बदायूं गैंगरेप केस: 50 हजार का ईनामी मुख्य आरोपी महंत देर रात गिरफ्तार

बदायूं में 50 वर्ष की आंगनबाड़ी सहायिका से गैंगरेप और हत्या के मामले में तीनों आरोपी गिरफ्तार हो चुके हैं, आरोपियों पर NSA के तहत भी कार्रवाई होगी। वहीं विपक्ष ने महिला सुरक्षा को लेकर सवाल उठाए हैं।

Neetu SinghNeetu Singh   7 Jan 2021 7:20 PM GMT

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यूपी के बदायूं जिले में 3 जनवरी को 50 वर्ष की आंगनबाड़ी सहायिका की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी।बदायूं गैंगरेप केस में अब तक दो आरोपी गिरफ्तार, मुख्य आरोपी महंत पर 50 हजार का ईनाम घोषित। फोटो-अरेंजमेंट

बदायूं (उत्तर प्रदेश)। यूपी के बदायूं में 50 वर्ष की आंगनबाड़ी सहायिका से गैंगरेप और हत्या के मामले में मुख्य आरोपी महंत को बृहस्पतिवार की देर रात बदायुं पुलिस ने गिरफ्तार किया।यूपी सरकार ने मुख्य आरोपी के ऊपर 50 हजार रुपए का ईनाम घोषित किया गया था। मामले में दो आरोपी गिरफ्तार हो चुके थे जबकि 6 जनवरी को उघैती थाने के प्रभारी को संस्पेड कर दिया गया थ। मामले की जांच पुलिस के साथ स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) भी कर रही है। स्थानीय लोगों के मुताबिक महंत गांव के किसी घर में छिपा बैठा था उसे उस वक्त पकड़ा गया जब वो गांव से भागने की तैयारी में था।

बदायूं के जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने 6 जनवरी को जारी वीडियो में कहा था कि " प्राथमिक जांच में पाया गया है कि स्थानीय थाना पुलिस द्वारा शिकायत आने के बाद ढिलाई और लापरवाही बरती गई है। इसलिए थाना प्रभारी को तत्काल बर्खास्त कर लाइन हाजिर किया है। पीड़ित परिवार को मिलकर भरोसा दिया गया है कि प्रशासन उनके साथ है। आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी कार्रवाई करेंगे। मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में ले जाएंगे और कोशिश रहेगी दोषियों को तत्काल सजा हो।"

दिल्ली से करीब 250 किलोमीटर दूर उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के उघैती थाना क्षेत्र में 3 जनवरी (रविवार) को अपने मायके में मंदिर में पूजा करने गई आंगनबाड़ी सहायिका (50वर्ष) की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हुई है। मृतका के प्राइवेट पार्ट में रॉड जैसी कोई चीज डालने की बात सामने आई है। एक पैर भी टूटा हुआ था।

बदायूं के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ यशपाल सिंह ने गांव कनेक्शन को फोन पर बताया, "मृतका के हाथ, पैर और कूल्हे पर चोट के निशान हैं। एक पैर में फैक्चर है और प्राइवेट पार्ट में गहरी चोटों के निशान हैं। अधिक रक्तस्त्राव (ज्यादा खून बहने) की वजह से पीड़िता की मौत हुई है।"

मृतका के प्राइवेट पार्ट में रॉड जैसी कोई चीज डालने की बात सामने आई है इसमें कितनी सच्चाई है? ये पूछने पर सीएमओ ने कहा, "ये जांच का विषय है। मृतका के प्राइवेट पार्ट में गहरी चोटें और काफी खरोंचें आई हैं। जांच के लिए कुछ और सैम्पल भेजे गए हैं। रिपोर्ट आने के बाद कुछ और चीजें क्लीयर होंगी।"

रविवार (तीन जनवरी) की शाम करीब पांच छह बजे 50 वर्षीय आंगनवाड़ी सहायिका अपने मायके में एक मंदिर में पूजा करने गयीं थीं। मृतका के बेटे का आरोप है कि रात के 11-12 बजे के करीब मंदिर के महंत सत्यनारायण उनके चेला वेदराम, ड्राइवर जसपाल उनकी माँ को मृत अवस्था में घर छोड़कर चले गए।

परिजनों के मुताबिक पुलिस को तुरंत सूचना दे दी गई थी इसके बावजूद पुलिस सोमवार (4 जनवरी) दोपहर बाद पहुंची। यानि लगभग 18 घण्टे बाद शव का पंचनामा हो सका। वहीं शव का पोस्टमार्टम 5 जनवरी को हुआ।

मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट और परिजनों की शिकायत के आधार पर तीन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता के तहत बलात्कार (धारा 376 के तहत) और हत्या (धारा 302) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मामले के तूल पकड़ने के बाद 6 जनवरी को मृतका के गांव पहुंचे बरेली जोन के एडीजी अविनाश चन्द्र ने मीडिया से कहा, "मृतका के परिजनों से मुलाकात की है। केस से जुड़े कई बिंदुओं पर बात हुई है। इस केस के लिए 4 टीमें गठित की गई हैं। मंदिर के महंत पर 50,000 ईनाम की घोषणा की गई है।"

बदायूं वही जिला है जो साल 2014 में 2 नाबालिग चचेरी बहनों की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के बाद सुर्खियों में आया था। बदायूं जिला मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर उघैती थाना इलाका पिछले साल देशभर में सुर्खियां बने हाथरस जिले से करीब 150 किलोमीटर दूर है। हाथरस में एक दलित की युवती गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई थी।

हाथरस कांड से अपने हाथ जला चुकी यूपी सरकार ने बदायूं केस में उदासीनता और लापरवाही बरतने के मामले में स्थानीय थाना प्रभारी राघवेंद्र प्रताप सिंह को बर्खास्त कर दिया है और आरोपियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून ( रासुका-NSA) के तहत कार्रवाई की बात कही है।

लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मी को संस्पेड करना काफी नहीं है। ऐसे पुलिसकर्मियों पर 166 AC के तहत केस दर्ज करना चाहिए। क्योंकि जांच और पोस्टमॉर्टम में देरी से कई अहम साक्ष्य मिट जाते हैं, जिसके बाद पुलिस चार्जसीट तो फाइल करती है लेकिन कोर्ट में आरोपी को सजा दिलाने में मुश्किल आती है। रेनू मिश्रा, महिला मुद्दों की वकील और निदेशक आली

महिला मुद्दों पर निःशुल्क कानूनी सलाह देने करने वाली एसोसिएशन फॉर एडवोकेसी एंड लीगल इनिशिएटिव्स (आली) संस्था की कार्यकारी निदेशक एवं वकील रेनू मिश्रा ने पोस्टमार्टम में देरी पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि शारीरिक शोषण से जुड़े मामलों में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए। लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मी को सिर्फ संस्पेड करना काफी नहीं है। निर्भया केस के बाद बने कानून के तहत उक्त पुलिककर्मी पर 166AC के तहत कार्रवाई होनी चाहिए। क्योंकि रेप से जुड़े मामलों में पोस्टमार्टम अहम साक्ष्य होंते हैं। देरी करने पर कई बार साक्ष्य मिट जाते हैं। जिससे रिपोर्ट तो दर्ज हो जाती है लेकिन कोर्ट में सजा देने में समस्या आती है।'

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना को अत्यंत निदंनीय बताते हुए कहा कि अभियुक्तों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई की जाएगी। घटना के दोषियों को किसी कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा। आंगनवाड़ी सहायिका से दरिदंगी ऐसे समय में हुई है जब प्रदेश में महिलाओं,बेटियों और बच्चों की सुरक्षा, सम्मान एवं स्वावलम्बन के लिए 'मिशन शक्ति' अभियान चल रहा है।

17 अक्टूबर से शुरु हुए 180 दिन के इस विशेष अभियान में महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपाय अहम मुद्दा है

बदायूं केस को लेकर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल उठाए। ट्वीट स्क्रीनशॉट

कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और पूर्वी यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने बदायूं केस को लेकर यूपी सरकार पर हमला बोला है। प्रियंका गांधी ने ट्विटर पर लिखा, "हाथरस में सरकारी अमले ने शुरुआत में फरियादी की नहीं सुनी, सरकार ने अफसरों को बचाया और आवाज को दबाया। बदायूं में थानेदार ने फरियादी की नहीं सुनी, घटनास्थल का मुआयना तक नहीं किया। महिला सुरक्षा पर यूपी सरकार की नियत में खोट है।"

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्दी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी सरकार को घेरा है। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया है, "बदायूँ में एक महिला के साथ सामूहिक बलात्कार के बाद हैवानियत और दरिंदगी का जो वीभत्स रूप पोस्टमार्टम में सामने आया है वो दिल दहलाने वाला है। भाजपा सरकार अपराधियों को बचाने की कोशिश न करे और मृतका व उसके परिवार को पूर्ण न्याय मिले, भाजपा सरकार का कुशासन अपराधियों की ढाल न बने।"

जिलाधिकारी कुमार प्रशांत ने वीडियो में ये भी कहा है कि बलात्कार के मामलों में योजना के तहत पीड़ित परिवार को रानी लक्ष्मी बाई सम्मान कोष योजना के तहत 10 लाख तक के मुआवजा दिलवांएंगे। पीड़िता आंगनाबाड़ी सहायिका थी तो एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना के तहत जीवन बीमाके 70 हजार रुपए मिलेंगे और क्योंकि वो अपने घर की कमाने वाली सदस्य थीं तो राष्ट्रीय पारिवारिक योजना का भी लाभ दिलवाया जाएगा।


   

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