक दर्जा मिलना चाहिए। इसके अलावा ऐसे किसान जिसके घर में किसान को कोई आय नहीं है उसे 60 साल बाद 5000 हजार रुपए पेंशन दिलाने का सरकार प्रावधान करें।

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