असम बाढ़: भारी बारिश से राहत नहीं, 'बोरदोईसिला' बना है तबाही का कारण
असम में प्री-मानसून की बारिश नई बात नहीं है, लेकिन जिस तरह से इसने पूर्वोत्तर राज्य में तबाही मचाई है, पहले यहां के लोगों ने ऐसा कभी नहीं देखा था। पढ़िए असम की एक बड़ी आबादी भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन के कारण हुई तबाही से कैसे जूझ रही है।
Puspanjalee Das Dutta 20 May 2022 11:49 AM GMT

असम के नगांव जिले में बाढ़ से सड़कें कट गईं हैं। फोटो: @UNICEFIndia/Twitter
बरपेटा, असम
'बोरदोईसिला' (Bordoisila) - जिसे असमिया प्री-मानसून हवाएं कहते हैं, जो कभी-कभार बारिश और गरज के साथ होती हैं। यह ऐतिहासिक रूप से वसंत के मौसम की शुरुआती गर्मी से राहत दिलाने के लिए जाना जाता है। लेकिन इस साल, 'बोरदोईसिला' ने इस पहाड़ी राज्य में तबाही ला दी है।
असम के धेमाजी जिले की रहने वाली 79 वर्षीय जॉयमाई दत्ता उत्तरपूर्वी राज्य में लगातार हो रही भारी बारिश, पुलों, रेलमार्गों को नष्ट करने और लगभग आधा मिलियन लोगों को विस्थापित करने से परेशान हैं, जोकि जो वर्तमान में अपने अस्तित्व के लिए राहत उपायों पर निर्भर है।
"बाढ़ ने पहले भी असम को प्रभावित किया है, लेकिन मैंने मानसून की शुरुआत में इससे पहले अपने जीवन में भारी बारिश कभी नहीं देखी है। जेठ या मध्य मई पारंपरिक रूप से गर्म दिनों के लिए जाना जाता है। इस दौरान, बोहाग (मध्य अप्रैल से मध्य मई) में जुताई के बाद धान के खेत तैयार हो जाएंगे, "79 वर्षीय जॉयमाई दत्ता जो वार्षिक कृषि चक्र के संबंध में महीनों की बात करती हैं, ने गाँव कनेक्शन को बताया।
"गर्मियों में जुताई के बाद सूखा खेत के खरपतवारों को खत्म कर देता है। और एक बार अहार महीना (मध्य जून) आता है और मानसून आता है, तो धान की रोपाई का समय आ जाता है। लेकिन वह सारी व्यवस्था अब समाप्त हो गई है। ये बाढ़ खेती पर असर डालेगा, इस बार बाढ़ बहुत जल्दी आ गई है, "बुजुर्ग ने कांपते हुए कहा।
79 साल की बुजुर्ग जो अपनी स्मृतियों में याद करती हैं, उसकी वैज्ञानिक व्याख्या भी है। जब गाँव कनेक्शन ने गुवाहाटी के बोरझार इलाके में भारत मौसम विज्ञान विभाग के स्थानीय कार्यालय में मौसम वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत सुनीत दास से संपर्क किया, तो उन्होंने भी कहा कि यह एक 'असामान्य रूप से भारी' बारिश है जो पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्रभावित कर रही है।
"ये भारी बारिश बंगाल की खाड़ी में अत्यधिक नमी कारण हुई है। क्योंकि असम और पड़ोसी राज्य ऊंची पहाड़ियों से घिरे हुए हैं, बंगाल की खाड़ी पर कोई भी मौसम संबंधी गड़बड़ी क्षेत्र को गंभीर रूप से प्रभावित करती है। यह बादल का मामला नहीं है। बल्कि यह प्री मानसून के दौरान केवल असामान्य रूप से भारी वर्षा है, "दास ने गाँव कनेक्शन को बताया।
Revenue & Disaster Management Minister Shri. Jogen Mohan visited flood-affected areas in Dima Hasao district today.#ASDMA #disastermanagement #flood #assamflood pic.twitter.com/oAFanUEB47
— Assam State Disaster Management Authority (@sdma_assam) May 16, 2022
मौसम वैज्ञानिक ने हालांकि ये भी बताया कि हालांकि अप्रैल-मई में इतनी भारी वर्षा कम ही होती है, फिर भी इसे 'विसंगति या मौसमी बदलाव' कहना जल्दबाजी होगी।
इस बीच, 19 मई तक, अनुमानित 600,000 लोग भीषण बाढ़ से प्रभावित हैं, जिसने असम के कुल 26 जिलों को जलमग्न कर दिया है और असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार, मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से लोगों को निकालने में भारतीय वायु सेना के जवान लगे हुए हैं। (Photo:Assam State Disaster Management Authority/Twitter)
आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि सबसे ज्यादा प्रभावित जिला नागांव है और उसके बाद काचर है जहां वर्तमान में 280,000 और 120,000 लोग प्रभावित हैं।
बाजाली, बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, बोंगाईगांव, चराईदेव, दरांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, दीमा हसाओ, गोलपारा, हैलाकांडी, कामरूप, कामरूप महानगर, कार्बी आंगलोंग पश्चिम, करीमगंज, कोकराझार, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नलबाड़ी, सोनितपुर, तामूलपुर और उदलगुरी बाढ़ से प्रभावित अन्य जिले हैं। साथ ही, कुल 46,160.43 हेक्टेयर कृषि क्षेत्र भी पानी में डूब गया है और 307,849 पशुधन प्रभावित हुए हैं।
परिवहन सुविधाएं जलमग्न, बाहरी दुनिया से कट गए क्षेत्र
वर्तमान में, ब्रह्मपुत्र नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और राज्य के अंतर्देशीय जल परिवहन विभाग ने पहले ही नौका सेवाओं को फिलहाल के लिए रोकने की चेतावनी जारी कर दी है।
पश्चिमी असम में, बराक नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है, जिससे पूरी बराक घाटी (जो असम के दक्षिणी हिस्सों का बड़ा हिस्सा है) राज्य के बाकी हिस्सों से 13 मई से शुरू हुई लगातार बारिश के कारण कट गई है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि बराक घाटी असम के माध्यम से त्रिपुरा, मिजोरम और मणिपुर राज्यों को शेष भारत से जोड़ती है। ये तीनों राज्य भी आवश्यक आपूर्ति में व्यवधान से जूझ रहे हैं।
भारी बारिश के कारण भीषण भूस्खलन हुआ है, जिसके कारण सड़कें जलमग्न हो गई हैं और रेलवे लाइनें और पुल विस्थापित हो गए हैं। वास्तव में, दीमा हसाओ जिले में न्यू हाफलोंग रेलवे स्टेशन कीचड़ में आधा दबा हुआ है, जिससे रेल की आवाजाही असंभव हो गई है। साथ ही, पूरी लुमडिंग-सिलचर रेलवे लाइन भारी भूस्खलन और कीचड़ के कारण ढह गई है।
मिनटों में पानी भर गया शहर
असम के विश्वनाथ जिले के गोहपुर में, शहर 20 मिनट के भीतर जलमग्न हो गया। तबाही का मंजर गोहपुर कस्बे के निवासी नबदीप सैकिया ने देखा।
"गोहपुर से होकर बहने वाली चतरंग नदी में एक नया पुल बनाया गया था जो जनता के लिए खुला था। हालांकि, पुराने पुल को अभी तक गिराया नहीं गया था। इसलिए, जब पानी का बहाव तेज हो गया और गोहपुर पहुंच गया, पुराना पुल जो नीचे था और पानी को रोक रहा था। लेकिन जैसे-जैसे पानी का बहाव तेज हुआ, इसने पुल को नष्ट कर दिया और 20 मिनट के भीतर, बुनियादी ढांचे का हर टुकड़ा पानी में डूब गया, "सैकिया ने गाँव कनेक्शन को बताया।
जलमग्न चायदुआर कॉलेज, गोहपुर। फोटो: नबदीप सैकिया
बाढ़ से प्रभावित लोगों ने आपदा का आरोप पहाड़ी प्रदेश में योजना की कमी व लापरवाह निर्माण को बताया।
"राजमार्ग निर्माण और पुरानी सड़कों के लिए लापरवाही, इंजीनियरिंग की गलतियां, और उचित जल निकासी व्यवस्था की अनुपस्थिति बिश्वनाथ जिले में विनाशकारी बाढ़ के कारण हैं। बाढ़ को रोकने के लिए बनाए गए आउटलेट आवश्यक स्तर से ऊपर बनाए गए हैं जो जलभराव का कारण बनते हैं। जब जल स्तर कम हो जाता है, "उन्होंने कहा।
गोहपुर से लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित, दीमा हसाओ जिले में विस्थापित निवासियों की भी ऐसी ही शिकायतें हैं।
𝐈𝐀𝐅 𝐂𝐡𝐨𝐩𝐩𝐞𝐫 | Relief and rescue operations are continuing in the flood-hit areas of Assam. @mygovindia @ndmaindia @diprassam @diprassam @IAF_MCC#ASDMA #DisasterManagement #flood #floodmanagement #assam #relief #food #IAF pic.twitter.com/j1L8dIrgsD
— Assam State Disaster Management Authority (@sdma_assam) May 20, 2022
"दीमा हसाओ जिले के मुओल्होई इलाके में 1,050 घर हैं। लेकिन हाल ही में हुई भारी बारिश के दौरान, हमने गंभीर भूस्खलन देखा, जिसमें 150 से अधिक घर दब गए। अब हम चर्चों और स्कूलों में रह रहे हैं और इस बात का कोई संकेत नहीं है कि हम वापस कब जा सकते हैं। बिजली की लाइनें नष्ट हो गई हैं, हमने कनेक्टिविटी खो दी है और मोबाइल नेटवर्क अस्थिर हैं। हालांकि हमारे पास साफ पानी तक पहुंच है, सूखे राशन एक समस्या होने जा रही है, "एक स्थानीय निवासी जॉर्ज एस खोजोल ने गांव कनेक्शन को बताया।
"ग्रामीण संगठन और जिला प्राधिकरण मदद कर रहे हैं लेकिन खराब कनेक्टिविटी के कारण, मदद सीमित है। हमारे पहाड़ी इलाकों में मानसून के दौरान भूस्खलन की संभावना होती है, लेकिन साल के इस समय के दौरान, यह इतना विनाशकारी कभी नहीं था। मुझे लगता है कि यह सबसे खराब में से एक है पिछले 50 वर्षों में हमारे क्षेत्रों में भूस्खलन हुआ है, "उन्होंने आगे बताया।
'वनों की कटाई, बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए पहाड़ियों को काटना भी एक वजह'
जब गाँव कनेक्शन ने एक जियोग्राफर से इस क्षेत्र में बाढ़ को बढ़ाने वाले कारकों को समझने के लिए संपर्क किया, तो पता चला कि वनों की कटाई जलप्रलय के प्रमुख कारणों में से एक है।
फोटो:: सूचना एवं जनसंपर्क निदेशालय, दीमा हसाओ
गुवाहाटी विश्वविद्यालय के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर अबनी कुमार भागबती ने कहा, "असम में बाढ़ के प्रमुख कारणों में से एक वनों की कटाई और पहाड़ियों की बेतरतीब कटाई है।"
भागबती ने कहा, "तेजी से वनों की कटाई के कारण, वर्षा अधिक तलछट ले जाती है और इसे नदी के तल और झीलों में जमा कर देती है। एक बार जब नदी के तल उथले हो जाते हैं, तो यह नदियों को जलमग्न कर देता है जिससे क्षेत्रों में बाढ़ आ जाती है।"
"ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों में पहाड़ियों को काटना, क्योंकि ब्रह्मपुत्र और बराक नदियों की अधिकांश सहायक नदियाँ और उप-सहायक नदियां आसपास की पहाड़ियों में उत्पन्न होती हैं, जलभराव के पीछे एक और कारण है। इसे रोकने के लिए, हमें पहाड़ियों और पेड़ों को काटने से रोकने की आवश्यकता है। नदियों के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्रों और दीर्घकालिक समाधान के लिए प्रमुख वनीकरण अभियान चला रहे हैं।"
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