भोपाल गैस कांड के 34 साल: 'आधे गैस पीड़ित मर चुके, आधे का इंतजार, फिर किस्सा खत्म'

भोपाल गैस कांड के 34 साल पूरे होने के बाद भी प्रभावित परिवार अब भी न्याय और मुआवजे की लड़ाई लड़ रहे हैं

Manish MishraManish Mishra   4 Dec 2018 2:01 PM GMT

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भोपाल (मध्य प्रदेश)। जब यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री से गैस के रिसाव के दूसरे दिन बस्ती का मंजर रोंगटे खड़े कर देने वाला था।

"जितने लोग भाग सकते थे, रात में बस्ती छोड़कर भाग गए, लेकिन दूसरे दिन जब वापस आकर देखा तो इंसानों और जानवरों के ढेर पड़े थे। लोगों की आंखें बड़ी-बड़ी लाल हो गई थीं, कई तो अंधे भी हो गए थे," गैस हादसे के पीड़ित और जेपी नगर में रहने वाले चांद भाई (46वर्ष) ने बताया।

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गैस कांड के वक्त चांद भाई की उम्र महज 12 वर्ष रही होगी।

चांद भाई की उम्र उस समय महज 12 वर्ष की रही होगी, लेकिन उस रात के हादसे का मंजर उन्हें साफ-साफ याद है। हर ओर मची चीख पुकार की आवाजें चांद भाई के कानों से अभी गई नहीं।

अपनी रोजी-रोटी के लिए यूनियन कार्बाइड की चारदीवारी से सटा कर पर्स बेल्ट आदि की छोटी सी दुकान चलाने वाले चांद भाई ने बताया, "हमारे अब्बा के भांजे आए और बोले मामू उठो, यूनियन कार्बाइड की गैस निकल गई है, भागो, नहीं तो मर जाएंगे। उसके बाद जान लेकर हम लोग भागे।"

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आगे कहा, "जब हम घर से बाहर निकले तो उल्टी, सांस फूलना और आंखों में जलन शुरू हो गई। उस वक्त ये कोई नहीं देख रहा था कि मां पीछे छूट गई या भाई। सब अपनी जान बचा रहे थे। वो रात कयामत की थी।" मुआवजा और पीने के पानी की समस्याओं से जूझ रहे भोपाल गैस पीड़ित आज भी अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्हें चीजें तभी मिल रही हैं जब वो धरना दें या लाठी खाएं।

भोपाल गैस कांड संग्रहालय की तस्वीर।

"हम आज भी उस तकलीफ से उबरे नहीं हैं। न ही सही इलाज मिला, न ही मुआवजा। नेता तो सोचते हैं कि आधे तो गैस पीड़ित मर चुके, आधे मरने का इंतजार कर रहे हैं, अस्पताल में भर्ती हैं। नेताओं को इंतजार है कि वो भी मर जाएं तो किस्सा खत्म," चांद भाई ने अपनी टोपी को सही करते हुए कहा।

अपनी लाल-लाख आंखें दिखाते हए और फूलती सांसों के बीच चांद भाई ने बताया, "आज भी 80 प्रतिशत गैस पीड़ित कैंसर और दमे से मर रहे हैं। मेरी मां, ससुर और भतीजा इसी से मरे।"


अपने चेहरे पर चिंता के भाव के बीच चांद भाई ने कहा, "हमने एक जगह पढ़ा था कि जिन-जिन को यह गैस लगी उनकी औलादें भी गैस पीड़ित हैं। आज भी जो बच्चे पैदा हो रहे हैं बहुत कमजोर हैं। बाल सफेद होना, स्किन की समस्या, कम दिखना, वक्त से पहले दांत गिर रहे हैं। याददाश्त सही नहीं, कद नहीं बढ़ रहा। यह लक्षण दिख रहा है, उससे लगता है ये गैस पीड़ित हैं।"

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भोपाल गैस कांड संग्रहालय की तस्वीर।

"हमारा भांजा अपंग पैदा हुआ। आज भी बच्चे अपंग पैदा हो रहे हैं। हम लोग सही से रिकवर नहीं हो पाए," आगे अपनी समस्या बताई, "भोपाल अस्पताल में अगर डॉक्टर पांच दवाएं लिख रहा है तो काउंटर पर दो ही दवाएं मिलेंगी। कार्ड दिखाने पर फ्री में पर्चा बन जाता है, लेकिन सभी दवाएं नहीं मिल पातीं।"

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