कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बिना 'सुरक्षा कवच' लड़ रहे हैं 10 लाख बैंक कर्मचारी
देश के कई इलाकों में बैंक कर्मचारी भी कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। ऐसे में बैकों के जरिए लोगों की मदद में जुटे 10 लाख से ज्यादा बैंक कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इनके पास सुरक्षा के नाम पर सिर्फ सैनेटाइजर और मॉस्क है..
Arvind Shukla 30 April 2020 3:30 PM GMT
कोरोना से लड़ाई में डॉक्टर, पुलिस और प्रशासन के अधिकारी-कर्मचारी सबसे अगली पंक्ति में खड़े हैं, लेकिन कोरोना से लड़ाई में और भी लाखों लोग हैं जो इस मुश्किल वक्त में देश की सेवा कर रहे हैं। इन्हीं में शामिल हैं वे 10 लाख बैंक कर्मचारी जो बिना 'सुरक्षा कवच' के कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे हैं।
"निसंदेह हमारे डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मचारी, पुलिस विभाग के लोग इस वक्त सबसे ज्यादा खतरे में हैं। कई लोगों की मौत भी हुई है, लेकिन उनके पास बचने के संसाधन (पीपीई किट) भी होते हैं। बैंक कर्मचारी भी खतरे में हैं। रोज सैकड़ों लोग बैंक आते हैं, पता नहीं किसे बीमारी हो, हमारे पास बचाव के नाम बस सैनेटाइजर है। बाकी सब भगवान भरोसे।" ग्रामीण बैंक के एक अधिकारी ने नाम छापने की शर्त पर कहा।
यूपी की एक ग्रामीण बैंक में सहायक बैंक प्रबंधक अर्चना मिश्रा अपने घर से 60 किलोमीटर दूर सुबह 9.30 बजे जब अपनी बैंक पहुंची है तो सामने 300 के आसपास लोगों की भीड़ बैठी थी, जिसमें से गिनती के 10-15 लोगों ने मॉस्क लगाया था, पुरुषों ने गमछा मुंह पर बांध रखा था, तो महिलाओं ने साड़ी के पल्लू से मुंह ढंका था।
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सुरक्षा के सवाल पर वह सामने बैठी महिला-पुरुषों को दिखाते हुए कहती हैं, "हम लोग रोजाना करीब 300-350 लोगों के पैसे निकाल रहे हैं। बैंक के अंदर आने वाले हर व्यक्ति के हाथ साफ कराते हैं, लेकिन हमें विड्राल छूना ही पड़ता है। पासबुक छूते ही हैं, पैसों को भी हाथ लगाना ही होता है। ऐसे में कोई संक्रमित हुआ तो खतरा तो है ही, डर भी लगता है।"
एक बेटी की मां अर्चना आगे कहती हैं, "घर जाती हूं तो कोशिश करती हूं सब कुछ सैनेटाइज करूं। गर्म पानी से नहाती हूं। बावजूद इसके आधे घंटे तक बेटी को गोद नहीं लेती, डर लगा रहता है, लेकिन दूसरे दिन फिर बैंक आती हूं क्योंकि ये मुश्किल वक्त है, सबकी मदद करनी है। ये हमारी ड्यूटी भी है और मानवता भी।"
कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन से लोगों को आर्थिक तंगी से उबारने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिए गए एक लाख 70 हजार करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज का बड़ा हिस्सा लोगों के खातों में पहुंच चुका है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 500-500 रुपए 20 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के जनधन खातों में भेजे गए हैं। 800-800 रुपए तीन महीने तक उज्जवला योजना, बुजुर्ग और विधवा पेंशन भेजी जा रही हैं तो किसानों को भी 2000-2000 रुपए दिए गए हैं। इसके अलावा कई राज्य सरकारों ने भी कई मदों में लोगों को आर्थिक मदद भेजी है, जिसके बाद तीन अप्रैल के बाद ही बैकों (खासकर ग्रामीण इलाकों) के बाहर भीड़ लगी हुई है। सरकार इन खातों में तीन महीने तक पैसे भेजेगी।
सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पब्लिक सेक्टर (सरकारी, व्यवसायिक बैंकों) में करीब 10 लाख (मार्च 2018 तक) कर्मचारी हैं, जबकि चार लाख से ज्यादा कर्मचारी निजी बैंकों में कार्यरत हैं। लेकिन ज्यादातर सरकारी मदद पब्लिक सेक्टर की बैंकों के माध्यमों से जनता तक पहुंच रही है।
देश में कोरोना के बढ़ते मामलों और ग्रामीण इलाकों में कोरोना के कई पॉजिटिव केस पाए जाने के बाद बैंक कर्मचारी अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। बैंक कर्मचारियों का कहना है उन्हें बैंकिंग के काम के साथ सोशल डिस्टेसिंग का पालन करना है और सुरक्षा के लिए उनके पास सिर्फ मॉस्क और सैनेटजाइर ही है।
ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स महासंघ के राज्य सचिव (मध्य प्रदेश ) मदन जैन कहते हैं, "भीड़ तो हमने नोटबंदी के दौरान भी देखी थी, तब हमारे सामने अपने ही भाई-बंधुओं की भीड़ थी। जिनकी मदद के लिए हम और मेहनत कर रहे थे, लेकिन तब हमारे सामने कोरोना जैसा अदृश्य दुश्मन नहीं था। हमें किसी से खतरा नहीं था। अब डर लगता है। पता नहीं कौन ग्राहक संक्रमित हो। दिक्कत ये है कि हमारे पास डॉक्टर और दूसरे विभागों जैसी पीपीई किट नहीं है। और प्रशासन हमें ये उपलब्ध कराने में सक्षम नहीं हो पा रहा है।'
मदन जैन आगे कहते हैं, "केंद्र सरकार ने 20 करोड़ से ज्यादा महिलाओं के जनधन खातों में पैसे पहुंचे हैं। 5 करोड़ के करीब उज्जवला योजना धारक हैं। यूपी में 20 लाख श्रमिकों को पैसे जा रहे हैं जो मध्य प्रदेश में 8 लाख मजदूरों (पंजीकृत) के खातों में पैसे गए हैं। इस तरह पूरे देश की बात करें तो करीब 40 करोड़ लोगों के खातों में विभिन्न मदों में पैसे पहुंचे हैं। ये लोग लॉकडाउन के चलते पैसे निकालने भी पहुंच रहे हैं। इनमें बहुत सारे वो प्रवासी लोग भी हैं जो कहीं शहरों से लौटकर अपने घरों को आए हैं।'
कई बैंक कर्मचारियों ने सोशल मीडिया के माध्यम से अपनी आवाज भी उठाई है। बैंक कर्मचारी चाहते हैं उनका भी कोविड 19 के तहत डॉक्टरों और दूसरे विभागों के कर्मचारियों की तरह 50-50 लाख रुपए का बीमा कराया जाए।
मध्य प्रदेश के भोपाल में बैंक ऑफ इंडिया में शहरी क्षेत्र में स्थित शाखा के असिस्टेंट जनरल मैनेजर विनय कुमार अंजू अपने फेसबुक पर लिखते हैं, "पुलिस, सेना, डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी और दूध, अखबार आदि पहुंचाने वाले लोग सबकी निगाहों में आदर का भाव प्राप्त कर रहे हैं और यह अच्छा भी है और उचित भी है। इतने अभावों में भी ये लोग अपने जान की बाजी लगाकर काम कर रहे हैं तो इनकी तारीफ़ होनी ही चाहिए। लेकिन इस सारी कवायद में से बैंक कर्मी गायब हैं, किसी अखबार या टी वी चैनल पर उनके बारे में कोई जिक्र नहीं हो रहा है।"
सोशल मीडिया में बैंक कर्मचारी लगातार अपनी आवाज उठा रहे हैं, इंडिया टुडे वेबसाइट पर 3 अप्रैल को पोस्ट हुई ख़बर के मुताबिक स्टैट बैंक ऑफ इंडिया ने सोशल मीडिया पर बैक के खिलाफ पोस्ट लिखने पर चेतावनी भी जारी की थी।
बैंकों में ज्यादातर पैसा (खासकर जनधन 20.40 करोड़ महिला खाताधारक) ऐसे खातों में आया है, जिनमें खुलने के बाद (2015) के बाद पहली बार लेनदेन हुआ है। सरकार ने जो पैसा भेजा है वो कई बार में भेजा है। इसके साथ ही अलग-अलग मद का पैसा भी अलग-अलग तरीखों में खातों में पहुंचा है, जिसके चलते लोग बार-बार उन्हें निकालने भी पहुंच रहे हैं। बैंक में पैसे निकालने की प्रक्रिया में करीब 4 लोग शामिल होते हैं। जिसमें कैश काउंटर, विड्राल पास करना, हस्ताक्षर या अंगूठा मिलान आदि प्रक्रियाएं शामिल होती हैं।
यूपी की राजधानी लखनऊ जिले में आने वाली एक राष्ट्रीय बैंक के बाहर खड़े लोगों को पैसे निकालने के लिए दिने जाने वाले विड्राल फार्म बांटते हुए एक बैंक कर्मचारी ने कहा, "इस वक्त ज्यादातर जो लोग बैंक आ रहे हैं वो 500-1000 रुपए निकालते हैं। इनमें काफी लोग पढ़े लिखे नहीं है, विड्राल तक नहीं भर पाते, कोई दूसरा भरता है तब अंगूठा लगाते हैं, ऐसे मुश्किले तो आती ही हैं।"
बैंकों आने वाले लोगों की सुविधा के लिए कई जगह सामने टेंट लगवाएं हैं। बैठने का इंतजाम किया है, लेकिन सुबह उमड़ने वाली भीड़ को संभालना न सिर्फ उनके लिए मुश्किल हो जाता है बल्कि भीड़ को लेकर वो पुलिस के निशाने पर भी आ जाते हैं। मध्य प्रदेश के मुरैना में भीड़ के चलते पुलिस ने एक बैंक मैंनेजर को थप्पड़ मार दिया था, जिस पर काफी हंगामा हुआ। कई जगह बैंक कर्मचारी और लोगों के बीच बहस की भी खबरें आई हैं।
यूपी में आर्यावर्त बैंक फतेहपुर, बाराबंकी के वरिष्ठ प्रबंधक सुभाष चंद्रा कहते हैं, "बैंक में इतनी जगह नहीं होती तो बाहर लाइन लगवाते हैं। चूने से गोले बना रखे हैं। हमारे यहां पुलिस और प्रशासन का पूरा सहयोग है। ये ड्यूटी से ज्यादा मानवीय पल हैं तो सबकी मदद भी करनी है। लगे हैं हम लोग भी देश के लिए। अब कोरोना बीमारी ही ऐसी है कि डर तो हमेशा लगा ही रहता है।"
अपनी और ग्राहकों की सुरक्षा के सवाल पर मध्य प्रदेश में एसबीआई ऑफिसर एसोसिएशन के अध्यक्ष और एआईबीओसी के सचिव मदन जैन कहते हैं, "व्यवस्था के लिए बैंकों ने गार्ड लगाए हैं। बैंक कर्मचारी यहां तक कि कैंटीन ब्वॉय भी सैनेटाइजनेश और दूसरे काम में लगा रहता है। लोगों को जागरूक करते हैं। दूरी बनाकर रखें, किन भीड़ जो हैं वो हमारे कंट्रोल में वैसे नहीं है, हम पुलिस का भी दोष नहीं दे रहे है क्योंकि उन पर बहुत जिम्मेदारी है। लेकिन हम अपनी सुरक्षा से भी संतुष्ट नहीं। न हमारे पास संसाधन हैं और न ही हमारा कहीं जिक्र होता है।"
डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस सर्विस के ट्वीटर से मिली जानकारी के मुताबिक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 21 अप्रैल को बैंक कर्मचारियों की तारीफ करते हुए उन्हें न सिर्फ उन्हें कोरोना योद्धा कहा कि बल्कि बैंक कर्मचारियों के बीमित किए जाने और इस दौरान निधन होने पर मुआवजे की भी बात कही है।
Salute to all bankers providing services across India in this critical time. To ensure their safety, PSBs have provided health cover (incl of #Covid-19) to all employees and also lumpsum compensation in case of an unfortunate death due to #Corona. @FinMinIndia @PIB_India
— DFS (@DFS_India) April 20, 2020
"कोविड से लड़ाई में शामिल ज्यादातर लोगों का बीमा 50 लाख का हुआ है, कई बैंकों जगह बैंकों की तरफ से 20 लाख का बीमा हुआ है, तो कई जगह 8 लाख के बीमे की बात चल रही है। ये सब ठीक है, लेकिन महामारी के दौरान हम लोगों के सामने जो खतरा है, उसमें हम लोग सिर्फ भगवान के भरोसे हैं, हमने भी सोच लिया है अब जो होना होगा होगा।" एक राष्ट्रीय बैंक के ब्रांच मैनेजर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा।
खंडवा ज़िला MP के आदिवासी बहुल इलाके पटाजन में @BankofIndia_IN के BC ने 900 फ़ीट ऊंची पहाड़ी पर चढ़ दुर्गम क्षेत्र में लोगों को बैंकिंग सुविधा प्रदान की।BM, देवेश मिश्र व BC, मोहन पवार के इस कर्तव्य परायणता की DFS सराहना करता है। @PMOIndia @FinMinIndia @PIB_India pic.twitter.com/22t8pcGtck
— Debasish Panda (@DebasishPanda87) April 23, 2020
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