संपत्ति की खरीद-फरोख्त में नहीं हो सकेगी हेराफेरी, ब्लॉकचेन तकनीक दूर करेगा भ्रष्टाचार

देश में संपत्ति से जुड़े अभिलेखों में अक्सर खरीदारों के साथ हेरा-फेरी और भ्रष्टाचार से जुड़ी तरह-तरह की खबरें सामने आती रहती हैं।

Kushal MishraKushal Mishra   28 Jun 2018 8:15 AM GMT

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संपत्ति की खरीद-फरोख्त में नहीं हो सकेगी हेराफेरी, ब्लॉकचेन तकनीक दूर करेगा भ्रष्टाचार

देश में संपत्ति से जुड़े अभिलेखों में अक्सर खरीदारों के साथ हेरा-फेरी और भ्रष्टाचार से जुड़ी तरह-तरह की खबरें सामने आती रहती हैं। भारत में ऐसे मामलों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। मगर अब इस डिजिटल युग में ब्लॉकचेन एक ऐसी नई क्रांतिकारी तकनीक है, जो संपत्ति से जुड़े मामलों को कहीं अधिक विश्वसनीय और सुरक्षित बनाएगी।

असल में ब्लॉकचेन तकनीक पूरी दुनिया में एक नए प्रकार के इंटरनेट के रूप में सामने आया है और इस तकनीक का उपयोग भू-अभिलेखों के रखरखाव के लिए किया जा सकता है। यह तकनीक अनगिनत तरीकों से भू-अभिलेखों को न सिर्फ बिना किसी छेड़छाड़ के सरल, सुरक्षित और पारदर्शी बनाएगी, बल्कि करोड़ों लोगों के जीवन को समृद्ध कर सकती है।
हरियाणा के पंचकुला शहर में भूमि की रजिस्ट्री को सुरक्षित और पारदर्शी बनाने के लिए छोटे स्तर पर इस ब्लॉकचेन तकनीक की एक सहयोग परियोजना भी बनाई गई है। हालांकि इससे पहले यह जानना जरूरी है कि भूमि की रजिस्ट्री के लिए क्या समस्याएं हैं और इन समस्याओं को हल करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करने की आवश्यकता क्यों हैं?
भारत में जमीन की खरीद-फरोख्त लंबी और थकाऊ प्रक्रिया है और भू-अभिलेखों से जुड़े दस्तावेजों के नकली होने की संभावनाएं भी काफी हैं। ऐसे में खरीदार से धोखाधड़ी की संभावनाएं बढ़ जाने की समस्याएं सामने आती हैं।


हैकर से मिलेगी सुरक्षा
दूसरी ओर डिजिटल मुद्रा से जुड़ी यह ब्लॉकचेन तकनीक दुनिया में ऑनलाइन लेनदेन के लिए जानी जाती है और इसका लेनदेन कोड आधारित होता है, यानि यह एक सार्वजनिक प्रणाली है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से कभी भी देखा सकता है। यह तकनीक इतनी शक्तिशाली है कि कोई भी हैकर इसको तोड़ नहीं सकता है।
नहीं हो सकेगा नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल
विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे यह ब्लॉकचेन तकनीक ऑनलाइन लेनदेन के लिए प्रभावी है, उसी तरह यह रियल एस्टेट क्षेत्र में बहुत पारदर्शी, सुरक्षित और भ्रष्टाचार रहित रहेगी और लेनदेन करने के तरीकों में न सिर्फ बदलाव करने में सक्षम होगी, बल्कि नकली दस्तावेजों का इस्तेमाल भी नहीं हो सकेगा। ब्लॉकचेन तकनीक से इस प्रथा के खत्म होने की उम्मीद है।
ब्लॉकचेन तकनीक लागू करने वाला स्वीडन पहला देश
यूरोप में स्वीडन पहला ऐसा देश है कि जहां साल 2016 में संपत्ति के लेनदेन के लिए ब्लॉकचेन तकनीक को लागू किया गया। वहीं भारत में आंध्र प्रदेश राज्य के दो विभागों (सिविल सप्लाइज और लैंड रजिस्ट्रेशन) में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर ब्लॉकचेन तकनीक को शुरू किया गया। इसके अलावा हरियाणा में भी पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इस तकनीक को शुरू किया गया है।
जैसे कोई भूमि का लेनदेन करना चाहता है
उदाहरण के लिए, यदि कोई खरीदार और विक्रेता भूमि का लेनदेन करना चाहते हैं और बातचीत के बाद स्थानीय अधिकारियों के साथ भू-अभिलेखों को पंजीकृत करना चाहते हैं तो वे अपने अभिलेखों के साथ सरकारी कार्यालय में जाएंगे।
ब्लॉकचेन तकनीक से लैस संबंधित सरकारी कार्यालय जब खरीदार और विक्रेता के बिक्री प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा तो इस तकनीक में खरीदार और विक्रेता की उपस्थिति में भू-अभिलेखों को स्वीकार करता है और पंजीकृत करता है। भू-अभिलेखों में दोनों पक्षों के हस्ताक्षर के बाद लेनदेन को अगले चरण में मंजूरी के लिए आगे बढ़ाता है। खरीदार और विक्रेता के बीच लेनदेन की मंजूरी मिलने के बाद इस तकनीक की मदद से अपने आप ही स्वामित्व का हस्तांतरण पूरा हो जाता है।


लेनदेन का लेखाजोखा भी रहेगा सुरक्षित
इस तकनीक की विशेषता यह है कि इस सिस्टम में भूमि से जुड़े अभिलेखों को भी संभाल कर रखा जा सकेगा और उसके मालिकों का पूरा विवरण होगा। वहीं भू-अभिलेखों की पारदर्शिता, सटीकता और दक्षता होती है और अधिकारी भविष्य में संपत्ति और उसकी बिक्री कार्य की स्थिति को देखने और निगरानी करने में सक्षम होंगे। साथ ही हर संपत्ति के लेनदेन का इतिहास भी सुरक्षित रखने के साथ कभी भी देखा जा सकेगा।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शक्तिशाली ढंग से काम करने वाली ब्लॉकचेन तकनीक नागरिकों में आत्मविश्वास को भी बढ़ाएगा। इसके अलावा डाटा सुरक्षा करने के साथ भूमि अभिलेखों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करेगा।
भूकंप की स्थिति में भी कारगार
इससे इतर वर्ष 2010 में कैरेबियन देश हैती में विनाशकारी भूकंप आया। हालांकि कई देशों और संगठनों ने हैती के पुन:निर्माण में मदद करने की पूरी कोशिश की, मगर सबसे बड़ी बाधा यह रही कि हजारों भूखंड ऐसे थे, जहां सही मालिक की पहचान नहीं हो सकी और कई मामलों में स्वामित्व विवाद में थे और सरकार पर स्वामित्व के मुद्दों को लेकर बड़ा प्रभाव पड़ा। अब तक जहां भूमि रजिस्ट्री प्रणाली भ्रष्टाचार ओर अक्षमता से भरी है, ऐसी स्थिति में ब्लॉकचेन तकनीक स्वामित्व की स्थिति, संपत्ति के इतिहास की सच्चाई का एक मान्य स्त्रोत बना देगा।
सौजन्य: www.undp.org

    

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