किसानों का कैसे भला होगा, सरकार की डिक्शनरी में खेती शब्द ही नहीं : टिकैत

Arvind ShukklaArvind Shukkla   1 Aug 2017 3:01 PM GMT

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किसानों का कैसे भला होगा, सरकार की डिक्शनरी में खेती शब्द ही नहीं :  टिकैतलखनऊ में अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करते किसान 

लखनऊ। मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश में किसान आंदोलन की सुगबुगाहट शुरु हुई है। प्रदेश में किसानों की अगुवाई करने वाले सबसे बड़े संगठन भारतीय किसान यूनियन ने केंद्र और प्रदेश सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसी भी सरकार की डिक्शनरी में खेती शब्द ही नहीं है।

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सोमवार किसान महापंचायत के दौरान मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने किसान नेताओं को मिलने के लिए बुलाया था, जिसके बाद किसानों ने विधानभवन घेराव का अपना कार्यक्रम रद्द कर दिया था। मंगलवार को किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने मुख्यमंत्री आवास पर सीएम से मुलाकात की। जिसके बाद नरेश ने कहा, “कई मुद्दों पर सीएम ने बात हुई है, उन्होंने भरोसा दिया है कि 16 अगस्त के बाद कर्जमाफी का असर दिखने लगेगा।”

इससे पहले सोमवार भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने किसानों को संबोधित करने के बाद कहा, “प्रदेश का किसान बहुत परेशान है, लेकिन मुझे भरोसा है। मुख्यमंत्री जी ने जब बातचीत के लिए बुलाया है तो वो किसानों की समस्याओं का हल जरुर निकालेंगे।”

किसान महापंचायत में प्रदेश के कोने-कोने से पहुंचे थे किसान। सभी फोटो विनय गुप्ता

किसान यूनियन आगे की रणनीति इस बैठक के बाद तय करेगी, लेकिन किसानों को इस गर्मी और उमस के बीच लखनऊ आना ही क्यों पड़ा, गोमतीनगर के झूले लाल पार्क में एक पेड़ ने नीचे बैठे पसीना पोछ रहे कासगंज के जयपाल सिंह (45) बताते हैं।“हम किसानों के साथ हर जगह धोखा हो रहा है। चुनाव में बात हर किसान का एक-एक लाख कर्जा माफ करने की हुई थी लेकिन अब सिर्फ छोटे किसानों का ही कर्जा माफ़ हुआ। अरे तो 5 एकड़ की जमीन मेरे पास होना गुना है। हमारे पास ज्यादा जमीन है तो खर्च भी तो ज्यादा होता।’ जयपाल बताते हैं, जिनके ऊपर एक लाख 65 हजार का कर्जा है और अब वो माफ नहीं होगा। उनकी फसलों का बीमा भी नहीं हुआ क्योंकि बैंक मैनेजर के पास वक्त नहीं था और बीमा कंपनी का ऑफिस उनके जिले में नहीं है।

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत (सफेद पगड़ी में)

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किसानों के मसीहा कहे जाने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के बेटे और किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राकेश टिकैत विस्तार से किसानों के दर्द और आवाज़ उठाने की वजह बताते हैं। “किसान आंदोलन के लिए सड़क पर जब उतरता है जब सरकारें बात नहीं सुनती है। प्रदेश हो या केंद्र सरकार उसकी डिक्शनरी में खेती शब्द ही नहीं है। जब तक देश में राष्ट्रीय कृषि नीति नहीं बनेगी किसान का भला नहीं होगा। इस कमेटी में किसान को भी शामिल किया जाए।” राकेश टिकैत के मुताबिक बहुत जोर जबदस्ती करने पर कई बार कुछ योजनाओं में किसानों को शामिल किया जाता है लेकिन वो योजनाए धरातल पर नहीं उतरती हैं। किसानों को फसल मूल्य बढ़ाने के लिए गठित कमेटी की तमाम बैठकों का उदाहरण देते हुए वो कहते हैं, दिल्ली में इस समिति की 10-15 बैठकें हुईं, लाखों रुपए बर्बाद हुए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।’

देखिए किसान महापंचायत का वीडियो

राकेश टिकैत मंच के सामने बैठी भीड़ की तरफ देखते हुए कहते हैं, “देखिए इस महीने में किसान अपने खेत छोड़ यहां आने को मजबूर हुए हैं क्योंकि हमारी कई समस्याएं हैं। गन्ना का करोड़ों रुपए अभी बकाया है। आलू 2 रुपए किलो बिक गया। गिनती के किसानों का कर्जा माफ होने की ख़बर है। किसान जो भी उगाता है उसकी लागत नहीं निकलती है।” किसान यूनियन के मुताबिक उत्तर प्रदेस में गन्ना किसानों की हालत दयनीय होती जा रही है। यूनियन के प्रदेश प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक गांव कनेक्शन से बताते हैं, “ बीजेपी जब सत्ता के बाहर थी तो उसके नेता कहते थे, तो कहते हैं सरकार बनने के 120 दिनों में पूरा बकाया दिलाएंगे, लेकिन आज इतने दिन बाद भी 3000 करोड़ बाकी हैं। बीजेपी नेता ये भी कहते हैं थे जो चीनी मिल बकाया नहीं देंगे उन्हें जेल में डालेंगे, अब सरकार बताए कितने नेताओं को जेल भेजा है, उल्टा अब सरकार कह रही है, गन्ने की कीमत ज्यादा नहीं बढ़ा सकते क्योंकि इससे चीनी मिलों की कमर टूट जाएगी।’

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गांव कनेक्शऩ से बातचीत करते राकेश टिकैत।

अपने सैकड़ों साथियों के साथ प्रदर्शन में शामिल होने पहुंचे शामली जिले में पिंडौरा गांव के कपिल खादयान काफी गुस्से में नजर आए। कपिल के मुताबिक उनका करीब सवा लाख रुपए सात महीने से बाकी है। कपिल कहते हैं, मेरे जिले में तीन चीनी मिल हैं, उन पर 250 करोड़ का बकाया है। जबकि प्रदेश के गन्ना मंत्री सुरेश राणा हमारे इलाके से आते हैं। जब उनके क्षेत्र का ये हाल है तो बाकी का क्या होगा।’ वो आगे कहते हैं, “बड़े किसान तो किसी तरह अपना काम चला रहे हैं लेकिन मेरे ही गांव के छोटे किसानों की हालत काफी दयनीय है, बेचारे दवा और घर खर्च के लिए साहूकारों से कर्ज ले रहे हैं।” उत्तर प्रदेश में मोदी ग्रुप, बजाज ग्रुप, मवाना मिल समेत कई ग्रुप की प्रदेश में ज्यादातर मिल हैं, जिन पर करोड़ों रुपए बाकी हैं। अकेले बजाज पर 70 फीसदी बकाया बताया जा रहा है।

किसान महापंचातय में बैलगाड़ियों से पहुंचे थे कई किसान।

किसान यूनियन की इस महापंचायत में बुंदेलखंड के किसानों की भी आवाज सुनाई पड़ी। धर्मेंद्र मलिक ने कर्जमाफी योजना को हवाला देते हुए कहा कि इस कर्जमाफी से सबसे ज्यादा नुकसान बुंदेलखंड को होगा क्योंकि वहां किसानों के पास कहने के लिए जमीनें ज्यादा है। पश्चिमी यूपी का एक एकड़ और बुंदेलखंड का 4 एकड़ वाला किसान बराबर है, लेकिन अब उसे फायदा नहीं मिलेगा। सरकार को चाहिए बुंदेलखंड के सभी किसानों का पूरा कर्जा माफ करे।

किसानों ने सरकारों को दी चेतावनी, मांगी जाएं उनकी मांगे।

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महापंचायत में किसानों की बड़ी मांगें

1. कर्जमाफी के लिए बीजेपी अपने घोषणापत्र और चुनाव के दौरान किये गए वादों पर अमल करे, हर किसान का कर्जा माफ हो।

2. गन्ना किसानों का बकाया 3000 करोड़ दिलाया जाए।

3. एमएस स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाए।

4. फसलों का लाभकारी उचित मूल्य दिया जाए।

5. किसान आयोग का जल्द गठन हो।

6. राष्ट्रीय कृषि नीति बनाई जाए, जिसमें किसानों की भागीगारी हो।

7. बिजली की बढ़ीं दरें वापस ली जाएं।

8. बंद पड़े ट्यूबवेल फिर से चालू कराए जाए।

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