AUDIO: गंगा के लिए अनशन करने वाले संत ने कहा- गंगा जी को बेचने में लगे हैं मोदी

Ranvijay SinghRanvijay Singh   23 April 2019 1:27 PM GMT

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लखनऊ। स्वच्छ एवं निर्मल गंगा के लिए लगभग 182 दिन से अनशनरत ब्रह्मचारी आत्‍मबोधानंद ने घोषणा की है कि वह 27 अप्रैल से जल भी त्‍याग देंगे। केरल के रहने वाले स्‍वामी आत्मबोधानंद हरिद्वार के मातृसदन में अनशनरत हैं। गांव कनेक्‍शन ने आत्‍मबोधानंद से फोन पर बात की है। उनका कहना है कि ''जो नरेंद्र मोदी खुद गंगा जी को मां कहते हैं, खुद को उनका बेटा बताते हैं, वो खुद गंगा जी को बेचने में लगे हैं।''

आत्‍मबोधानंद कहते हैं, ''आज 182 दिन हो गए हैं मेरी तपस्‍या को, इसे 24 अक्‍टूबर 2018 से शुरू कर दिया था। स्‍वामी सानंद (प्रोफेसर जीडी अग्रवाल) जी गंगा के लिए अनशन पर बैठे थे तो उनको भी लगा था कि यह सरकार उनकी मांग को नहीं सुनेगी, यह डिक्‍टेटरशिप सरकार है। उस समय उनको शंका हुई थी कि उनकी मौत के बाद इस आंदोलन को कौन आगे बढ़ाएगा। इसपर मातृ सदन ने उन्‍हें आश्‍वासन दिया था कि उनके बाद भी इस आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा और आज हमारे बीच सानंद जी नहीं है। मैं अनशन पर इसलिए बैठा हूं कि पहले मेरे गुरुदेव जी बैठने जा रहे थे अनशन पर, इसपर मैंने अनशन पर बैठने की बात कही और मुझे यह मौका मिला।''

ब्रह्मचारी आत्‍मबोधानंद

आत्‍मबोधानंद कहते हैं, ''मैं नए जनरेशन का हूं और स्‍वामी सानंद जी का बलिदान उन लोगों के लिए नहीं था, यह नई पीढ़ी के लिए था, हमारे लिए था कि नदी बची रहे, पर्यावरण बचा रहे। अब हमारी जिम्‍मेदारी है कि हम नए लोग इसे आगे बढ़ाएं। दूसरी बात यह है कि मैं दक्ष‍िण भारत से हूं तो जितना उत्‍तर भारत के लोगों में गंगा को लेकर आस्‍था है उतना ही दक्ष‍िण भारत के लोगों में भी है। मुझे सरकार को यही बताना है।''

आत्‍मबोधानंद कहते हैं, ''27 अप्रैल 2019 से मैं जल त्‍यागने की घोषणा कर चुका हूं। जो सरकार सानंद जी के वक्‍त में कुछ कुछ मांगों पर सहमत हुई थी उनको मारने के बाद भी उसका भी पालन नहीं किया। अगर कोई आदेश गंगा जी के हित में पारित है तो उसे कहीं लागू भी नहीं किया जा रहा, केवल कागजों में रहा जा रहा है।''

आत्‍मबोधानंद पीएम मोदी पर उनकी मांगों पर ध्‍यान ने देने का आरोप लगाते हुए कहते हैं, ''जो नरेंद्र मोदी खुद गंगा जी को मां कहते हैं, खुद को उनका बेटा बताते हैं, वो खुद गंगा जी को बेचने में लगे हैं। वो अकेले व्‍यक्‍ति हैं जो इन मांगों को टोले हुए हैं। वही व्‍यक्‍ति हैं जो कहते हैं कोई डैम बंद नहीं होगा पूंजीपति के लिए हम काम करते रहेंगे।''

आत्‍मबोधानंद कहते हैं, ''दूसरे व्‍यक्‍ति हैं प्रिंसिपल सेक्रेटरी नृपेंद्र मिश्रा जिनके ऑफिस में गांधी जी का फोटो टंगा हुआ है और उसके नीचे बैठ कर वो हमारे वार्ता करने वाले लोगों से ही गांधी जी के सिद्धांत के खिलाफ बात करने लगे। वो बताने लगे कि गांधी जी ने ऐसा किया, वैसा किया। ऐसे व्‍यक्‍ति जो सत्‍याग्रह को भी नहीं मानते हैं, उनको इतना भी समझ नहीं है कि यह देश आंदोलनों और बलिदान के चलते बेहतर हुआ है। ऐसे लोगों की वजह से मुझे समझ आया कि मुझे अपना अनशन और तेज करना चाहिए। मैं होपलेस होकर जल नहीं त्‍याग रहा, मैं अपने प्रोटेस्‍ट को और तेज कर रहा हूं। मैं कभी होपलेस नहीं हुआ। मुझे पता है कभी न कभी सरकार को गंगा जी के सामने झुकना ही पड़ेगा और इसके लिए अगर बलिदान देना जरूरी है तो देना ही पड़ेगा। अपना तो कर्तव्‍य है, एक साधु होने की वजह से, खुद को गंगा जी का पुत्र मानने के नाते मैं वही कर रहा हूं।''

आत्‍मबोधानंद कहते हैं, ''नितिन गडकरी जी, हरिद्वार के डीएम दीपक रावत, उत्‍तरखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत जो कि कैसे किसी से बात करते हैं वो भी नहीं जानते हैं। ऐसे व्‍यक्‍ति जब देखते हैं कि बात चल रही है तो सीधा फोन करके उस बात को अडंगा लगा देते हैं कि नहीं इस काम को अभी मत कीजिए बाद में कराइए। इतना डिक्‍टेटरशिप हो गया कि कहीं किसी को रिपोर्ट से मतलब नहीं है। न साइंटिफिक रिपोर्ट से मतलब है, न ग्राउंड रिपोर्ट से मतलब है। ऐसे स्‍थ‍िति में इसके अलावा मुझे कोई रास्‍ता नहीं दिख रहा।''

प्रोफेसर जीडी अग्रवाल

गौरतलब है कि पिछले साल गंगा की निर्मलता के लिए प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने भी अनशन किया था। 111 दिनों के अनशन के बाद प्रोफेसर जीडी अग्रवाल ने भी जल त्याग दिया था। हालत बिगड़ने पर उन्हें ऋषिकेश एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनकी मृत्यु हो गई थी। अब ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद भी उनकी राह पर निकल गए हैं।

  

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