कोरोना वायरस के बाद बर्ड फ्लू का कहर, कई राज्यों में जारी हुआ अलर्ट

मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा जैसे कई राज्यों में बर्ड फ्लू ने दस्तक दी है, जिससे संक्रमण में आने से अब तक इन राज्यों में प्रवासी पक्षियों के साथ ही कौवों और बगुलों की भी मौत हो गई है।

Divendra SinghDivendra Singh   5 Jan 2021 4:09 PM GMT

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अभी पूरा देश कोरोना से निपटने में लगा है कि कई राज्यों में बर्ड फ्लू फैलने लगा है, केरल, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, हरियाणा के बाद हिमाचल प्रदेश में भी बर्ड फ्लू पक्षियों की मौत हो गई है।

केरल के कोट्टायम और अलप्पुझा जिलों में बतखों में बर्ड फ्लू फैलने की जानकारी सामने आयी थी, जिससे अब तक लगभग 1400 बतखों की मौत भी हो गई है। बर्ड फ्लू के चलते प्रभावित क्षेत्र के एक किमी क्षेत्रफल में सभी बतख, मुर्गी और दूसरे पक्षियों को मारने का आदेश दे दिया गया है, साथ ही यहां पर हाई एलर्ट जारी कर दिया गया है।

पशुपालन विभाग, केरल के सहायक निदेशक डॉ. टेरेंस बी रेमिडी गाँव कनेक्शन से बताते हैं, "पहले कुछ बतखों की मौत हुई थी, जिनकी जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल भेजा गया, जहां से पता चला कि इनकी मौत बर्ड फ्लू की वजह से हुई है, बीमारी को फैलने से रोकने के लिए प्रभावित क्षेत्र के एक किमी क्षेत्रफल में सभी पक्षियों को मारने के आदेश दे दिए गए हैं, जिससे इसे फैलने से रोका जा सके।"


केरल के कोट्टायम से लगभग 2,061 किमी दूर राजस्थान के झालावड़, जोधपुर जिले में भी बर्ड फ्लू से दिसंबर से अब तक 250 से अधिक कौओं की मौत हो गई है। झालावड़ में कौओं की मौत की शुरूआत के बाद उनकी जांच के लिए राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल भेजा गया, जहां पर इनकी बर्ड फ्लू से मौत की पुष्टि हो गई है।

राष्ट्रीय उच्च सुरक्षा पशुरोग संस्थान, भोपाल में अब तक केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश में मरे पक्षियों के सैंपल की जांच की गई है, इन सभी पक्षियों के मौत का कारण बर्ड फ्लू ही आया है।

पशुपालन विभाग झालावड़ के संयुक्त निदेशक डॉ. विक्रम सिंह कहते हैं, "बर्ड फ्लू ऐसी बीमारी है, एक दूसरे से सभी पक्षियों को संक्रमित करती है। बर्ड फ्लू से यहां पर कौओं के साथ ही बगुलों और गौरेया की भी मौत हो गई है। अब पोल्ट्री फार्म से मुर्गियों के सैंपल को भी जांच के लिए भेजा गया है, जिससे पता चल सके कि कहीं मुर्गियां भी तो इससे संक्रमित नहीं हैं अभी जहां भी संक्रमण देखा गया है, वहां पर अभी सब कुछ बंद करवा दिया गया है। जैसे जांच रिपोर्ट आती है, उसी हिसाब से आगे देखा जाएगा।"

मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में बर्ड फ्लू के संक्रमण में आने से कौवों की मौत हो गई है। फोटो: अशोक परमार

मध्य प्रदेश के इंदौर और मंदसौर में भी कौओं में बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई है। मंदसौर कोर्ट परिसर में पिछले कई दिनों कौवों की मौत हो रही थी, जिसपर किसी का ध्यान नहीं गया, जब पशुपालन विभाग को इसकी जानकारी हुई तो कौवों के सैंपल को लेकर भोपाल भेजा, जहां पर बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई।

पशुपालन विभाग मंदसौर के उपनिदेशक डॉ मनीष इंगोले ने गाँव कनेक्शन को बताया, "26-27 दिसंबर से कौवों के मौत की जानकारी हमारे पास आयी थी, इसके बाद हमारे यहां के स्थानीय जिला पशु चिकित्सालय में हमने एक कौए का पोस्टमार्टम भी किया था। उसमें ऐसे कोई लक्षण नहीं दिखे थे। हमें उनमें भूख से मौत के लक्षण ही दिखे थे। इसके बाद हमारे यहां के डॉक्टरों की संयुक्त टीम ने भी पोस्टमार्टम किया, तब भी हमें वही लक्षण दिखा। जब इनकी मौत की संख्या बढ़ने लगी तो हमने चार मृत कौवों के सैंपल स्टेट लेवल पर जांच के लिए भेजे, जहां से उन्हें भोपाल भेज दिया गया। हमें वहां से ईमेल के जरिए एवियन इन्फ्लूएंजा की पुष्टि की गई है। अभी तक हमारे यहां 100-150 कौवों की मौत हुई है।"

इंसानों में फैलने की बात को लेकर वो कहते हैं, "बर्ड फ्लू जूनोटिक बीमारी होती है, अगर लगातार संक्रमित पक्षियों के संपर्क में बने रहते हैं, तो हो सकता है कि ये फैल जाए, लेकिन हम शुरू से ही सावधानी बरत रहे हैं, इसमें हम मृत पक्षियों को जलाने के बाद जमीन में गाड़ दे रहे हैं। कलेक्टर का निर्देश है कोई भी डेड बर्ड मिलती है तो उसे जला दें और स्वास्थ्य विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि जहां पर संक्रमित कौए पाए गए हैं वहां के एक किमी के दायरे में रहने वाले परिवारों की भी जांच कर ली जाए, कि इंसानों में जो भी बर्ड फ्लू के लक्षण दिखते हैं वो तो नहीं हैं। अभी यहां पर पोल्ट्री पर इसके कोई केस नहीं आए हैं।

हिमाचल प्रदेश के पोंग बांध झील में हर साल सर्दियों में हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं।

हिमाचल प्रदेश के पोंग बांध झील में हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां पर भी लगभग 1800 प्रवासी पक्षी मृत पाए गए हैं। हिमाचल प्रदेश से पक्षियों को जांच के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान संस्थान में भेजा गया था, जहां पर इसकी पुष्टि हो गई है। कांगड़ा जिले में स्थित पोंग बांध झील में तिब्बत, रसिया, साइबेरिया और मंगोलिया जैसे देशों से हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। नवंबर महीने तक यहां पर लगभग 20,000 प्रवासी पहुंच चुके थे, जबकि साल 2019 में यहां पर लगभग 1.6 लाख प्रवासी पक्षी पहुंचे थे। यहां पर 60 प्रवासी पक्षियों सहित कुल 114 किस्म के पक्षी सर्दियों में रहते हैं।

साल 2016 में भी केरल के अलपुझा जिले में बर्ड फ्लू फैला था, जिससे 157766 पक्षी संक्रमित हो गए थे, यहां पर 21131 पक्षियों को मार दिया गया था। यहां पर अक्टूबर 2016 से जून 2017 तक संक्रमण फैला रहा है। मार्च, 2020 में भी मध्य प्रदेश और केरल के कुछ इलाके में बर्ड फ्लू का संक्रमण देखा गया था, लेकिन समय रहते इसे काबू कर लिया गया था।

कोरोना की अफवाहों के बाद बर्ड फ्लू डाल सकता है पोल्ट्री व्यवसाय पर असर

कोरोना वायरस के अफवाहों के चलते पहले ही लोगों ने चिकन और अंडे से दूरी बना ली थी, जिससे इसे जुड़े लोग घाटे में जा रहे थे। ऐसे में बर्ड फ्लू की वजह से एक बार फिर पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों को झटका लग सकता है।

बर्ड फ्लू की वजह से एक बार फिर पोल्ट्री व्यवसाय से जुड़े लोगों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। फोटो: दिवेंद्र सिंह

पोल्ट्री फार्मर्स (ब्रॉयलर) वेलफेयर फेडरेशन के सचिव संजय शर्मा कहते हैं, "पहले कोरोना के अफवाहों के चलते पूरे देश में पोल्ट्री से जुड़े लोगों को काफी नुकसान उठाना पड़ा था, जबकि चिकन और अंडे से कोरोना कुछ लेना देना नहीं था। इसी तरह अभी कहीं भी पोल्ट्री में बर्ड फ्लू का संक्रमण नहीं देखा गया है, इसलिए लोग अभी से डरें नहीं, इससे लाखों लोगों का रोजगार जुड़ा है।

इंसानों के लिए कितना खतरनाक है बर्ड फ्लू

H5N1 एक तरह का इन्फ्लूएंजा वायरस होता है, ये एक इंसान से दूसरे इंसान में आसानी से नहीं पहुंचता है, लेकिन जब संक्रमण होता है तो मृत्यू दर 60% प्रतिशत होती है। इंसानों में संक्रमण मृत से जिंदा संक्रमित पक्षियों से होता है। पूरी तरह पका मांस खाने से ये संक्रमण नहीं फैलता है, ये वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है।

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