बजट 2018-19: आवंटन की तुलना में 1.27 लाख करोड़ रुपए कम ख़र्च हुए, खाद्य विभाग ने ख़र्च नहीं किए 70 हज़ार करोड़ रुपए

बजट के दौरान वित्त मंत्री विभिन्न मंत्रालयों और विभागों को पूरे वित्त वर्ष के लिए बजट का आवंटन करते हैं। किस मंत्रालय या विभाग को कितनी राशि मिली इसकी चर्चा तो होती है, लेकिन आवंटित राशि में कितना ख़र्च हुआ इसकी चर्चा नहीं होती। आवंटित राशि और ख़र्च की गई राशि के बारे में जानने के लिए हमने सरकारी आंकड़े देखे। ख़र्च के उपलब्ध आंकड़े वित्त वर्ष 2018-19 के हैं। जब हमने इन आंकड़ों की पड़ताल की तो नतीजे चौंकाने वाले थे।

Israr Ahmed SheikhIsrar Ahmed Sheikh   28 Jan 2021 10:30 AM GMT

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union budget 2021-22, budget 2021 22, general budget 2021, budget 2021स्वास्थ्य और स्वास्थ्य पर कई महत्वपूर्ण घोषणाएं हो सकती हैं।

नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने बजट अनुमानों से कम राशि ख़र्च की है। कम राशि ख़र्च करने वाले ज़्यादातर ऐसे मंत्रालय और विभाग हैं जिन पर समाज कल्याण की योजनाएं चलाने की ज़िम्मेदारी है। ये सब ऐसे वक़्त में हो रहा है जब संयुक्त राष्ट्र के सस्टेनेबल डवेलेपमेंट गोल्स को पूरा करने में भारत पिछड़ रहा है।

पिछले साल यानी एक फ़रवरी 2020 को पेश वित्त वर्ष 2020-21 के बजट डॉक्यूमेंट में वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वास्तविक ख़र्च का ब्यौरा दिया गया है। इस बजट डॉक्यूमेंट के मुताबिक़ वित्त वर्ष 2018-19 में केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने कुल 2,315,112.61 करोड़ रुपए ख़र्च किए। जबकि वित्त वर्ष 2018-19 के लिए एक फ़रवरी 2018 को पेश बजट अनुमानों में 2,442,213.30 करोड़ रुपए ख़र्च का आवंटन किया गया था, जिसे संशोधित अनुमानों में 0.61% बढ़ाकर 2,457,235.02 करोड़ रुपए कर दिया गया था।

वित्त वर्ष 2018-19 के बजट के संशोधित अनुमानों के आंकड़े वित्त वर्ष 2019-20 के बजट डॉक्यूमेंट में देखे जा सकते हैं। वित्त वर्ष की पहली छमाही पूरी होने के बाद बजट घोषणा में दिए गए ख़र्च और राजस्व के अनुमानों की समीक्षा की जाती है। पहली छमाही के ख़र्च और राजस्व के आधार पर बजट अनुमानों में जो बदलाव किया जाता है उसे संशोधित अनुमान कहते हैं।

इस तरह से केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने वित्त वर्ष 2018-19 में बजट अनुमानों के मुक़ाबले 5.2% यानी 127,100.69 करोड़ रुपए की राशि कम ख़र्च की। अगर इसकी तुलना संशोधित बजट अनुमानों से की जाए तो कम ख़र्च होने वाली रक़म 5.8% यानी 142,133.41 करोड़ रुपए बैठती है। यह रकम वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में केंद्र की तरफ़ से स्वास्थ्य पर ख़र्च होने वाली प्रस्तावित राशि (65,011.80 करोड़ रुपए) का लगभग दोगुनी है।

समाज कल्याण की योजनाएं चलाने वाले विभागों में पैसे की कटौती

केंद्र सरकार की प्रायोजित योजनाओं के लिए वित्त वर्ष 2018-19 के बजट अनुमानों में 305,517.12 करोड़ रुपए ख़र्च करने का प्रस्ताव था, जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 304,849.37 करोड़ रुपए कर दिया गया लेकिन ख़र्च किए गए 296,028.85 करोड़ रुपए। केंद्र की योजनाओं में बजट अनुमानों के मुक़ाबले 9,488.27 करोड़ रुपए कम ख़र्च किए गए। संशोधित अनुमानों के मुक़ाबले कम ख़र्च की गई राशि थी 8,820.52 करोड़ रुपए थी।

राष्ट्र के विकास पर केंद्रित केंद्र सरकार की कोर स्कीमों पर वित्त वर्ष 2018-19 में 212,614.16 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए जबकि बजट अनुमानों में ये राशि 227,826.37 करोड़ रुपए थी। संशोधित अनुमानों में इस राशि को घटाकर 220,487.67 करोड़ रुपए कर दिया गया था। यानी केंद्र सरकार की फ़्लैगशिप योजनाओं पर बजट अनुमानों के मुक़ाबले 15,212.21 करोड़ रुपए और संशोधित अनुमानों के मुक़ाबले 7,873.51 करोड़ रुपए कम ख़र्च किए गए।

वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान ख़र्चों में जो कटौती हुई उसका सबसे ज़्यादा असर उन मंत्रालयों और विभागों पर पड़ा जिनके ऊपर समाज कल्याण की योजनाएं चलाने की ज़िम्मेदारी है।

खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग

ग़रीबी की रेखा से नीचे रह रहे लोगों तक राशन पहुंचाने की ज़िम्मेदारी खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग पर है। इस विभाग को 2018-19 के बजट में 174,045 करोड़ रुपए की राशि आवंटित की गई, जिसे संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 176,645.94 करोड़ रुपए कर दिया गया।

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वित्त वर्ष 2018-19 में इस विभाग ने कुल राशि ख़र्च की 107,077.98 करोड़ रुपए। यानी बजट आवंटन से 66,967.03 करोड़ रुपए कम। संशोधित अनुमानों से तुलना करें तो ये अंतर 69,567.96 करोड़ रुपए बैठता है। कम पैसे ख़र्च करने का ख़ामियाज़ा इस विभाग को अगले बजट में उठाना पड़ा। वित्त वर्ष 2019-20 के बजट में इस विभाग को 192,240.39 करोड़ रुपए आवंटित किए गए जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 115,240.39 करोड़ रुपए कर दिया गया। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश बजट में भी इस विभाग के लिए 2018-19 के बजट से कम राशि, 122,235.43 करोड़ रुपए प्रस्तावित की गई है।

महिला और बाल विकास मंत्रालय

महिला और बाल विकास मंत्रालय को वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 24,700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए जिसे संशोधित अनुमानों में थोड़ा बढ़ाकर 24,758.62 कर दिया गया। इस विभाग ने पूरे वित्त वर्ष में 23,025.59 करोड़ रुपए ख़र्च किए जो बजट आवंटन और संशोधित अनुमानों दोनों से कम था। देश भर से कुपोषण को ख़त्म करने की अहम ज़िम्मेदारी इसी मंत्रालय पर है।

भुखमरी और कुपोषण पर असर

सस्टेनेबल डवेलेपमेंट गोल्स (एसडीजी) पर 2019 में आई नीति आयोग की की रिपोर्ट बताती है कि भुखमरी के मामले में देश का औसतन स्कोर 100 में से 35 है। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में से 23 का स्कोर लाल निशान में यानी 50 से कम है। उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे बड़े राज्यों का, जहां देश की 24% जनसंख्या रहती है, स्कोर भुखमरी में 100 में से क्रमश: 31 और 26 है।

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यह रिपोर्ट बताती है कि देश की 21.92% आबादी ग़रीबी की रेखा से नीचे है। कोविड-19 महामारी के बाद से इसके बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। ये रिपोर्ट कहती है कि देश में 36.4% गर्भवती महिलाओं को ही मातृत्व योजनाओं का लाभ मिल पाता है, पांच साल से कम उम्र के 34.7% बच्चों का क़द उनकी उम्र के लिहाज़ से कम है, चार साल तक की उम्र के 33.4% बच्चों का वज़न उनकी उम्र के हिसाब से कम है, छह से 59 महीने की उम्र के 40.5% बच्चे अनीमिक हैं और 15 से 49 साल की उम्र की आधी से ज़्यादा (50.3%) महिलाएं अनीमिक हैं।

सबसे ख़राब हालत दमन और दीव की है जिसे नीति आयोग की रिपोर्ट में 100 में से सिर्फ़ 12 का स्कोर मिला है।

शिक्षा

स्कूल और साक्षरता विभाग पर स्कूली शिक्षा और प्रौढ़ शिक्षा की ज़िम्मेदारी है। इस विभाग को वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 50,000 करोड़ रुपए आवंटित किए गए जिसे संशोधित अनुमानों में थोड़ा बढ़ा कर 50,113.75 करोड़ रुपए कर दिया गया लेकिन पूरे वित्त वर्ष में इस विभाग ने 48,440.57 करोड़ रुपए ख़र्च किए। विभाग ने बजट में आवंटित रक़म से 1,559.43 करोड़ रुपए और संशोधित अनुमानों से 1,673.18 करोड़ रुपए कम ख़र्च किए।

उच्च शिक्षा विभाग के लिए 2018-19 के बजट में 35,010.29 करोड़ रुपए आवंटित किए गए। जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 33,512.11 करोड़ रुपए कर दिया गया। लेकिन पूरे वित्त वर्ष में इस विभाग ने 31,904.27 करोड़ रुपए ख़र्च किए। जो बजट आवंटन और संशोधित अनुमान दोनों से कम था।

सस्टेनेबल डवेलेपमेंट गोल्स में शिक्षा के मामले में भारत का स्कोर औसत से थोड़ा बेहतर, 58 रहा लेकिन देश के 8 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश ऐसे थे जहां यह स्कोर औसत से नीचे रहा। इन राज्यों में देश के दो बड़े राज्य उत्तर प्रदेश और बिहार भी शामिल हैं जिनका स्कोर क्रमश: 48 और 19 रहा।

स्वास्थ्य

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को 2018-19 के बजट में 52,800 करोड़ रुपए आवंटित किए गए जिसे संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 54,302.50 करोड़ रुपए कर दिया गया। इस विभाग ने पूरे वित्त वर्ष में 52,953.95 करोड़ रुपए ख़र्च किए, जो बजट आवंटन से तो थोड़ा ज़्यादा मगर संशोधित अनुमानों से 1,348.55 करोड़ रुपए कम रहा।

एसडीजी में स्वास्थ्य के मामले में देश का औसत स्कोर 61 था लेकिन फिर भी देश के चार राज्य इस मामले में पिछड़े हुए हैं। इसमें उत्तर प्रदेश और बिहार भी शामिल हैं, जिनका स्कोर क्रमश: 34 और 44 रहा।

पेयजल

पेयजल और स्वच्छता विभाग को वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में 22,356.60 रुपए आवंटित किए गए जिसे संशोधित अनुमानों में घटाकर 19,992.97 करोड़ रुपए कर दिया गया। इस पूरे वित्त वर्ष में इस विभाग ने 18,411.54 करोड़ रुपए की राशि ख़र्च की, जो बजट आवंटन और संशोधित अनुमानों दोनों से कम थी।

हालांकि एसडीजी में इस मामले में दिल्ली को छोड़कर देशभर का प्रदर्शन काफ़ी बेहतर रहा है। देश का औसत स्कोर 88 रहा मगर लक्ष्य (100) हासिल करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

कृषि और किसान कल्याण

कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग को 2018-19 के बजट में 46,700 करोड़ रुपए आवंटित किए गए, जिसे संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 67,800 करोड़ रुपए कर दिया गया। इस पूरे वित्त वर्ष में इस विभाग ने 46,076.19 करोड़ रुपए ख़र्च किए, जो बजट आवंटन और संशोधित अनुमानों दोनों से कम था।

पिछले बजट

हाल के वर्षों में इससे पहले आवंटन और ख़र्च में इतना फ़र्क वित्त वर्ष 2014-15 के बजट में दिखा था। तब बजट में विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के लिए 1,794,891.96 करोड़ रुपए आवंटित किए गए थे जिसमें से 1,663,673.05 करोड़ रुपए ख़र्च किए गए। यानी आवंटन से 1,31,218.91 (7.31%) करोड़ रुपए कम।

  

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