अयोध्या केस: मध्यस्थता पैनल हुआ फेल, अब 6 अगस्त से रोज होगी सुनवाई
गाँव कनेक्शन 2 Aug 2019 1:59 PM GMT
लखनऊ। अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद मामले में मध्यस्थता से कोई सहमति नहीं बन पाई है। मुख्य न्यायाधीश रंजन गगोई की अगुवाई वाली पांच जजों की बेंच ने फैसला देते हुए कहा अब 6 अगस्त से रोजाना कोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यह सुनवाई तब तक जारी रहेगी जब तक इस मसले का कोई हल नहीं निकल जाता है।
पैनल ने गुरुवार को बंद लिफाफे में अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंपी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 8 मार्च को इस मामले को बातचीत से सुलझाने के लिए मध्यस्थता पैनल बनाया था। इसमें पूर्व जस्टिस एफएम कलिफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर, सीनियर वकील श्रीराम पंचू शामिल थें। कोर्ट ने पैनल से 11 जुलाई को रिपोर्ट मांगी थी। 18 जुलाई को पैनल ने अपनी स्टैटस रिपोर्ट को कोर्ट को सौंपी थी। कोर्ट ने उस समय पैनल से एक अगस्त तक पूरी फाइनल रिपोर्ट देने का निर्देश दिया था। मध्यस्थता पैनल की फाइनल रिपोर्ट देखने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस नतीजे पर पहुंचा कि पैनल किसी स्थायी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया।
Supreme Court observes Ayodhya mediation panel has failed
— ANI Digital (@ani_digital) August 2, 2019
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कोर्ट ने पैनल को मामले को सुलझाने के लिए 15 अगस्त तक का समय दिया था। कोर्ट ने पैनल के सदस्यों को निर्देश दिया था आठ हफ्तों में मामले का हल निकालें। इसके अलावा कोर्ट ने कहा था मध्यस्थता के दौरान की बातचीत कैमरे पर रिकार्ड होनी जरूरी है।
इससे पहले एक याचिकाकर्ता ने रोज सुनवाई की अपील की थी । उसने अदालत से कहा था कि मध्यस्थता पैनल से कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिल रहा है। कोर्ट को जल्द इस मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू करनी चाहिए। उस दौरान कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता पैनल की स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद ही तय करेंगे कि अयोध्या मामले की सुनवाई रोजाना की जाए या नहीं। रोजाना सुनवाई को लेकर निर्मोही आखाड़ा के साथ विभिन्न आखाड़ा परिषदों ने भी समर्थन किया था।
2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या मसले पर फैसला दिया था। उस समय हाइकोर्ट के उस फैसले के खिलाफ 14 याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी। हाइकोर्ट ने अपने फैसले में कहा था अयोध्या का 2.77 एकड़ का क्षेत्र तीन हिस्सों में समान बांट दिया जाए। कोर्ट ने पहला हिस्सा सुन्नी वक्फ बोर्ड, दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा रामलला को देने का फैसला सुनाया था।
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