Kumbh Mela 2019: आतंकी घटनाओं से निपटने का एटीएस का एक्शन प्लान

यूपी एटीएस ने कमांडो दस्ते की मदद से पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही मेले के लिए बने 40 थानों में स्थित क्विक रिएक्शन टीम को भी प्रशिक्षित किया है

Manish MishraManish Mishra   27 Dec 2018 5:38 AM GMT

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लखनऊ। दुनिया के सबसे बड़े धर्मिक मेले की पुख्ता सुरक्षा में एटीएस के कमांडो जल, ज़मीन और आकाश में हर वक्त मुस्तैद रहेंगे। इसकी पुख्ता तैयारी एटीएस न कर ली है।

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाले कुंभ मेले में 15 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। गंगा किनारे करीब 32 सौ एकड़ क्षेत्र में लगने वाले इस मेले की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की जानकारी देते हुए यूपी एटीएस (आतंक निरोधी दस्ता) प्रमुख आईटी असीम अरुण ने गाँव कनेक्शन को बताया, "हम दो तरह की तैयारियों पर जोर दे रहे हैं, पहला रोकथाम, दूसरा अगर कुछ हो जाता है तो उसकी प्रतिक्रिया।"

मेले में गड़बड़ी की आशंका के इनपुट मिलने पर यूपी एटीएस ने कई गिरफ्तारियां भी की हैं। "कुंभ के लिए एक इकाई पहले से ही बनाई है, जो कार्यरत है। हम पूरा काम कर रहे हैं कि कोई भी गलत निगाह न डाल पाए, पूर्व में कई गिरफ्तारियां भी की हैं। हम कितने भी गैंग अरेस्ट कर लें लेकिन हम 100 फीसदी संतुष्ट नहीं हो सकते कि सब को पकड़ लिया, घटना की संभावना हमेशा रहती है," आसीम अरुण ने बताया, "बम स्क्वायड और कमांडो दस्ते की स्पेशल ऑपरेशन टीम बनाई गई हैं, इसके साथ ही एक एनएसजी की टीम भी होगी।"

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यूपी एटीएस ने कमांडो दस्ते की मदद से पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था के साथ ही मेले के लिए बने 40 थानों में स्थित क्विक रिएक्शन टीम को भी प्रशिक्षित किया है, ताकि सामंजस्य की कमी किसी भी स्तर से न हो।

"हम मेले में ऐसे टीम को लगा रहे हैं कि हम रोकथाम भी कर पाएं और अगर कोई आवश्यकता पड़े तो पहुंच भी पाएं। इसके लिए हम टीमें ज़मीन पर, नाव पर और हेलीकॉप्टर पर भी रख रहे हैं।"

इसे समझाते हुए असीम अरुण ने कहा, "जो जमीन पर हैं उनके लिए गाड़ियां हैं, लेकिन हम लोगों ने मोटरसाइकिल का प्रबंध किया है और प्रशिक्षण करा रहे हैं। क्योंकि कुंभ मेला क्षेत्र इतना घना हो जाता है कि वहां पर चार पहिया वाहन नहीं जा सकते, लेकिन मोटरसाइकिल तेजी से निकल सकती हैं।"

जल मार्ग से मेले की सुरक्षा के बारे में एटीएस प्रमुख ने समझाया, "गंगा जी में नाव चलना मुश्किल हो जाता है, क्योंकि पीपे वाले पुल बन जाते हैं, लेकिन यमुना जी में चल सकते हैं, तो पीएसी से दो रबर राफ्ट ली हैं, और उसपे कमांडो दस्ते मुस्तैद रहेंगे। जल मार्ग से जहां भी आवश्यकता होगी कमांडो पहुंच सकेंगे," आगे कहा, "तीसरा यह प्रयास कर रहे हैं कि एयरफोर्स या बीएसफ के हेलीकॉप्टर मिल जाएं तो उन्हें एनएसजी और स्पाट टीम उपयोग कर सकती है। एटीएस कमांडो हेलीकॉप्टर से उतरने की ट्रेनिंग मानेसर स्थित एनएसजी (नेशनल सेक्यूरिटी गार्ड) कैंप में जाकर ले चुके हैं।"

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इस दौरान सिविल पुलिस और एटीएस के बीच सामंजस्य बेहतर रखने के लिए सिविल पुलिस को ट्रेनिंग भी दी गई है। असीम अरुण ने बताया, "हम दो तरह से प्रशिक्षण करा रहे हैं-एक तो जो सिविल पुलिस है उन्हें आतंकी घटनाओं को रोकने के लिए क्या करना चाहिए? किस चीज पर निगाह रखनी चाहिए? उन्हें एटीएस भी इनपुट दे रही है। दूसरा जो विशेष बल है, क्योंकि पिस्टल तो छोड़िए, मेले के दौरान लोग बिना डंडे के ड्यूटी करते हैं, उनकी भी ट्रेनिंग कराई जा रही है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर सभी सामंजस्य से काम कर सकें।"

देश-विदेश से आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं की सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशन, बस स्टेशनों पर 24 घंटे विशेष निगाह रखी जा रही है। उसके अलावा जो क्षेत्र बच जाते हैं वहां हमारी प्रतिक्रया इतनी तेज होगी कि तेजी से पहुंचा जा सके।

"पिछले कुंभ और इस कुंभ में यह अंतर है इधर स्पेशल ऑपरेशन टीम का गठन हुआ और एटीएस की काबिलियत बढ़ गई। जैसे-जैसे हमारी काबिलियत बढ़ी है हम अच्छा रेस्पांस कर रहे हैं," असीम अरुण ने बताया।

  

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