सवर्ण संगठनों के भारत बंद से यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान में जनजीवन प्रभावित

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
सवर्ण संगठनों के भारत बंद से यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान में जनजीवन प्रभावित

केंद्र सरकार की ओर से एससी/एसटी बिल में किए गए संशोधन के विरोध में सवर्ण संगठनों की ओर से गुरुवार को बुलाए गए बंद का देश भर में व्यापक असर देखा जा रहा है। बंद का सबसे ज्यादा असर बिहार में देखा गया। मध्य प्रदेश में ड्रोन के जरिए प्रदर्शन पर निगरानी रखी जा रही है। बंद का असर राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र समेत दूसरे कई राज्यों में भी देखा जा रहा है।

बिहार में रोकी ट्रेनें, सड़कों पर चक्का जाम

राजधानी पटना में बंद समर्थकों ने बीजेपी और जेडीयू के प्रदेश मुख्यालयों के सामने प्रदर्शन किया। शहर में बंद समर्थकों ने राजेंद्र नगर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेनों को रोका। आरा जिले में भी प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनें रोक दीं। मधुबनी में नेशनल हाइवे 105 पर आंदोलनकारियों ने वाहनों को रोक कर जाम लगा दिया। मुजफ्फरपुर में बंद समर्थकों ने सीतामढी, दरभंगा, छपरा और पटना जाने वाले मुख्य मार्गों राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28, 57, 77 और 102 को जाम किया तथा सड़क पर आगजनी की। बंद के दौरान जगह-जगह से हंगामे और मारपीट की खबरें आ रही हैं।

यूपी में योगी बोले, भारत बंद का कोई मतलब नहीं

गोंडा जिले में बाढ़ राहत सामग्री वितरण कार्यक्रम के दौरान यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "भारत बंद का कोई मतलब नहीं है। लोगों की अपनी भावनाएं हैं, लोकतंत्र में सबको अपनी बात कहने का अधिकार है। बीजेपी ने जाति व धर्म पर कभी राजनीति नहीं की। यह कानून समाज के दबे-कुचले लोगों को संरक्षण देने के लिए बनाया गया है। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इसका किसी भी तरह से दुरुपयोग न हो।"

इससे पहले उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में भी एससी-एसटी ऐक्ट में बदलाव को लेकर प्रदर्शन किया गया। लोगों ने पुतले जलाकर सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वाराणसी में इलाहाबाद-पटना हाईवे पर चक्का जाम के बाद लोगों ने टायर जलाकर आगजनी की। मैनपुरी और आगरा में भारत बंद के दौरान सवर्ण समाज के लोगों ने ट्रेनों को रोका। नोएडा में करीब दो दर्जन संगठनों तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के लोग नोएडा स्टेडियम में एकत्रित हुए । स्टेडियम के गेट नंबर-4 से सभी ने एक साथ पैदल विरोध मार्च निकाला, जो विभिन्न सेक्टरों में होते हुए सेक्टर-27 स्थित जिलाधिकारी कैम्प कार्यालय पहुंचा। वहां पर प्रदर्शन करने के बाद प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन सिटी मैजिस्ट्रेट को सौंपा। यूपी के गृह विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए कई जिलों में धारा 144 लगा दी है।

समूचा मध्य प्रदेश प्रभावित, ग्वालियर में ड्रोन से नजर

मध्यप्रदेश सरकार ने बंद के मद्देनजर प्रदेश के अधिकांश जिलों में धारा 144 लगा दी है। समूचे प्रदेश में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किये हैं। भिंड, शिवपुरी और ग्वालियर सहित कुछ अन्य जिलों में स्थानीय प्रशासन ने एहतियाती तौर पर गुरूवारा को स्कूलों की छुट्टी करने का ऐलान किया था। भारत बंद के मद्देनजर एहतियातन मध्यप्रदेश के सभी पेट्रोल पम्प मालिकों ने पेट्रोल पंप बंद रखे। मध्य प्रदेश के विदिशा में लोगों ने काले कपड़े पहनकर प्रदर्शन किया। छिंदवाड़ा, कटनी, सीहोर, देवास, इंदौर, ग्वालियर, झाबुआ, छतरपुर, मंदसौर, सागर, उज्जैन एवं अन्य शहरों से मिली रिपोर्ट के अनुसार बंद का असर तकरीबन समूचे मध्यप्रदेश में है।

राजस्थान में स्कूल, कॉलेज बंद रहे

राजस्थान में बंद के समर्थन में दुकानें, व्यावसायिक संस्थान, स्कूल और अन्य शैक्षणिक संस्थाएं गुरूवार को बंद रही। पुलिस ने बताया कि बंद के दौरान प्रदेश में कहीं से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। न्यूज एजेंसी भाषा के मुताबिक, समता आंदोलन समिति के सदस्यों ने सरकार पर उनके सदस्यों को हिरासत में लेकर दमनात्मक कार्रवाई का आरोप लगया है। पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) अशोक गुप्ता ने बताया कि समता आंदोलन नेता पाराशर नारायण शर्मा और दो अन्य लोगों को एहतियात के तौर पर हिरासत में लिया गया है।

महाराष्ट्र में भी दिखा असर

महाराष्ट्र के ठाणे में भारत बंद के दौरान प्रदर्शनकारियों ने एससी-एसटी ऐक्ट में सरकार के संशोधन के खिलाफ लोगों ने होर्डिंग और बैनर लेकर प्रदर्शन किया।

क्या है पूरा विवाद?

यह पूरा विवाद उस एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर है, जिसमें मोदी सरकार ने संशोधन करते हुए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था। 20 मार्च 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट में तत्काल गिरफ्तारी न किए जाने का आदेश दिया था। इसके अलावा एससी/एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले केसों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि इस कानून के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी की बजाय पुलिस को 7 दिन के भीतर जांच करनी चाहिए और फिर आगे कार्रवाई करनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने अप्रैल महीने में बंद का आवाहन कर विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान जगह-जगह हिंसा की खबरें आई थीं और कई लोगों की मौत भी हुई थी। इसके बाद केंद्र सरकार ने एससी-एसटी संशोधन विधेयक 2018 के जरिए मूल कानून में धारा 18A जोड़ी। ऐसा करने से सुप्रीम कोर्ट के प्रावधान रद्द हो गए और फिर से पुराना कानून बहाल हो गया।

यह भी देखें: एससी-एसटी एक्ट : पांच वर्षों में 25 फीसदी मामलों में ही आरोप सिद्ध हुए
यह भी देखें: एससी-एसटी एक्ट: दलित संगठन द्वारा भारत बंद का एलान, पंजाब में सुरक्षा कड़ी

    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.