नौ फरवरी से दुधवा में शुरू होने वाले बर्ड फेस्टिवल में देश-विदेश से शामिल होंगे सैकड़ों विशेषज्ञ 

Manish MishraManish Mishra   8 Feb 2018 3:20 PM GMT

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नौ फरवरी से दुधवा में शुरू होने वाले बर्ड फेस्टिवल में देश-विदेश से शामिल होंगे सैकड़ों विशेषज्ञ दुधवा में आएंगे सैकड़ों विशेषज्ञ

प्रदेश में ईको-टूरिज्म को बढ़ावा देने और पक्षियों के प्राति संवेदनशीलता और जागरुकता के लिए प्रदेश के हर जिले में कार्यक्रम होंगे। दुधवा में तीन दिन तक बर्ड फेस्टिवल शुरू होने के साथ ही हर जिले में बर्ड वाचिंग (पक्षियों को दूरबीन से देखना) के कार्यक्रम आयोजित होंगे। नौ फरवरी से शुरू इस बर्ड फेस्टिवल में देश-विदेश से पक्षी प्रेमी उनके दीदार और जागरुकता के लिए जुटेंगे। पहले दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। सभी कार्यक्रम पार्क के टाइगर हेवेन में होंगे।

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“दुधवा नेशनल पार्क दुनिया में सबसे सुंदर बायो डायवर्सिटी पार्क में से एक है, देश-विदेश से आने वाले वन्य जीव और प्रकृति के एक्सपर्ट के सेशन होंगे,” उत्तर प्रदेश के मुख्य वन संरक्षक रूपक डे ने गाँव कनेक्श्न का बताया, “इस बार हम कार्पोरेट सेक्टर के लोगों को भी शामिल करने जा रहे हैं। इससे ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।”

दुधवा नेशनल पार्क दुनिया में सबसे सुंदर बायो डायवर्सिटी पार्क में से एक है, देश-विदेश से आने वाले वन्य जीव और प्रकृति के एक्सपर्ट के सेशन होंगे। इस बार हम कार्पोरेट सेक्टर के लोगों को भी शामिल करने जा रहे हैं। इससे ईको-टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा।
रूपके डे, मुख्य वन एवं वन्य जी संरक्षक, उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश को ईको-टूरिज्म के लिहाज से 9 जोन में बांटा गया, इनमें पर्यटन के हिसाब से वेटलैंड और महत्वपूर्ण 38 पर्यटक स्थल मौजूद हैं।“इस फेस्टिवल के माध्यम से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ा जाएगा, ताकि उन्हें अधिक से अधिक पक्षियों के बारे जानकारी देने के साथ ही उनके संरक्षण के बारे में बताया जाएगा। पक्षी जगत मानव जीवन से कैसे जुड़ा हुआ है, ये बताने का प्रयास है,” मुख्य वन संरक्षक रूपक डे ने बताया। दुनिया में कुल 10,000 पक्षियों की प्रजातियां हैं, इनमें से 13,00 भारत में हैं। दुधवा नेशनल पार्क में 440 प्रजाति के पक्षी मिलते हैं। बंगाल फलॉरिकन, स्वैंप फ्लॉरिकन, ग्रेट स्लेटी वुडपैकर और ग्रेट हॉर्निकल यहां की खास चिड़िया हैं।

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“दुधवा पार्क में फेस्टिवल करने का मुख्य मकसद है जो तराई इलाका है, उसकी बायो डायवर्सिटी (जैव विविधकता) को सामने लाया जाए। साथ ही उसे जुड़े पशु-पक्षियों का संरक्षण कैसे हो सकता है, इस पर भी मंथन होगा,” उत्तर प्रदेश के प्रमुख वन एवं वन्य जी संरक्षक एसके उपाध्याय ने बताया, “प्रदेश में ऐसी कई जगहें हैँ जहां बहुत अच्छे जंगल हैं, वेटलैंड हैं, लेकिन लोग इसके बारे में जानते नहीं हैं। ऐसे कार्यक्रमों से पर्यटन और रोजगार बढ़ेगा और वहां के वन्य जीवों की सुरक्षा भी कर पाएंगे।”

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दुधवा पार्क में होने वाले बर्ड फेस्टिवल के दौरान इसके बीच गुजरने वाली ट्रेन को 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चलाया जाएगा, ताकि पर्यटक पूरे पार्क का नजारा अच्छे से कर सकें। इसी के साथ एक स्पेशल ट्रेन भी चलाई जाएगी। यहां की थारू जनजाति के लिए रोजगार के लिए भी बहुत ही लाभदायक होगा। पार्क के आसपास रह रहे लोगों को रोजगार देने में हम सक्षम होंगे। इससे पहले दो बर्ड फेस्टिवल 2015 और 2016 में चंबल सफारी में हुए थे। वर्ष 2015 में 29 देशों के 115विशेषज्ञ और बर्ड वॉचर तथा वर्ष 2016 में 26 देशों के 140 विशेषज्ञ शामिल हुए थे।

प्रदेश में ऐसी कई जगहें हैँ, जहां बहुत अच्छे जंगल हैं, वेटलैंड हैं, लेकिन लोग इसके बारे में जानते नहीं हैं। इस तरह के कार्यक्रमों से पर्यटन और रोजगार बढ़ेगा और वहां के वन्य जीवों की सुरक्षा भी कर पाएंगे।
एसके उपाध्याय, प्रमुख वन एवं वन्य जीव संरक्षक, उत्तर प्रदेश

     

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