सुनील जागलान का इंटरव्यू: मिलिए उस पिता से जिसने शुरू की बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम

Diti BajpaiDiti Bajpai   19 Dec 2019 5:13 AM GMT

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जींद (हरियाणा)।"मेरी शादी के डेढ़ साल बाद 24 जनवरी 2012 को जब मेरी बेटी नंदिनी ने जन्म लिया तो उसकी खबर लेकर आई नर्स ने बड़े आहिस्ता से शब्दों में कहा बेटी हुई है। यह सुनकर हमारे चेहरे पर तो खुशी थी लेकिन उसके भाव बिल्कुल अलग थे।" इतना कहकर हरियाणा के जींद जिले के बीबीपुर गाँव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान मुस्कुराते हैं और देश में शुरू हुई बेटी बचाओं, बेटी पढ़ाओं मुहिम की कहानी बताना शुरू करते हैं।

सुनील जागलान की बेटी नंदिनी जिसके जन्म के बाद शुरू हुई बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ मुहिम

"डिलीवरी के बाद जब हम लोग घर जाने लगे तो मैंने नर्स को 2 हज़ार रुपए दिए और कहा कि मिठाई बांट लेना। उसने मुझसे कहा दो हजार मत दो लड़का होता और भी ज्यादा ले लेते लड़की हुई है आप सौ रुपए दे दो वरना डॉक्टर भी गुस्सा करेंगी। यह एक वजह थी इस मुहिम को शुरू करने की।" सुनील ने गाँव कनेक्शन को बताया।

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सुनील जागलान सरपंच से पहले पेशे से अध्यापक थे। अपनी बेटी के जन्म के बाद उन्हें गाँव में गिरते लिंगानुपात के बारे में पता चला तो उन्होंने ठान लिया कि लड़कियों के गिरते लिंगानुपात को बढ़ाना है और जैसी खुशी लड़के के लिए होती है वैसी ही बेटियों के लिए हो। सुनील अपनी इस मुहिम की कहानी को जारी रखते हुए आगे बताते हैं, "गाँव के गिरते लिंगानुपात को जानने के लिए मैं पहली बार सरकारी स्वास्थ्य केंद्र गया वहां मुझे पता चला कि हमारे गाँव में 37 लड़की और 59 लड़को का जन्म लिया।"

सुनील के लिए गाँव के यह आकड़ें काफी हैरान करने वाले थे। उन्होंने अपने गाँव में महिलाओं की पंचायत बुलाई। इस पंचायत में महिलाओं ने खुदा कहा कि वह लड़के के दबावों के चलते भ्रूण हत्याएं करवाती है। उसके बाद सुनील ने एक कमेटी बनाई, जिसमें तीन महिलांए और एक पुरुष थे और उनका काम गर्भवती महिलाओं को रिकार्ड रखना था। यह पूरा डाटा ग्राम पंचायत के पास रहता था। सुनील की इस मुहिम में कई लोगों ने विरोध किया लेकिन वह अपने काम करते रहे।


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"गाँव में कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए हमने खाप पंचायत बैठक कराई और मैंने इस खाप पंचायत में महिलाओं को ही रखा कि वो ही इस मुद्दे पर खुद बोले खुद बात करे। इसके बाद धीरे-धीरे सुधार हुआ काम करने के एक साल बाद बदलाव दिखने लगे। हमारे गाँव में 42 लड़कियों और 44 लड़कों ने जन्म लिया।" सुनील ने अपने गाँव में आने वाले बदलाव के बारे में बताया, "जब लिंगानुपात सुधारा तो गाँव की महिलाओं का विश्ववास जगने लगा और महिलाएं ग्राम सभा में हिस्सा लेने लगी।"

सुनील की मुहिम में उनकी बहन ऋृतु ने काफी साथ दिया। भ्रूण हत्या पर नुक्कड़ नाटक करना, पंचायत में महिलाओं को जागरुक करना। सुनील बताते हैं, "खाप पंचायतों के लिए हमने एजेंडा तैयार किया जिसमें यह तय हुआ कि भ्रूण हत्या करने वालों को धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज होना है।"


इन प्रयासों के लिए सुनील को मुख्यमंत्री की तरफ एक करोड़ रुपए दिए गए। जिसके बाद उन्होंने तय किया कि ग्राम पंचायत का 50 प्रतिशत फंड महिलाएं विकास कार्य में खर्च करेंगी। इस फंड से सुनील ने गाँव में लड़कियों के लाडो पुस्तकालय और उन्हें डिजिटल से जोड़ने के लिए कम्प्यूटर शिक्षा देने का कार्य शुरू किया गया। सुनील बताते हैं, "पहले भ्रूण हत्या को रोकने को लेकर काम किया जो बेटी बचाओं था उसके बाद बेटियों को पढ़ाने के लिए उनको लाडो पुस्तकालय और कम्प्यूटर शिक्षा दी जो बेटी पढ़ाओं था। तो ऐसे हमने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओं की मुहिम शुरू की।"

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इस बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की मुहिम को लेकर कई गाँव में लोगों को लेकर जागरुक किया गया। इस मुहिम में बेटियों को आगे से आगे जगह दी है। सुनील लगातार कैंपेन चलाए जिसमें उन्होंने काफी विरोध भी झेला। वर्ष 2015 में उन्होंने सेाशल मीडिया कैंपेन सेल्फी विद डॉटर शुरू किया, जिसका प्रधानमंत्री ने 6 बार और राष्ट्रपति मे 3 बार जिक्र किया।


सैंकड़ों अभियान चला चुके सुनील जागलान का कहते हैं, "अभी हमारा काम खत्म नहीं हुआ है हर गाँव में बेटी को बचाने और बेटी को पढ़ाने की मुहिम को चलाना है।"

   

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