'मोदी की मीडिया हमारी बातें नहीं दिखाती है', यह कहते हुए हमलावरों ने मुझे बहुत मारा
Ranvijay Singh 26 Dec 2019 11:55 AM GMT
''मैंने हमलावरों से बताया कि मेरा नाम खुर्शीद है और मैं जर्नलिस्ट हूं, इस पर वो मुझे और मारने लगे। वो यही कह रहे थे कि 'यह मोदी की मीडिया है, हमारी बातें नहीं दिखाती है' और बिना कुछ सुने बस मार रहे थे। मेरे सिर पर लोहे की रॉड और ईंट से मारा जा रहा था, वो करीब दो मिनट तक मारते रहे, अगर एक मिनट और मारते तो हमारी जान वहीं चली जाती।'' यह शब्द हैं उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले में ईटीवी भारत के लिए रिपोर्टिंग करने वाले खुर्शीद अहमद के।
खुर्शीद पर 20 दिसंबर को तब हमला हुआ जब मेरठ में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हिंसा के बाद एक आगजनी की घटना को वो रिपोर्ट कर रहे थे। यहां उन्हें भीड़ में शामिल कुछ हमलावरों ने पकड़ लिया और बुरी तरह मारा। इसकी वजह से उनके सिर में गंभीर चोट आई है। उनके सिर पर तीन बड़े घाव हैं। फिलहाल वो अपनी चोट से उबर रहे हैं। खुर्शीद ने 20 दिसंबर को उनके साथ जो घटना हुई उसकी पूरी जानकारी गांव कनेक्शन को दी है। पढ़िए खुर्शीद के साथ क्या हुआ था ...
खुर्शीद बताते हैं, ''20 दिसंबर की बात है। मेरठ में नमाज-ए-जुमा के बाद यह सुचनाएं आने लगीं कि कहीं पत्थराव हुआ, कहीं लाठीचार्ज हो गया। इसी कड़ी में एक जानकारी मिली कि हापुड़ रोड पर सिटी हॉस्पिटल के पास एक शख्स की मौत हो गई है तो मैं वहां चला गया। जैसे ही इस्लामाबाद पुलिस चौकी के पास पहुंचे तो गाड़ियां और पुलिस चौकी में आग लगी हुई थी।''
''मुझे लगा यहां से लोग जलाकर चले गए हैं। मैंने सोचा इसका विजुअल ले लिया जाए। जब तक विजुअल ले रहे थे तभी तीन से चार की संख्या में बलवाई आए और मुझे पकड़ लिया और मेरे सिर पर रॉड और ईंट से मारने लगे। मैंने उनसे कहा कि मैं खुर्शीद हूं ... जर्नलिस्ट हूं। इस पर जो उनको मीडिया को लेकर आक्रोश था वो मुझ पर उतारने लगे। वो इतना कह रहे थे कि 'यह मोदी की मीडिया है, हमारी बातें नहीं दिखाती है' और बिना कुछ सुने बस मार रहे थे। वो लगातार करीब 2 मिनट तक मारते रहे, अगर एक मिनट और मारते तो हमारी जान वहीं चली जाती। किसी तरीके से मैं खुद को छुड़ाकर भागा और मेरा दोस्त मुझे अस्पताल लेकर आया।'' - खुर्शीद अहमद
खुर्शीद ने इस हमले के बाद की भी कहानी बताई है। यह कहानी बताती है कि कैसे लोग पत्रकार पर हुए हमले को सही ठहरा रहे हैं। वहीं ऐसे मीडिया संस्थानों का क्या रवैया होता है वो भी पता चलता है। खुर्शीद बताते हैं, ''इस हमले के बाद जो मिलने आ रहे थे, खासतौर से मुस्लिम, वो इस बात पर ज्यादा जोर दे रहे थे कि मीडिया की गलती है इसलिए आपको मारा है। दूसरी बात यह सामने आई कि दो मीडिया संस्थान के लोगों ने मुझे संपर्क किया स्टोरी करने के लिए, लेकिन वो यह एंगल तलाश रहे थे कि पुलिस ने मारा है या नहीं। उनका कहना था कि अगर पुलिस ने मारा है तो हम आपसे स्टोरी शुरू करेंगे।''
''मैं कहता हूं कि पुलिस ने नहीं मारा है, लेकिन पत्रकारिता के पेशे पर हमला हुआ है। पब्लिक की जो ओपिनियन बन गई है, गोदी मीडिया, मोदी मीडिया, वो इस पेशे के लिए बहुत ही खतरनाक है, खासकर से जो लोग फील्ड में आते हैं। जिस तरीके से मैं देख रहा हूं कि अगर एक पत्रकार ईमानदार तरीके से काम करना चाह रहा है तो इस तरीके के ओपिनियन और चैलेंज आ रहे हैं।'' - खुर्शीद बताते हैं
खुर्शीद को शरीर में कई जगह चोट आई है। खासतौर से सिर पर गंभीर चोट आई है। वो बताते हैं कि उनके सिर पर तीन बड़ी चोट आई है, इसपर पांच-पांच टांके लगे हैं। इसके अलावा उनका फोन, सेल्फी स्टिक, माइक आईडी और हेलमेट भी हमलावर लेकर भाग गए। उन्हें इस मामले में एफआईआर दर्ज न करने की सलाह भी दी जा रही थी, हालांकि वो एफआईआर दर्ज करा चुके हैं।
नोट- खुर्शीद ने जिन मीडिया संस्थानों का जिक्र किया है उनसे संपर्क होने के बाद वर्जन के साथ उनका नाम लिखा जाएगा।
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