बाराबंकी गैंगरेप केस ग्राउंड रिपोर्ट : "मुख्य आरोपी हमारे परिवार का है, बिटिया की चिता जलाने में भी साथ खड़ा था, पता नहीं क्यों उसने ऐसा किया"?

ताख़ (अलमारी) में छोटे से लाल रंग के फ्रेम में रखे टूटे शीशे में कभी वो अपने बाल संवारती थी तो कभी खुद को निहारती थी, अब ये माँ इस ताख़ और शीशे को देख-देखकर रोए जा रहीं थीं। क्योंकि शीशा देखने वाली उनकी बेटी अब इस दुनिया से जा चुकी थी। पढ़िए बाराबंकी से ग्राउंड रिपोर्ट ...

Neetu SinghNeetu Singh   17 Oct 2020 4:39 PM GMT

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बाराबंकी गैंगरेप केस ग्राउंड रिपोर्ट : मुख्य आरोपी हमारे परिवार का है, बिटिया की चिता जलाने में भी साथ खड़ा था, पता नहीं क्यों उसने ऐसा किया?ताख़ पर रखे शीशे को देखकर मृतका की माँ रोए जा रहीं थीं.

नीतू सिंह और यश सचदेव की रिपोर्ट

सतरिख (बाराबंकी)। गाँव में एक अजीब किस्म का सन्नाटा पसरा था, नुक्कड़ पर पुलिस के कुछ सिपाही बैठे थे, सफेद रंग की कुछ गाड़ियां खड़ीं थीं, पतले खड़ंजे से होकर मृतका के घर राजनीतिक पार्टियों के लोग आ-जा रहे थे। हर आने-जाने वालों के सामने मृतका के बेबस पिता हाथ जोड़कर उम्मीद से देख रहे थे और एक ही बात कह रहे थे, "साहब! हमें न्याय चाहिए बस। दोषी को ही सजा मिले।"

जिस गाँव की एक नाबालिग दलित बच्ची की 14 अक्तूबर की शाम गैंगरेप के बाद हत्या हुई थी वह एक छोटा सा पुरवा है, जिसमें दलित परिवार के ही 12 घर हैं। बाराबंकी के जिलाधिकारी डॉक्टर आदर्श सिंह और प्रभारी पुलिस अधीक्षक आरएस गौतम ने 17 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस करके बताया, "पुलिस की जांच में इस केस में दो आरोपी दिनेश गौतम और ऋषिकेश सिंह उर्फ रिशु सिंह शामिल पाए गये हैं। इन दोनों ने अपना गुनाह क़ुबूल किया है। पहला आरोपी दिनेश शुक्रवार को ही पकड़ लिया गया था, दूसरा आज पकड़ा गया है। दूसरे आरोपी रिशु ने ही अस्पताल से लौटे दिनेश को बताया कि पीड़िता अकेले धान काटने खेत में गयी है, फिर दोनों ने मिलकर योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया।"

इस प्रेस कांफ्रेस से बेखबर छप्पर के नीचे चारपाई के सहारे बैठीं मृतका की माँ अपनी छह महीने की बच्ची को दूध पिला रहीं थीं। एक छोटे से अँधेरे पड़े कमरे में गृहस्थी के नाम पर गिनती के कुछ बर्तन रखे थे, एक रस्सी की डोरी बंधी थी जिसमें पुराने कपड़ों का ढेर टंगा था।

कमरे में दाहिने तरफ एक बक्सा रखा था जिसके बगल में मृतका की गुलाबी रंग की चप्पलें पड़ीं थीं जिसे वो कहीं आने-जाने में पहनती थी। बाएं तरफ कुछ झाड़ू की सीकें और टूटा हुआ सूप पड़ा था, एक खाली सीकदान (जिस पर खाना रखा जाता है) टंगा था इसके अलावा कुछ नहीं था।

दरवाजे के बाहर बायीं तरफ एक छोटी सी अलमारी में एक टूटा शीशा और दवाईयों की कुछ शीशियां रखी थीं। दीवार पर सफेद रंग से हथेलियों के खूब सारे निशान बने थे। चूल्हे के पास बनी छोटी खिड़की में लगी लोहे की छड़ें धुएं से काली पड़ चुकी थीं इसके पास मकड़ी का जाला भी लगा था। चार दिन से मृतका के घर में चूल्हा नहीं जला था, चूल्हे के आसपास पड़ोस की कुछ महिलाएं बैठीं थीं, छप्पर के बाहर खुले आसमान के नीचे कुछ महिला सिपाई, पुलिसकर्मी और आने वाले नेताओं का झुंड था।

मृतका की माँ खुद को कोस रहीं थीं कि अगर साथ चले जाते तो शायद वो बच जाती. फोटो: नीतू सिंह

"वह अकेले ही शाम को चार बजे धान काटने गयी थी, छह-साढ़े छह बजे तक लौटकर वापस नहीं आयी। इसके पापा जब मजदूरी करके लौटे तब बिटिया को खोजने खेत तक गये। वहां पर उसे मरा हुआ देखकर घबरा गयें, गाँव आकर सबको लेकर गये फिर। छह महीने के दो जुड़वाँ बच्चे हैं मेरे, पैर में हमारे फोड़ा निकला है चलने में दिक्कत हो रही है, वो कहकर गयी थी आप घर पर काम देखो मैं धान काटकर आती हूँ," ये बताते हुए मृतका की माँ के चेहरे पर बड़ी बेटी के जाने की तकलीफ दिखी, चार दिन से रो-रोकर इनकी आँखें पथरीली पड़ चुकी थीं।

"जो पकड़ा गया है वो रिश्ते में मेरा देवर लगता है। तीन घर छोड़कर उसका घर है। वह (मुख्य आरोपी) हमारे परिवार का ही है, बिटिया की मिट्टी (चिता) जलाने में भी साथ खड़ा था, पता नहीं क्यों उसने ऐसा किया"? उसका आना-जाना था हमारे घर में। हमें तो किसी पर शक नहीं था, पुलिस ने उसे क्यों पकड़ा हमें ये भी नहीं पता? पर थाने में उसने मुझसे माफी मांगी कि गलती हो गयी हमसे," मृतका की माँ ने बताया।

यूपी के बाराबंकी जिले के सतरिख थाना क्षेत्र के एक गाँव में लगभग 17 वर्षीय दलित लड़की 14 अक्टूबर को शाम चार बजे खेत में धान काटने गयी थी। घर से लगभग एक किलोमीटर दूर बटाई पर ये खेत था जिसमें धान बोई थी। चार भाई बहनों में सबसे बड़ी ये बेटी अकेले ही धान काटने गयी थीं क्योंकि उसके पिता गारा-मिट्टी ढोने का काम करते हैं। कभी-कभार रात में और जल्दी सुबह पिता भी साथ में धान कटवाने जाते थे। घर में माँ अपने छह महीने के दो जुड़वाँ बच्चे जिसमें एक बेटी और बेटा है उनकी देखरेख कर रही थी। उनके पैर में एक फोड़ा (घाव) निकला है जिससे अभी उन्हें चलने में दिक्कत हो रही है। दस साल का एक बेटा घर पर ही माँ की मदद के लिए था।

मृतका के पिता ने बताया, "सुबह आठ बजे मजदूरी करने निकल जाता हूँ, शाम पांच-छह बजे तक आ पाता हूं। जब उस दिन भी घर आये तो इसकी माँ ने बताया कि अभी तक बिटिया धान काटकर नहीं आयी है। उसे घुराते-घुराते (बुलाते हुए) खेत तक गये। बिटिया की एक चप्पल दिखी, एक मसाले की पुड़िया पड़ी थी, एक कैथा भी पड़ा था। जब आगे चलकर देखा तो थोड़ी दूर पर बिटिया के शरीर पर थोड़े बहुत कपड़े थे वो भी फटे हुए, वो मरी पड़ी थी। हम चिल्लाते हुए उसी पैर वापस आ गये, गाँव आकर सबको बताया फिर सबके साथ में गये खेत तक।"

मृतका के पास गिनती के तीन चार जोड़ी ही कपड़े थे, जो अब उसकी यादों के रूप में बचे हैं. फोटो: नीतू सिंह

"हम उसी दिन थाने गये, हमने क्या बताया उन्होंने (पुलिस) क्या लिखा हमें कुछ पता नहीं? हमारा दिमाग नहीं काम कर रहा था। पर थाने में पकड़े गये लोग (आरोपी) बता रहे हैं कि उन्होंने ही ये सब किया है तो अब वही सही होगा। मुख्य आरोपी दिनेश ने थाने में बताया, 'हम अपने दोस्त के साथ खेत में गये थे, उसके (मृतका) साथ छेड़छाड़ की तो उसने बोला घर बता देंगे। फिर हम लोगों ने उसके साथ जबरजस्ती (बलात्कार) करने की कोशिश की, उसने छीना-झपटी की तो उसके कपड़े फट गये फिर वो गिर गयी। हमलोगों ने उसकी बेहोशी हालत तक रेप किया फिर गला दबाकर मार डाला," बताते हुए मृतका के पिता रोने लगे और हाथ जोड़कर बोले, "बस न्याय दिलवा दीजिये, उन्हें फांसी दिलवा दीजिए। मेरी बिटिया तो मर गयी, उन्हें भी मौत दिलवा दीजिए।"

देश में चर्चित हाथरस घटना में जिस दिन 19 वर्षीय दलित गैंगरेप पीड़िता की मौत हुई थी, देशभर में लोग धरना प्रदर्शन कर रहे थे। ठीक उसी दिन हाथरस से लगभग 550 किलोमीटर दूर यूपी के बलरामपुर जिले में गैसड़ी कस्बे के एक गाँव में पीड़ित परिवार के अनुसार 22 वर्षीय दलित पीड़िता की गैंगरेप के बाद मौत हो गयी थी। इन दो बीभत्स घटनाओं की चर्चा अभी थमी भी नहीं थी तबतक ठीक 15 दिन बाद बाराबंकी जिले में 14 अक्टूबर को इस 17 साल की दलित बच्ची के साथ गैंगरेप कर हत्या कर दी गयी। अगर पिछले एक महीने में ही घटी घटनाओं का उदाहरण लें लें तो आपको पता चलेगा कि देश में बलात्कार और महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

अभी हाल ही में जारी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की वर्ष 2019 के आंकड़ों के अनुसार देश भर में हर दिन बलात्कार की 87 घटनाएँ दर्ज की जा रही हैं। इसी साल बलात्कार के कुल 32,033 मामले दर्ज किये गए, जिसमें सिर्फ उत्तर प्रदेश में ही 3,065 मामले थे, जो कुल बलात्कार के मामलों का 10 प्रतिशत हैं। वहीं अनुसूचित जाति/जनजाति (एससी/एसटी) समुदाय के लोगों के खिलाफ अपराध के कुल 45,935 मामले दर्ज किए गए। जिसमें से उत्तर प्रदेश में 11,829 मामले दर्ज हुए जो करीब 25.8 प्रतिशत हैं। उत्तर प्रदेश में एससी/एसटी के साथ अपराध का यह आंकड़ा सबसे अधिक है।

मृतका के गाँव की वो मुख्य सड़क जहाँ से गाड़ी नहीं निकल सकती, नेताओं का दल मृतका के घर से वापस आता हुआ. फोटो: नीतू सिंह

इन आंकड़ों से इतर हम आपको फिर ले चलते हैं बाराबंकी में मृतका की उस माँ के पास, जो ताख़ (अलमारी) और शीशे को देख-देखकर रोए जा रहीं थीं। क्योंकि इस छोटे लाल रंग के फ्रेम में लगे टूटे शीशे में उनकी बेटी कभी अपने बाल संवारती थी तो कभी खुद को निहारती थी। अब वही बेटी इस दुनिया से जा चुकी थी।

मृतका की एक पड़ोसन ने दीवार से सटी रखी दो भरी सफेद रंग की बोरियों की तरफ इशारा करते हुए बोलीं, "घटना के बाद ये कोटेदार आनाज की बोरियां दे गये हैं। इन्हें हर महीने कोटे से राशन तो मिलता है 20 किलो, लेकिन जिस दिन इनकी बिटिया मरी थी उस दिन इनके घर में इतना भी सामान (राशन) नहीं था कि चार रिश्तेदारों को खाना बनाकर खिलाया जा सके।"

मृतका की माँ की तरफ इशारा करते हुए वो आगे बोलीं, "इनके पास तो इतनी भी जमीन नहीं है जहाँ अपनी बेटी (शव) को जला पातीं। हमारे पास दो-तीन बिसुवा खेत है उसी में जलाई गयी बिटिया की मिट्टी। हमलोग खेतों में मेहनत मजदूरी नहीं करेंगे तो खायेंगे क्या? अब ऐसी घटना हो गयी पर हम घर तब भी नहीं बैठ सकते, दूसरों के खेत में काम करने तो जाना ही पड़ेगा। हम लोगों के पास अपने खेत नहीं है, दूसरे के खेत बटाई लेकर या उनके खेत में मजदूरी करके पेट भरते हैं।"

खेत में धान काटती वो महिला मजदूर जिनके पास खुद की जमींने नेहें हैं. फोटो: नीतू सिंह

मृतका और आरोपी दोनों के दरवाजें पुलिस के सिपाही बैठे थे जिससे गाँव में अशांति न फैले। गाँव कनेक्शन की टीम आरोपी परिवार से भी मिली। मुख्य आरोपी दिनेश की माँ का बेटे के जेल में जाने से परेशान थीं। वो बोलीं, "हमारे लड़के को सबके दबाव में गलत फंसाया जा रहा है। जिस दिन की घटना है उस दिन मेरी बेटी के अस्पताल में बच्चा हुआ था। हम माँ-बेटे दिनभर वहीं थे, वो बीच में बस एक डेढ़ घंटे के लिए खाना लेने के लिए आया था।"

मुख्य आरोपी दिनेश मृतका के परिवार का ही है जो रिश्ते में चाचा लगता है, मृतका के घर से तीन-चार घर छोड़कर इसका घर है। घटना वाले दिन दिनेश अस्पताल में था जहाँ उसकी बहन के बच्ची पैदा हुई थी, बीच में कुछ देर के लिए वह घर आया था तभी इस घटना को अंजाम दिया। दूसरा आरोपी ऋषिकेश सिंह उर्फ रिशु सिंह लगभग एक किलोमीटर दूर इसी पुरवा के ग्राम पंचायत सेठमउ का रहने वाला है जो किराने की दुकान चलाता था। पुलिस के अनुसार इसने ही दिनेश को बताया था कि पीड़िता अकेले धान काटने गयी है। फिर दोनों ने योजनाबद्ध तरीके से घटना को अंजाम दिया।

इस पुरवे में घुसते ही हूप राजा (60 वर्ष) नाम की एक महिला जानवरों के लिए मशीन से चारा काट रहीं थीं। वो बताने लगीं, "हम लोगों के पास तो खुद की जमीन नहीं है, मजदूर लोग हैं हमलोग, दूसरे के खेत में मजदूरी नहीं करेंगे तो घर में चूल्हा नहीं जलेगा। आदमी लोग बाराबंकी मजदूरी करने जाते और हमलोग खेत में काम करते, तब कहीं जाकर गुजारा होता है। खेत में ज्यादा से ज्यादा काम कर पाएं इसलिए सूरज ढलने के बाद तक काम करते रहते, कभी-कभी तो रात भी हो जाती है। ऐसी घटना हो गयी है, अब कैसे करेंगे बिना डरे खेत में देर तक काम।"

   

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