असम: पशुपालकों को बर्बाद कर रहा अफ्रीकन स्वाइन फीवर, संक्रमण से अब तक हजारों सुअरों की हुई मौत
असम में पिछले कुछ महीने सुअर पालकों पर भारी पड़े हैं, अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से हजारों की संख्या में सुअरों की मौत हो गई है।
Divendra Singh 12 Oct 2020 10:57 AM GMT

एक तरफ जहां पूरा देश अभी भी कोरोना से निपटने में लगा है, वहीं असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से अब तक 18000 सुअरों की मौत हो गई है और जल्द ही संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 12000 से अधिक सुअरों को मार दिया जाएगा।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में हजारों परिवारों के कमाई का जरिया ही सुअर पालन है। ऐसे में इन परिवारों के सामने रोजगार का संकट आ गया है। असम के गोहपुर जिले की घागरा बस्ती में पोथार एग्रोवेट नाम से फार्म चलाने वाले राजिब बोरा के फार्म में अफ्रीकन स्वाइन फीवर फैलने से पहले 300 के करीब सुअर थे, लेकिन अब सिर्फ पांच बचे हैं।
राजिब बोरा गाँव को फोन पर बताते हैं, "हमारे यहां स्थिति बहुत खराब हो गई है, मेरा फार्म तो पूरी तरह से खत्म ही हो गया है। पहले छोटे बच्चे और वयस्क सुअरों को मिलाकर इनकी संख्या 300 थी, अब सिर्फ पांच बच्चे ही जिंदा बचे हैं। बाकी सारे इस बीमारी से मर गए हैं। पिछले कई महीनों से यही सुनने में आ रहा कि सरकार संक्रमित सुअरों को मार देगी, लेकिन अभी तक मारा नहीं गया। इस वजह से संक्रमण बढ़ता ही गया है।"
वो आगे कहते हैं, "सरकार कह रही है जिन सुअरों को मारा जाएगा, उसी का मुआवजा मिलेगा, लेकिन कैसे मिलेगा कुछ पता नहीं। पहले इतने जानवर बीमारी से मर गए उनका भी पता नहीं पैसा मिलेगा की नहीं मिलेगा। तीन साल पहले फार्म की शुरुआत की थी, लगभग तीस लाख का नुकसान हो गया है। अभी तो कुछ समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या करेंगे, अभी तो सब ज़ीरो हो गया और बचा ही नहीं।"
The next notable big attack was in #Gohpur. #RajibBorah lost over 200 animals in his commercial farm within a span of two weeks. Same symptoms of #ASF were seen in his farm as well. pic.twitter.com/zREsJBh05y
— NEPPFA (@NEPPFA3) September 25, 2020
पशुपालन विभाग असम के अनुसार अप्रैल में सबसे प्रदेश के शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण देखा गया। तभी से संक्रमित सुअरों को मारने की बात की जाने लगी, लेकिन पांच-छह महीने बीत जाने के बाद एक बार फिर दुर्गा पूजा के पहले सुअरों को मारने की बात की जा रही है।
डिब्रुगढ़ जिले के खोवांगघाट में पिथुबार फार्म चलाने वाले दिगांत सैकिया के यहां भी ऐसी ही स्थिति है। दिगांत सैकिया बताते हैं, "हमारा ब्रीडिंग फार्म है, पहले कोविड की वजह से बंद हुआ फिर अफ्रीकन स्वाइन फीवर की वजह से मार्केट बंद हो गया। हमारे यहां तो पांच-छह महीने में सुअरों की संख्या बढ़ गई, उएक तो किसी तरह से किसी तरह उनको खिलाया और चार-पांच महीने में तो सुअरों की मौत हो गई।"
वो आगे कहते हैं, "हमारे यहां 282 सुअर थे, जिनमें से दस सुअर बचे हैं, पता नहीं ये भी बचेंगे की नहीं। और हम खुद से मारेंगे नहीं किसी तरह उन्हें खिला रहे हैं। हमारा पचास लाख ज्यादा का नुकसान हुआ। जब मार्केट बंद हुआ तो हमने होम डिलीवरी शुरू कर दी, लेकिन फिर अफ्रीकन स्वाइन फीवर आ गया। ये तो हमारी कहानी है, हर किसी की अपनी कहानी है। हमने तो अप्रैल में बैंक से लोन भी लिया था, अभी बहुत स्थिति खराब है। बैंक से, कई दूसरे लोगों से पैसे लिए थे अब उसे कहां से चुकाएंगे।"
The next notable big attack was in #Gohpur. #RajibBorah lost over 200 animals in his commercial farm within a span of two weeks. Same symptoms of #ASF were seen in his farm as well. pic.twitter.com/zREsJBh05y
— NEPPFA (@NEPPFA3) September 25, 2020
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सुअरों दोनों को प्रभावित करती है। यह जीवित या मृत सुअर या फिर सुअर के मांस से फैल सकती है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है।
पशुपालन विभाग, असम के निदेशक अशोक कुमार बर्मन बताते हैं, "अब धीरे-धीरे संक्रमण की संख्या कम हो रही है। अभी 14 जिले इससे प्रभावित हैं। दुर्गा पूजा से पहले संक्रमित सुअरों को मार दिया जाएगा। उनकी मौत के बाद लोगों को मुआवजा भी दिया जाएगा। मुआवजा किसानों के बैंक एकाउंट में सीधे ट्रांसफर किया जाएगा। 12,000 सुअरों मारने के बाद लगभग 13.63 करोड़ का मुआवजा दिया जाएगा।"
संक्रमण से मरे सुअरों के मुआवजे के बारे में पूछे जाने पर अशोक बर्मन कहते हैं, "संक्रमण से 18000 के करीब सुअरों की मौत हो गई है, सरकार बीमारी से मरे सुअरों के मुआवजे की बात कर रही है, लेकिन अभी इसकी तैयारी ही चल रही है।
Assam CM orders to cull 12,000 pigs from areas infected by African swine fever, nearly 18,000 have already died due to the virus: official
— Press Trust of India (@PTI_News) September 23, 2020
पशुपालक सरकार के इस फैसले से खुश नहीं हैं। पूर्वोत्तर प्रगतिशील सुअर पालक किसान संघ (NorthEast Progressive Pig Farmers Association) के सचिव तिमिर बिजॉय श्रीकुमार कहते हैं, "नवंबर, 2029 में असम में सबसे पहले अफ्रीकन स्वाइन फीवर को देखा गया, लेकिन अप्रैल, 2020 को आधिकारिक रूप से इस बीमारी की पुष्टि की गई। अप्रैल-मई से ही संक्रमित सुअरों को मारने की बात की जा रही है, लेकिन अभी तक एक भी सुअर को मारा नहीं गया, ऐसे में संक्रमण बढ़ता गया और बहुत से फार्म खाली हो गए हैं। अभी सरकार कह रही है कि संक्रमण से अभी तक 18000 सुअरों की मौत हुई है, लेकिन अभी तक एक लाख से सुअरों की मौत इस बीमारी से हो गई है।"
वो आगे कहते हैं, "शुरू में हमने बहुत प्रयास किया, लेकिन जब किसी ने सुना ही नहीं तो हम इतने परेशान हो गए कि हमने इस पर बात करनी ही छोड़ दी, कि चलो अब खत्म करते हैं। दूसरे लोगों ने भी अब रिपोर्ट करना छोड़ दिया है।"
बीसवीं पशुगणना के अनुसार, देश में सुअरों की संख्या 91 लाख की लगभग है। असम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे कई राज्यों में हजारों परिवारों का खर्च सुअर पालन से ही चलता है। असम ने प्रभावित जिलों में सुअरों और सुअर के मांस की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी। इसके साथ ही सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सुअरों के आवागमन पर रोक लगाएं, ताकि अन्य इलाकों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
संक्रमण से हुए नुकसान के बारे में तिमिर बिजॉय कहते हैं, "हमारे यहां दो तरह से सुअर का पालन होता है, एक तो मांस के लिए। अगर एक सुअर का वजन सौ किलो के करीब है तो मार्केट रेट सोलह हजार के करीब होगा। दूसरा ब्रीडिंग के लिए सुअर पालन किया जाता है। इसमें मादा सुअर का रेट 300 रुपए प्रति किलो होती है। इसमें सालाना 30-40 हजार का खर्चा आ जाता है। लेकिन पिछले कुछ महीने से हम लोगों को झटका लगा है, आने वाले कुछ साल में भी इससे हम नहीं उबर पाएंगे।"
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार कई देशों में इस समय अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण बढ़ गया है। अभी यूरोप, अफ्रीका और एशिया के कई देशों जैसे बुल्गारिया, जर्मनी, हंगरी, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, यूक्रेन, कोरिया, लाओस, म्यामार, भारत, दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया में भी अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण बढ़ा है।
अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संक्रमण के शुरूआत तब हुई जब कोरोना की वजह से लॉकडाउन लगा था। दिगांत सैकिया कहते हैं, "अप्रैल-मई में सुअरों को मारना था, अभी जो 18 हजार सुअरों की मरने की बात आधिकारिक रुप से की जा रही है, वो ऐसे लोग हैं जिन्होंने सुअरों की मौत को रिपोर्ट किया, हमने भी रिपोर्ट किया था कि मुझे ये भी पता नहीं की मुआवजा मिलेगा की नहीं, लेकिन रिकॉर्ड तो हो, कल-परसों कभी भी अगर सरकार मुआवजे की बात करती है तो मिले तो। हमारा तो यही कहना है कि जो 18 हजार सुअरों की मौत हुई है, सरकार उसका तो मुआवजा दे, क्योंकि सरकार की लापरवाही से इतने ज्यादा सुअरों की मौत हुई है। अगर सरकार पहले ही संक्रमित सुअरों को मरवा देती, तो इतना संक्रमण ही क्यों बढ़ता। अगर ग्राउंड की बात की जाए तो जहां पर सरकार सुअरों के मारने की बात कर रही है, वहां पर सुअर बीमारी से पहले ही मर गईं हैं। रिपोर्ट में है कि 12 हजार सुअरों की मारा जाएगा, शायद वहां पर इन्हें एक हजार सुअर भी मिल जाए। हमें तो ये भी नहीं पता कि हमें मुआवजा कितना मिलेगा।"
पशु चिकित्सा विभाग, असम के उपनिदेशक निदेशक डॉ. प्रदीप गोगोई बताते हैं, "ये यहां के लिए नई बीमारी है और ये यहां पर पहले बार हुई है। एनआईएचएसएडी ने इस बीमारी को कंफर्म किया है। अभी तक इससे बचने के लिए कोई वैक्सीन या दवाई नहीं है तो इसलिए हम दूसरों सुअरों बचाने की कोशिश में हैं जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं। जिन गाँव में अभी संक्रमण हुआ है, वहां पर पशु चिकित्सा एक किमी के दायरे में दूसरे सुअरों की जांच की जा रही है।"
More Stories