आखिर दुपहिया वाहन कंपनियों ने क्यों दी इतनी बड़ी छूट? अब आगे क्या होगा ?

Shefali SrivastavaShefali Srivastava   31 March 2017 7:56 PM GMT

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आखिर दुपहिया वाहन कंपनियों ने क्यों दी  इतनी बड़ी छूट? अब आगे क्या होगा ?उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में लोग छूट वाली बाइक न मिलने पर मायूस लौट गए।

लखनऊ। नई मोटर साइकिल और स्कूटर पर 10 से 20 हजार रुपये की छूट मिल रही है, ये ख़बर जैसे ही ग्राहकों तक पहुंची शोरुम पर लोगों की भीड़ टूट पड़ी थी, अकेले लखनऊ में हजारों नई गाड़ियां बिक गईं। लखीमपुर से लेकर झारखंड के जमेशदपुर तक में लोग पैसे लेकर शोरुप के बाहर खड़े रहे, कई जगह पुलिस तक बुलानी पड़ी। लेकिन आपको पता है कंपनियों को ये छूट क्यों देनी पड़ी।

गाड़ियों के शोरुम में भीड़ बृहस्पतिवार दोपहर से लगनी शुरु हो गई थी, जो शुक्रवार रात तक देखी गई। देश की सबसे बड़ी दुपहिया वाहन कंपनी हीरो हॉन्डा ने बाकायदा अख़बारों में विज्ञापन भी दिया। ग्रामीण इलाकों के लोग शहरों में जुगाड़ भिड़ाते नजर आए। गुरुवार से पूरे देश में ये हलचल रही कि बड़ी दुपहिया वाहन कंपनियां हीरो मोटो कार्प, एचएमएसआई, बजाज ऑटो व सुजुकी मोटरसाइकिल आखिर अपने बीएस-3 मॉडलों पर 22,000 तक की भारी छूट दे रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को दुपहिया वाहनों के इन मॉडलों की मैन्यूफैक्चरिंग पर एक अप्रैल से रोक लगाई है। इसी के साथ इसकी बिक्री और रजिस्ट्रेशन पर भी रोक लग जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के इस ऑर्डर से ऑटोमोबाइल सेक्टर को बड़ा झटका लगा है, इस फैसले से ऑटो कंपनियों की लगभग 8.2 लाख गाड़ियां बेकार हो जाएंगी।

झारखंड के जमशेदपुर में शोरुम के बाहर उमड़ी भीड़।

ये भी पढ़ें: कंपनियां दे रही दुपहिया वाहनों पर 22,000 रुपए तक की छूट, सिर्फ कुछ घंटों का है खेल

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि भारत में अरबों लोगों का स्वास्थ्य ऑटोमोबाइल उत्पादों के कमर्शियल इस्तेमाल से ज्यादा महत्वपूर्ण है। अब यहां दिलचस्प बात यह है कि आखिर बीएस-3 मॉडल है क्या चीज?

बीएस-3 और बीएस-4 भारत स्टेज एमिशन स्टैंडर्ड हैं। भारत सरकार द्वारा लागू किए गए इन एमिशन स्टैंडर्ड मानकों से यह तय होता है कि आपका वाहन कितना प्रदूषण फैलाता है। बीएस के जरिए ही भारत सरकार गाड़ियों के इंजन से निकलने वाले धुएं से होने वाले प्रदूषण को रेगुलेट करती है। बीएस मानक सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड तय करता है। देश में चलने वाली हर गाड़ियों के लिए बीएस का मानक जरूरी है।

बीएस -4 में ईंधन का वाष्पीकरण कम होगा

भारत ने यूरोपियन पॉल्यूशन नॉर्म्स को फॉलो करते हुए वर्ष 2000 में 'इंडिया 2000' स्टैंडर्ड अडॉप्ट किया था। यूरोप में इन पैमानों का नाम यूरो1, यूरो2 वगैरह होता है। भारत ने 2005 में पैमाने का नाम बदलते हुए इसको बीएस-2 कर दिया। 1 अप्रैल 2010 को इस पैमाने को बीएस 3 कर दिया गया।

बताया जा रहा है शुक्रवार शाम को करीब 2 हजार लोग लखीमपुर में नई गाड़ी लेने के लिए पैसा लिए खड़े थे लेकिन ,स्टॉक खत्म हो चुका था।

यूरोपियन देशों के लिहाज से देखा जाए तो भारत में प्रदूषण को लेकर अब भी कम सख्ती है। दरअसल, वहां यूरो 6 पहले से ही अस्तित्व में है जबकि भारत में अभी बीएस4 लागू होगा। बीएस- 4 एमिशन स्टैंडर्ड के तहत ईंधन का वाष्पीकरण कम किया गया। नये दुपहिया वाहनों को इसी के मानकों के अनुरूप बनाना होगा।

जितना ज्यादा नंबर उतना कम प्रदूषण

बीएस के साथ जो नंबर होता है उससे यह पता चलता है कि इंजन कितना प्रदूषण फैलाता है। यानी जितना ज्यादा नंबर उतना कम प्रदूषण। अभी तक देश में बीएस-3 इंजन वाले वाहन को इजाजत थी लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद अब उन पर रोक लग गई है। अब बीएस-4 या उससे अधिक मानक वाले वाहन ही प्रयोग किए जा सकते हैं।

       

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