असम: कोरोना के संक्रमण के बीच में सुअरों में फैला अफ्रीकन स्वाइन फीवर, अब तक 2500 से ज्यादा सुअरों की मौत
कोरोना के संक्रमण के बीच असम में अफ्रीकन स्वाइन फीवर से अब 2500 ज्यादा सुअरों की मौत हो गई है, पशुपालन विभाग के अनुसार भारत में ये बीमारी पहली बार देखी गई है, जिसका अभी इलाज भी नहीं है।
Divendra Singh 6 May 2020 2:20 AM GMT
एक ओर जहां पूरा देश अभी कोरोना से निपटने में लगा है, वहीं अब असम में सुअरों में एक नई बीमारी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी है। अफ्रीकन स्वाइन फीवर से असम में अब तक 2500 से ज्यादा सुअरों की मौत हो गई है।
असम के छह जिलों में अब तक तक क़रीब 306 गाँवों में 2,500 से अधिक सुअरों की अफ्रीकन स्वाइन फीवर से मौत हो चुकी है। उत्तरी लखीमपुर जिले के दो नंबर रंगाजान गाँव रहने वाले बिजॉय गेड़ी फोन पर बताते हैं, "हमारे यहां गाँवों में लोगों का रोजगार ही सुअर पालन है, कम ज्यादा संख्या में हर किसी के यहां लोग सुअर पालते हैं। हमारे गाँव में भी कई सुअर मर गए हैं, पहले उन्हें बुखार आया फिर चारा खाना छोड़ दिया, बाद में उनकी मौत हो गई। इसके बारे में पता करने कृषि विज्ञान केंद्र लखीमपुर गया तब पता चला कि ये कोई नई तरह की बीमारी है।"
पशुपालन विभाग असम के अनुसार प्रदेश के शिवसागर, धेमाजी, लखीमपुर, बिस्वनाथ चारली, डिब्रुगढ़ और जोरहट जिले में अफ्रीकन स्वाइन फीवर का संक्रमण देखा गया है। कृषि विज्ञान केंद्र, लखीमपुर के पशु विज्ञान विशेषज्ञ भाबेश डेका बताते हैं, "अभी ये बीमारी असम के कुछ जिले में फैली है, हमारे जिले में लगातार किसानों के फोन आ रहे हैं। वो इस बीमारी के बारे में पूछ रहे हैं। अभी कोरोना की वजह से लोग डरे हुए थे, अब अफ्रीकन स्वाइन फीवर ने और डर बढ़ा दिया है।"
राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशु रोग संस्थान (एनआईएचएसएडी) भोपाल ने इस बीमारी की पुष्टि की है कि यह अफ्रीकी स्वाइन फ्लू (एएसएफ) है।
उत्तरी लखीमपुर जिले के दो नंबर रंगाजान गाँव रहने वाले बिजॉय गेड़ी बताते हैं, "हमारे यहां सुअर पालन से बहुत से परिवारों का खर्च चलता है, गाँव में किसी को पैसे की जरूरत हुई तो सुअर बेच देते हैं। अगर ऐसे ही बीमारी बढ़ती रही तो बहुत नुकसान हो जाएगा। पहले से कोरोना की वजह से हम लोगों को काफी नुकसान हो रहा था, अब ये नई बीमारी आ गई है।"
A set of advisories issued by Veterinary and Animal Husbandry Department on #AfricanSwineFever that has affected piggery sector in #Assam and neighbouring states. #AnimalHusbandry @Dept_of_AHD @CMOfficeAssam pic.twitter.com/3V0uL5ji9B
— MyGov Assam (@mygovassam) May 4, 2020
इससे पहले असम के पशुपालन मंत्री अतुल बोरा ने रविवार को कहा था कि इसी साल फरवरी के अंत में अफ्रीकन स्वाइन फीवर बीमारी का पता चला था, लेकिन इस बीमारी की शुरुआत अरुणाचल प्रदेश की सीमा से सटे चीन के झीजांग प्रांत के एक गांव से बीते साल अप्रैल में हुई थी।
ढेमाजी जिले के ड्योढाही नंबर दो गाँव के रियान गोगोई जैसे कई पशुपालक डर गए हैं। रियान बताते हैं, "शुरू में तो लोगों को पता ही नहीं चला कि क्या बीमारी है, लोग कह रहे हैं कि ये जंगली सुअरों से पालतू सुअरों तक पहुंचा है, अभी तो छह जिलों में ही बीमारी फैली है, अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो पूरे प्रदेश में फैल जाएगी, तब बहुत नुकसान हो जाएगा।"
पशु चिकित्सा विभाग, असम के उपनिदेशक निदेशक डॉ. प्रदीप गोगोई बताते हैं, "ये यहां के लिए नई बीमारी है और ये यहां पर पहले बार हुई है। एनआईएचएसएडी ने इस बीमारी को कंफर्म किया है। अभी तक इससे बचने के लिए कोई वैक्सीन या दवाई नहीं है तो इसलिए हम दूसरों सुअरों बचाने की कोशिश में हैं जो अभी तक संक्रमित नहीं हुए हैं। जिन गाँव में अभी संक्रमण हुआ है, वहां पर पशु चिकित्सा एक किमी के दायरे में दूसरे सुअरों की जांच की जा रही है।"
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वो आगे कहते हैं, "क्योंकि अभी इसका कोई इलाज नहीं है तो दूसरों के इसके संक्रमण से बचाने के जरूरत है, इसलिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए। अभी उन्हीं उन्हीं सुअरों को मारा जाएगा जो संक्रमित पाए जाएंगे।"
पशुपालन मंत्री के अनुसार साल 2019 में राज्य की जनगणना के अनुसार, असम में सुअरों की आबादी 21 लाख थी, जो इस समय बढ़कर 30 लाख हो गई है।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में अफ्रीकन स्वाइन फ़्लू के बारे बात करते हुए कहा, "अफ्रीकन स्वाइन फीवर हमारे जीव-जतुंओं के सामने एक नई चुनौती खड़ी हो गई है। सुअरों को होने वाले अफ्रीकन स्वाइन फीवर के संदर्भ में विस्तृत जांच और अध्ययन करने के बाद भारत सरकार ने असम सरकार को दिशा-निर्देश भेजे हैं। हमारी सरकार इस दिशा में सावधानी बरतने के साथ ही इससे निपटने के लिए कई उपयोगी कदम उठा रही है। वन और पशुपालन विभाग को सभी जीव-जतुंओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के कहा गया है। पशु चिकित्सा विभाग के लोग सुअरों को बचाने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च के नेशनल पिग रिसर्च सेंटर के साथ एक व्यापक रोडमैप बनाने के काम में लगे है। ताकि सुअर पालन वाले उद्योग से जुड़े लोगों को इसके नुकसान से बचाया जा सकें।"
बीसवीं पशुगणना के अनुसार, देश में सुअरों की संख्या 91 लाख की लगभग है। असम, अरुणाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे कई राज्यों में हजारों परिवारों का खर्च सुअर पालन से ही चलता है। अगर ये वायरस दूसरे राज्यों तक पहुंचता है तो इन्हें बचाना मुश्किल हो जाएगा। इस बीच असम ने प्रभावित जिलों में सुअरों और सुअर के मांस की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगा दी है। इसके साथ ही सरकार ने पड़ोसी राज्यों से आग्रह किया है कि वे अपने यहां सुअरों के आवागमन पर रोक लगाएं, ताकि अन्य इलाकों में संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फीवर एक गंभीर वायरल बीमारी है जो घरेलू और जंगली सुअरों दोनों को प्रभावित करती है। यह जीवित या मृत सुअर या फिर सुअर के मांस से फैल सकती है। यह बीमारी जानवरों से इंसानों में नहीं फैलती है।
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