'जलवायु परिवर्तन के बीच कृषि को और अधिक लाभकारी बनाना बड़ी चुनौती'

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लखनऊ। बेमौसम बारिश तो कभी ओलावृष्टि, जलवायु परिवर्तन ने पहले से ही संकट से घिरे कृषि क्षेत्र को और मुश्किलों में डाल दिया है। मुनाफे की बाट जोह रहे किसान नुकसान की फसल काटने को मजबूर हो रहे हैं। इसको लेकर अब सम्मेलन हो रहे हैं, योजनाएं भी बन रही हैं। इस बीच उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडु ने बदलते पर्यावरण के बीच कृषि को लाभकारी बनाने को बड़ी चुनौती बताया है।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने जलवायु परिवर्तन को वैश्विक चुनौती बताते हुए इससे निपटने की बात की है। उन्होंने कहा कि खेती को जलवायु के बदलते रुख के अनुरूप बनाते हुए इसे और अधिक लाभकारी बनाने की जरूरत पर बल दिया जाना चाहिए। नायडू ने गुरुवार को को डब्ल्यूआरआई इंडिया के वार्षिक कार्यक्रम कनेक्ट करो को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में किसान स्थानीय तौर पर अनाज उगाकर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। उपराष्ट्रपति ने जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की चर्चा करते हुए कहा कि जानबूझकर या अनजाने में बिगड़े हुए पर्यावरण संतुलन को बहाल करने के लिए सरकार, जनता और निजी क्षेत्र का एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने कृषि को और अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाने के लिए कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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नायडू ने कृषि वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं का आह्वान किया कि वह इस बात पर नजर रखें की प्रति इकाई पोषण उपजाने के लिए भू-संसाधनों का उपयोग भूमि और पानी जैसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग दक्षता के साथ किया जा रहा है। पर्यावरण संतुलन की चुनौतियों का जिक्र करते हुए उन्होंने यातायात के बेहतर साधनों की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि इससे प्रदूषण की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी। नायडू ने कहा कि महानगरों में यातयात के एकमात्र साधन के रूप में मेट्रो पर निर्भरता पर्याप्त नहीं है। इसके लिए इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देते हुए वाहनों के साझा उपयोग पर निर्भरता बढ़ाने की जरूरत है।

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू

भारत के कृषि मंत्रालय ने पिछले दिनों भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली समिति को सौंपी में रिपोर्ट में कहा कि अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो वर्ष 2050 तक गेहूं का उत्पादन 23 फीसदी तक कम हो सकता है। जबकि धान (चावल) के उत्पादन में वर्ष 2020 तक ही 4 से 6 फीसदी तक कमी आ सकती है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि प्रभावी कदम उठाए गए तो उत्पादन 17-20 फीसदी तक बढ़ भी सकता है। वर्ष 2018 में पेश आर्थिक सर्वेक्षण में खुद सरकार ने भी माना था कि जलवायु परिवर्तन का असर खेती पर पड़ रहा है।

जलवायु परिवर्तन पर ठोस एवं यथार्थवादी योजनाएं लेकर आएं

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने विश्व नेताओं से जलवायु परिवर्तन पर मजबूत कदम उठाने के लिए ठोस और यथार्थवादी योजनाओं के साथ आगे आने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन से वैश्विक तापमान खतरनाक स्तर तक बढ़ रहा है जिससे लाखों लोगों पर असर पड़ रहा है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) द्वारा गुरुवार को जारी की गयी द स्टेट ऑफ द ग्लोबल क्लाइमेट रिपोर्ट में दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों और बढ़ते शारीरिक संकेतों की गंभीर तस्वीर पेश की गयी है।

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गुतारेस ने इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाने का आह्वान करते हुए कहा कि रिपोर्ट का यह चिंताजनक निष्कर्ष कि जलवायु परिवर्तन बढ़ रहा है, यह साबित करता है कि जलवायु परिवर्तन उसे कम करने के हमारे प्रयासों के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि वह विश्व के नेताओं से राष्ट्रों को सतत राह पर ले जाने के लिए ठोस और यथार्तवादी योजनाएं लाने का आह्वान कर रहे हैं।

(भाषा से इनपुट)


  

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