पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का दावा, 5 साल में 7 नहीं सिर्फ 4.5% बढ़ा देश का जीडीपी!

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पूर्व आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का दावा, 5 साल में 7 नहीं सिर्फ 4.5% बढ़ा देश का जीडीपी!

लखनऊ। देश में जीडीपी (GDP) के आकड़ों पर विवाद के बीच पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने दावा किया कि 2011-12 और 2016-17 के बीच देश के जीडीपी आंकड़े को काफी बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया है। उन्होंने कहा कि इस दौरान जीडीपी में 7 फीसदी नहीं बल्कि सिर्फ 4.5 फीसदी की बढ़त हुई है।

इंडियन एक्‍सप्रेस की खबर के अनुसार हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में प्रकाशित एक शोध पत्र में सुब्रमण्यन ने कहा कि कहा कि खासकर मैन्युफैक्चरिंग के लेखा-जोखा में काफी अंतर है। 2011 के पहले राष्ट्रीय खाते में जिस मैन्युफैक्चरिंग वैल्यू को जोड़ा जाता था, उसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP), मैन्युफैक्चरिंग निर्यात जैसे विनिर्माण घटकों से सख्ती से जोड़कर देखा जाता था लेकिन इसके बाद यह रिश्ता टूट गया है।

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गौरतलब है कि भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पिछले पांच साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई है। इस दौरान भारत अर्थिक मोर्च पर चीन से पिछड़ गया है। वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की आर्थिक वृद्धि दर धीमी पड़कर 5 साल के न्यूनतम स्तर 5.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। इससे पहले वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी संवृद्धि दर 6.8 फीसदी रही।

आंकड़ों के अनुसार जीडीपी विकास दर की रफ्तार को कम करने में कृषि, खनन और औद्योगिक उत्पादन में कमजोर प्रदर्शन की अहम भूमिका रही। जीडीपी ग्रोथ रेट में गिरावट की अहम वजह प्रमुख क्षेत्रों का खराब प्रदर्शन करना रहा है। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र में ग्रोथ रेट 5.0 फीसदी से गिरकर 2.9 फीसदी, खनन उद्योग 5.1 फीसदी से गिरकर 1.3 फीसदी, बिजली, गैस, पान सहित क्षेत्र 8.6 फीसदी से गिरकर 7.0 फीसदी, होटल, ट्रांसपोर्ट, संचार आदि क्षेत्र 7.8 फीसदी से गिरकर 6.5 फीसदी पर आ गया है। हालांकि मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर 5.9 फीसदी से बढ़कर 6.9 फीसदी हो गया है, जो थोड़ी राहत की खबर है।

   

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