मछली पालन के लिए उत्तर प्रदेश को मिल रहा सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार

उत्तर प्रदेश को मैदानी राज्यों में मछली पालन के लिए सर्वेश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिल रहा है, जबकि उड़ीसा को समुंद्री और असम को पूर्वोत्तर व पहाड़ी राज्यों में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार मिल रहा है।

Divendra SinghDivendra Singh   20 Nov 2020 5:33 AM GMT

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मछली पालन के लिए उत्तर प्रदेश को मिल रहा सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार

मछली पालन के लिए चल रहीं योजनाओं के सफल संचालन और मछली उत्पादन के लिए उत्तर प्रदेश को उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ राज्य चुना गया है। 21 नवंबर को विश्व मात्स्यिकी दिवस पर मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री गिरिराज सिंह यह पुरस्कार प्रदान करेंगे।

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) हैदराबाद ने तीन श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ राज्यों को चुना है। समुद्र के किनारे के राज्यों में उड़ीसा, पहाड़ी व उत्तर पूर्व के राज्यों में असम और मैदानी राज्यों (इनलैंड स्टेट) की श्रेणी में उत्तर प्रदेश को बेस्ट स्टेट चुना गया है

उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग के उप निदेशक डॉ. हरेंद्र प्रसाद गाँव कनेक्शन को बताते हैं, "उत्तर प्रदेश ने पिछले तीन साल में मछली पालन में कई उपलब्धियां हासिल की है, वो चाहे मछली उत्पादन की हो या फिर सरकारी योजनाओं को लाभ दिलाने की। बाराबंकी जिले के मछली पालक के रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) सिस्टम को देश भर में लागू कर दिया गया है। अब नई पीढ़ी भी मछली उत्पादन की तरफ आ रही है।"

नीली क्रांति योजना में अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को 60 फीसदी और सामान्य जाति के लाभार्थियों को 40 फीसदी तक अनुदान दिया जाता है। लाभार्थियों को अनुदान राशि भी सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है।

ये भी पढ़ें: सीमेंट के बने टैंकों में करें मछली पालन, सरकार भी दे रही अनुदान

राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड के वरिष्ठ कार्यकारी पी चेलापति ने प्रमुख सचिव मत्स्य, पशुधन एवं दुग्ध विकास भुवनेश कुमार को पत्र भेजकर उत्तर प्रदेश को बेस्ट स्टेट चुने जाने पर बधाई दी है। पुरस्कार के रूप में 10 लाख रुपए प्रशस्ति पत्र व प्रतीक चिह्न दिया जाएगा। पुरस्कार वितरण 21 नवंबर को पूसा, नई दिल्ली में आयोजित समारोह में किया जाएगा।

केंद्रीय मत्स्य पालन एवं पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह और केंद्रीय राज्यमंत्री संजीव बालियान व प्रताप चंद्र सांरगी पुरस्कार प्रदान करेंगे। भुवनेश कुमार ने बताया कि ब्लू रिवोल्यूशन से मछली पालन में व्यावसायिक दृष्टिकोण बढ़ा है। इसमें परियोजना स्वीकृत कराकर प्रशिक्षण व नई टेक्नोलॉजी प्रदान की गई है। पारदर्शिता के लिए विभाग ने अपना पोर्टल विकसित किया और इसी पर आवेदन मंगाए गए।

मछली पालन शुरू करने के लिए अब बड़े-बड़े तालाब और ज्यादा पानी की जरूरत नहीं है। रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) तकनीक की मदद से सीमेंट के टैंक बनाकर मछली पालन कर सकते हैं। इस तकनीक के लिए केंद्र सरकार मदद भी करती है।

आरएएस (RAS) वह तकनीक है, जिसमें पानी का बहाव निरंतर बनाए रखने लिए पानी के आने-जाने की व्यवस्था की जाती है। इसमें कम पानी और कम जगह की जरूरत होती है। सामान्य तौर पर एक एकड़ तालाब में 20 हजार मछली डाली हैं तो एक मछली को 300 लीटर पानी में रखा जाता है जबकि इस सिस्टम के जरिए एक हजार लीटर पानी में 110-120 मछली डालते है। इस हिसाब से एक मछली को केवल नौ लीटर पानी में रखा जाता है।

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