पत्नी का मंदिर: पूर्व कैप्टन ने बनवाया था मंदिर, रोज करते थे पूजा
Mohit Shukla 4 April 2019 7:47 AM GMT
लखनऊ। दुनिया की एक बड़ी आबादी फरवरी को प्यार के महीने के रूप में मनाती है। लोग अपने-अपने तरीकों से प्यार जताते हैं। कोई फूल देता है, कोई तोहफा। लेकिन कुछ लोग अपने प्यार के लिए कुछ भी कर जाते हैं। उत्तर प्रदेश में एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए मंदिर बनवा दिया था। लोग इसे प्यार वाला मंदिर भी कहते हैं।
उत्तर प्रदेश में लखनऊ से सटे सीतापुर जिले में फरीदपुर गांव में एक अनोखा मंदिर है। इस मंदिर के बारे में जो सुनता है, हैरान रह जाता है। क्योंकि ये मंदिर एक पत्नी की याद में बनवाया गया था। सीतापुर में महोली तहसील के फरीदपुर गांव के रामेश्वर दयाल मिश्र ने वर्ष 2008 में अपनी पत्नी आशा देवी की याद में इस मंदिर का निर्माण कराया था। रामेश्वर दयाल मिश्र सेना में थे और कुछ समय पहले उनकी भी मौत हो गई लेकिन मंदिर में उनके प्यार की 'पूजा' आज भी होती है।
पिता जी जब भी कहीं बाहर जाते थे तो माता जी को साथ ले जाते थे। उनकी मौत के बाद उन्होंने मंदिर बनवाया जिसमें उनकी मूर्ति लगवाई। वो उसकी रोज पूजा करते थे।
डॉ. मनोज मिश्र, कैप्टन रामेश्वर दयाल मिश्र के बेटे
कैप्टन रामेश्वर दयाल मिश्र के बेटे डॉ. मनोज कुमार मिश्र बताते हैं, ' पिताजी जब भी कहीं रिश्तेदारी या निमंत्रण में जाते थे तो माताजी के बिना नहीं जाते थे। अचानक माताजी (आशा देवी) गम्भीर बीमारी से ग्रस्त हो गईं और 30 जनवरी 2007 को इस दुनिया से अलविदा हो गईं। इसके बाद पिताजी ने निर्णय लिया कि वह माताजी के याद में मंदिर का निर्माण करवाएंगे।"
मनोज बताते हैं, "2008 में मंदिर का निर्माण शुरु हुआ और पिता जी जयपुर से संगमरमर की मां की मूर्ति भी बनवाकर लाए थे। पूजन-हवन करवाकर मंदिर में मूर्ति की स्थापना कराई और फिर उसकी रोज पूजा करते थे।"
मनोज आगे बताते हैं, 'मां की मृत्यु के बाद पिता जी जब भी कहीं बाहर घूमने जाते थे तो कार के बाईं तरफ वाली सीट पर माताजी की फोटो हमेशा रखते थे। उस सीट पर किसी को बैठने का अधिकार नहीं था। पिताजी का यह सपना था कि माताजी के नाम पर निःशुल्क गरीब बच्चों को शिक्षा दी जाए।
जैसे शाहजहां ने मुमताज के प्यार में ताजमहल बनवाया था वैसे ही मेरे बाबा ने दादी के लिए मिनी ताजमहल के रुप में ये मंदिर बनवा दिया।- ज्योति, रिश्तेदार
वर्ष 2012 में कैप्टन रामेश्वर दयाल मिश्र की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। भारत-चीन युद्ध (1962) और भारत-बांग्लादेश युद्ध (1970) में भाग लेने वाले कैप्टन आरडी मिश्र को सेना द्वारा विशेष सेवा पदक से नवाजा गया है। उनके परिवार और ग्रामीणों के मुताबिक वो दोनों लोग भले नहीं रहे लेकिन उनके प्यार की कहानी आज भी अमर है।
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