यूपी: उपद्रवियों के साथ पकड़े गए एक्टिविस्ट, परिवार के लोगों ने कहा- वो धरना देने गए भी नहीं
Ranvijay Singh 24 Dec 2019 9:31 AM GMT
लखनऊ। ''पुलिस ने पहले मेरे पति को नजरबंद किया और बाद में दंगा भड़काने के आरोप में 20 दिसंबर को पकड़ कर ले गई। वो तो धरना देने गए भी नहीं थे। पता नहीं जेल में कैसे रह रहे होंगे, दवा ले पा रहे हैं या नहीं।'' यह कहते हुए 67 साल की मल्का बी का गला भर आता है। मल्का बी के पति रिहाई मंच के अध्यक्ष और वकील मो. शोएब हैं, उन्हें नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में 19 दिसंबर को लखनऊ में हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किया गया है।
लखनऊ पुलिस ने 19 दिसंबर को हुई हिंसा के लिए 33 केस फाइल किए हैं, वहीं 48 लोगों को गिरफ्तार किया है। हालांकि इन गिरफ्तारियों में कई ऐसे नाम शामिल हैं जो सिविल सोसाइटी से जुड़े हुए हैं या सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जैसे - रिहाई मंच के अध्यक्ष मो. शोएब, कांग्रेस प्रवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर, रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी, रंगमंच कलाकार दीपक कबीर और स्थानीय डिग्री कॉलेज में शिक्षक रॉबिन वर्मा। इनमें से रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी और रिहाई मंच के अध्यक्ष मो. शोएब 70 साल पार के बुजुर्ग हैं। ऐसे में पुलिस द्वार की गई इन गिरफ्तारियों पर सवाल भी उठ रहे हैं।
इन गिरफ्तारियों पर बात करते हुए लखनऊ के पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) सुरेश चन्द्र रावत कहते हैं, 'लखनऊ के पूर्वी क्षेत्र से 44 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। इसमें ज्यादातर स्थानीय ही हैं। इनकी उम्र 18 से 40 साल तक है।' सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों की गिरफ्तारी पर वो कहते हैं, 'क्रिमिनल क्रिमिनल होता है, इससे कोई ज्यादा मतलब नहीं कि वो किससे जुड़ा है। पुलिस के पास इन लोगों के विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य मौजूद हैं।'
हालांकि, गिरफ्तार हुए सिविल सोसाइटी और सामाजिक कार्यकर्ताओं के परिवार से जुड़े लोगों का कुछ और ही दावा है। रिहाई मंच के अध्यक्ष और वकील मो. शोएब की पत्नी मल्का बी कहती हैं, ''18 दिसंबर को ही घर के बाहर पुलिस आ गई थी, 19 दिसंबर को लखनऊ में प्रदर्शन था। उस रोज शोएब साहब को बाहर जाने ही नहीं दिया गया, वो दिन भर घर में ही रहे। फिर 19 तारीख की रात पौने बारह बजे पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर ले गई।''
मो. शोएब जिस दिन गिरफ्तार किए गए उस दिन को याद करते हुए मल्का बी बताती हैं, ''19 की रात में हम लॉबी में बैठे थे। तभी तीन पुलिस वाले आए और कहा कि सर को बुला दीजिए। उनसे कहा गया कि सीओ साहब बुला रहे हैं, यहीं नजीराबाद में बैठे हैं, हमारे साथ चलिए फिर आ जाइएगा। वो उसी हाल में उनके साथ चले गए, न मोबाइल लिया, न ही चश्मा। फिर उसके बाद हमें कोई सूचना नहीं मिली कि वो कहां हैं। रात के एक बज गए और मैं बहुत परेशान थी। वो दिल के मरीज हैं तो यह भी फिक्र हो रही थी कि वो दवा ले गए हैं या नहीं।''
''हमारे एसएसपी लखनऊ का नंबर मिला तो हमने उनको कॉल किया और बताया कि हमारे पति को पुलिस ले गई है, उनका कुछ पता नहीं चल रहा। इसके बाद दो पुलिस वाले घर आए और कहा कि आप परेशान न हों और उनकी दवा लेकर चले गए। लेकिन हम रात भर वैसे ही बैठे रहे। अगले दिन (20 दिसंबर) भी हमें उनकी कुछ जानकारी नहीं हुई। फिर 21 दिसंबर को पता चला कि उन्हें जेल भेज दिया गया है।'' - मल्का बी कहती हैं
मो. शोएब की तरह ही रिटायर्ड आईपीएस एसआर दारापुरी को भी पुलिस ने पहले नजरबंद किया था और हिंसा के बाद वो गिरफ्तार कर लिए गए। 19 दिसंबर की सुबह 10.40 पर एसआर दारापुरी ने अपने फेसबुक पर एक तस्वीर पोस्ट करते हुए लिया था- ''आज सुबह-सुबह मेरे घर पर "भारत बचाओ" प्रदर्शन से डरी सरकार द्वारा मेरी हाऊस अरेस्ट के लिए पुलिस की घेराबंदी।'' इसके बाद उन्होंने दिन के 12 बजे फेसबुक पर एक तस्वीर साझा की जिसमें वो एक तख्ती लिए हुए थे, जिसपर लिखा था- नागरिकता बचाओ। इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा था, ''हाउस अरेस्ट में भी विरोध जारी।''
एसआर दारापुरी की गिरफ्तारी पर उनके बेटे वेद कुमार बताते हैं, ''19 दिसंबर को उन्हें हाउस अरेस्ट कर लिया गया था। वो घर पर ही बैठे थे। एक सिपाही 19 दिसंबर को तीन बजे तक बैठा था। पिताजी कहीं बाहर गए नहीं। उन्होंने टीवी पर जब हिंसा देखी तो परेशान भी हो गए थे कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।''
वेद कुमार बताते हैं, ''अगले दिन (20 दिसंबर) 11.45 पर बोलेरो गाड़ी से पुलिस वाले आए। पिताजी ने उनसे मजाक में पूछा कि क्या भाई सरकार का मुझे अरेस्ट करने का इरादा तो नहीं है ? इसपर पुलिस वालों ने कहा कि नहीं सर बस एक बार चलिए और आ जाइएगा। उन्होंने कहा ठीक है, फिर दाढ़ी बनाई और चले गए। जब कुछ देर तक पता नहीं चला तो मैंने गाजीपुर थाने पर एक आदमी को भेजा कि पता लगाओ कि क्या हाल है। लेकिन थाने पर बताया गया कि वो यहां है नहीं।''
''फिर मेरी मां ने 112 पर शिकायत की। इसके थोड़ी ही देर बाद गाजीपुर स्टेशन से कॉल आई कि आपने ऐसी शिकायत की है, लेकिन सर तो थाने पर ही हैं। मैंने कहा बात कराइए तो कहा गया कि आप आकर मिल लीजिए। मैं नाश्ता लेकर गया और उन्हें दवाई भी दी। उसके बाद दिन में उनको खाना देने गया तो उन्होंने खाना भी खाया। जब 5 बजे पता किया तो जानकारी हुई कि उन्हें हजरतगंज थाने भेज दिया गया है। उन्होंने थाने से ही फोन किया कि खाना लेते आना, कुछ सर्दी के कपड़े लेते आना, जब मैं यह सामान लेकर गया तो वो मिले ही नहीं। वहां जानकारी हुई कि वो जेल चले गए हैं। इसके बाद से ही उनकी जमानत कराने के लिए दौड़ भाग कर रहा हूं।'' - वेद कुमार कहते हैं।
एसआर दारापुरी और मो. शोएब की ही तरह कांग्रेस प्रवक्ता और सामाजिक कार्यकर्ता सदफ जाफर को भी लखनऊ पुलिस ने 19 दिसंबर को हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। सदफ जाफर को लखनऊ के परिवर्तन चौक के पास से तब गिरफ्तार किया गया जब वो फेसबुक लाइव कर रही थीं, जिसमें उपद्रवियों की ओर से जलाई गई गाड़ियों को दिखाया गया है। उनकी फेसबुक पर इससे ठीक पहले भी कई लाइव वीडियो हैं जिसमें वो पुलिस से उपद्रवियों को पकड़ने की बात कहती दिख रही हैं। देखें सदफ जाफर के गिरफ्तारी के वक्त का फेसबुक लाइव-
सदफ जाफर के मामले में पुलिस पर उन्हें पीटने और प्रताड़ित करने का आरोप भी लग रहा है। जब हमने सदफ जाफर के परिवार वालों से बात करने की कोशिश की तो वो बहुत डरे हुए थे। नाम न लिखने की शर्त पर उन्होंने कहा, सदफ को पुलिस ने बहुत मार है, उन्हें इंटरनल इंजरी है। वो बस मौके पर वीडियो बनाकर उपद्रवियों की पहचान करा रही थीं। उनका हिंसा से कोई लेना देना नहीं है। हम लोग कानूनी सलाह ले रहे हैं, उनकी जमानत कराई जाएगी।
सदफ जाफर की रिहाई के लिए सोशल मीडिया में भी आवाज उठ रही है। वहीं, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भी इस मामले पर ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा- ''हमारी महिला कार्यकर्ता सदफ जाफर पुलिस को बता रही थीं कि उपद्रवियों को पकड़ो और उन्हें यूपी पुलिस ने बुरी तरह से मारा पीटा व गिरफ्तार कर लिया। वह दो छोटे-छोटे बच्चों की मां हैं। ये सरासर ज्यादती है। इस तरह का दमन एकदम नहीं चलेगा। हमारी महिला कार्यकर्ता को तुरंत रिहा करिए।''
इस मामले पर लखनऊ पुलिस ने भी अलग से बयान जारी किया है। लखनऊ के पुलिस अधीक्षक (पूर्वी) सुरेश चन्द्र रावत ने कहा है, ''सदफ जाफर को 19 दिसंबर को परिवर्तन चौक पर बलवा करते वक्त गिरफ्तार किया गया था। इनकी नियमानुसार गिरफ्तारी की गई थी और जेल भेजने से पहले इनका मेडिकल कराया गया था। इनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य हैं और इनके द्वारा जो भी आरोप पुलिस पर लगाए जा रहे हैं वो निराधार व असत्य हैं।''
#CAAProtest के दौरान सदफ़ जफ़र की गिरफ़्तारी के संबंध में पुलिस अधीक्षक पूर्वी @lkopolice का आधिकारिक वक्तव्य: #UPPolice pic.twitter.com/cswcdDH9ns
— UP POLICE (@Uppolice) December 22, 2019
अब तक 164 एफआईआर, 879 लोग गिरफ्तार
फिलहाल यूपी पुलिस की ओर से नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुई हिंसा के मामले में राज्य भर से गिरफ्तारियां हो रही हैं। यूपी पुलिस की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक 164 एफआईआर दर्ज की गई है। इसमें 879 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। 5312 लोगों को शांति भंग की आशंका में पाबंद किया गया है। इस हिंसा में 288 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, इनमें से 61 गोली लगने से घायल हुए हैं। पुलिस ने 647 खोखे बरामद किये हैं, 69 जीवित कारतूस और 35 अवैध तमंचे बरामद किए हैं।
यूपी पुलिस ने सोशल मीडिया के पोस्ट के आधार पर भी कार्रवाई की है। सोशल मीडिया की पोस्ट पर कार्रवाई करते हुए 76 एफआईआर दर्ज की गई हैं। 108 लोग गिरफ्तार किए गए हैं। 15344 पोस्ट के खिलाफ कार्रवाई हुई है। इसमें फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब शामिल है।
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