बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा : भाजपा ने राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की
गाँव कनेक्शन 5 July 2017 11:28 PM GMT
कोलकाता (भाषा)। भाजपा ने आज केंद्र से पश्चिम बंगाल में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाने और राज्य में 'बिगड़ती कानून व्यवस्था' का आकलन करने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजने की मांग की। भाजपा ने एक 'आपत्तिजनक ' फेसबुक पोस्ट के बाद सोमवार को उत्तर 24 परगना जिले में हुए सांप्रदायिक संघर्षों के बाद यह मांग की। घटना के बाद सरकार ने स्थिति को नियंत्रित करने में स्थानीय प्रशासन की मदद करने के लिए वहां सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के 400 जवान भेजे।
बंगाल भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने संवाददाताओं से कहा, ''हम केंद्र से राज्य में तत्काल हस्तक्षेप करने और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग करते हैं। केंद्र राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था के आकलन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षकों का एक दल भेजे।'' घोष ने साथ ही कहा कि वह बंगाल को राष्ट्रपति शासन के अधीन लगाने की अपनी मांग को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय और प्रधानमंत्री कार्यालय को पत्र लिखेंगे। उन्होंने ममता बनर्जी सरकार पर राज्य में अल्पसंख्यक वोटों को लक्षित करते हुए ''तुष्टीकरण की राजनीति'' करने का आरोप लगाया।
Disturbing pics from Baduria , North 24 Parganas, West Bengal #Mamata and secular media r sleeping pic.twitter.com/D4r8KUldro
— Sidharth Nath Singh (@sidharthnsingh) July 5, 2017
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प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने कहा, ''उत्तर 24 परगना जिले के बदुरिया इलाके की घटना तुष्टीकरण की राजनीति का साफ उदाहरण है। हिंदुओं के घर एवं दूसरी संपत्तियां जला दी गयीं, वहां लूटपाट की गयी, लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही। राज्यपाल के हस्तक्षेप करने पर केंद्रीय बलों को बुलाया गया। केवल वोट बैंक की राजनीति के लिए दंगे होने दिए गए।'' उन्होंने आरोप लगाया कि तृणमूल कांग्रेस सरकार के अधीन राज्य जेहादियों के लिए एक ''सुरक्षित पनाह'' बन गया है।
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