बजट 2018: किसानों ने कहा मिले बाजार व सही दाम ताकि सड़क पर न फेंकना पड़े फसल उत्पाद 

Divendra SinghDivendra Singh   31 Jan 2018 4:39 PM GMT

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बजट 2018: किसानों ने कहा मिले बाजार व सही दाम ताकि सड़क पर न फेंकना पड़े फसल उत्पाद बढ़ रही लागत नहीं बढ़ा मुनाफा

एक फरवरी को आम बजट पेश हो रहा है, 2018-19 के इस बजट से जैसे उद्योगपतियों व अन्य वर्गों को उम्मीद है, वैसे ही किसान भी बजट से काफी सपने संजोए बैठे हैं। किसान अपनी फसलों के दाम जहां डेढ गुना करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।

सोमवार को संसद में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण के साथ बजट के पहले सत्र की शुरुआत हुई। बजट सत्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, ''किसानों की आय बढ़ाने के लिए डेयरी सेक्टर में 11,000 करोड़ रुपए की ‘डेयरी प्रसंस्करण और अवसंरचना विकास निधि’ के द्वारा एक महत्त्वाकांक्षी योजना प्रारंभ की गई है।"

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लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने अभिभाषण में कहा कि सरकार आर्थिक परिस्थिति को मजबूत करने को काम कर रही है।

मेरठ जिले के पाली गाँव के किसान भंवर सिंह (54 वर्ष) बताते हैं, "किसान कभी घटतौली का शिकार होता है, तो कभी फसल का भाव कम मिलने का। उन्हें उम्मीद है कि उनकी फसलों के दाम डेढ़ गुना बढ़ाए जाएं ताकि सरकार का किसानों की आय दोगुनी करने के दावे साकार हो सकें।

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संसद के समक्ष अपने अभिभाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि किसानों की तकलीफों का समाधान सरकारी की उच्च प्राथमिकता है। सरकारी योजनाएं किसानों की चिंता कम कर रही हैं। इससे खेती की लागत घटी है और कईसकारात्मक परिणाम मिले हैं। उन्होंने कहा भारत सरकार 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने और 2019 तक हर गांव को सड़क से जोड़ने के तहत सारे जरूरी कदम उठा रही हैं। तमाम ज्वलंत सवालों के साथ राष्ट्रपति ने खेती बाड़ी कीचुनौतियों और सरकारी प्रयासों को खास अहमियत दी और कहा कि अनाज और फल सब्जी उत्पादन में व्यापक बढोत्तरी सरकारी नीतियों और किसानों की कड़ी मेहनत का फल है।

सरकार को किसान आयोग का गठन करना चाहिए, आयोग में किसानों के प्रतिनिधि रखे जाएं, ताकि वे किसानों को हर-छोटी बड़ी परेशानी को सरकार तक पहुंचा सकें। इसके अलावा बजट में किसानों की फसल के दाम कम से कम डेढ गुना तक बढाए जाए।
राकेश टिकैत, राष्ट्रीय प्रवक्ता, भारतीय किसान यूनियन

कन्नौज जिले के सौरिख ब्लॉक के नगला विशुना गाँव के किसान राकेश चन्द्र (55 वर्ष) कहते हैं,‘‘डीजल के काफी दाम बढ़ गए हैं। फसलों के दाम भी बढ़ने चाहिए। आलू खरीदने को बेहतर इंतजाम किए जाएं। खाद और कीटनाशक के दाम कम किए जाएं। सीमेंट, मौरंग और गिट्टी दोगुने से अधिक रेट पर पहुंच गई है। किसान मकान नहीं बनवा पा रहे हैं। इसे कम किया जाए।’’

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कृषि विकास दर में कमी इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य के पूरा होने पर सवालिया निशान लगा रही है। इस बारे में ललितपुर जनपद से 40 किमी महरौनी तहसील के सामाजिक कार्यकर्ता सूर्यकान्त त्रिपाठी (33 वर्ष) बताते हैं, "किसानों की आत्महत्या और उपज के सही दाम न मिल पाना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। सरकार कोई ठोस पहल करे और इसके लिए एक उपाय मनेरगा जैसी रोजगार गारंटी योजना में राशि के आवंटन को बढ़ाना हो सकता है] जिससे पलायन जैसे अभिश्राप से किसानों, मजदूरों को मुक्ती मिल सके("

कृषि क्षेत्र में छाए संकट को दूर करने के लिए सरकार क्या उपाय कर रही है, यह सवाल अहम है। पिछले बजट में सरकार ने अगले पांच वर्षों में किसानों की आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है! इस लक्ष्य से किसान कोसों दूर हैं इस बारे में सूर्यकान्त त्रिपाठी बताते हैं, "किसानों को उपज और बाजार के दामों में अंतर की भरपाई के लिए सरकार सरकार को कदम बढ़ाना चाहिए, जिससे कृषि क्षेत्र में हो रहे घाटे की भरपाई हो सके।"

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मिले छुट्टा जानवरों से मुक्ति

पिछले कुछ वर्षों में अन्ना पशुओं ने किसानों के नाक में दम कर रखा है, किसानों को मजबूरन रात दिन खेतों में काटनी पड़ती है। 19वीं पशुगणना के मुताबिक देश के 51 करोड़ मवेशियों में से गोवंश (गाय-सांड, बैंड बछिया, बछड़ा) की संख्या 19 करोड़ है। उत्तर प्रदेश में दो करोड़ 95 लाख गोवंश हैं। हालांकि इनमें से छुट्टा जानवर कितने हैं, इसकी संख्या ज्ञात नहीं है। देश में हो रही 20वीं पशुगणना में छुट्टा पशुओं की अलग से गणना हो रही है। दूध उत्पादन में दुनिया में भारत नंबर एक है तो देश में यूपी सबसे आगे, लेकिन इसी प्रदेश में इन गायों की संख्या की सबसे ज्यादा बताई जाती है।

गोंडा के खोंरहसा गाँव के किसान परवेज अहमद (35 वर्ष) कहते हैं, "किसानों को छुट्टा जानवर से मुक्ति दिलायी जाए, अन्यथा छोटे किसान मजदूर बन जाएंगे। इससे उत्पादन पर असर पड़ रहा है, शहर के किनारे किसान अपनी खेती करना छोड़ रहे हैं। कारण दिन रात की खेत रखवाली संभव नहीं हैं।"

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