गज़ब : यहां गाय देने पर माफ हो जाती है हत्या की सजा, 200 मवेशी होने पर ही होती है शादी !

Mithilesh DharMithilesh Dhar   30 May 2017 3:58 PM GMT

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गज़ब : यहां गाय देने पर माफ हो जाती है हत्या की सजा, 200 मवेशी होने पर ही होती है शादी !मवेशियों को यहां मानव की तुलना में अधिक कीमती आंका जाता है।

नई दिल्ली। दक्षिण सूडान में संयुक्त राष्ट्र की ओर से तैनात भारतीय शांतिरक्षकों का कहना है कि वहां विवाद की जड़ तेल या क्षेत्र नहीं बल्कि मवेशी है, जिन्हें मानव की तुलना में अधिक कीमती आंका जाता है।

इस देश में तेल या जमीन पर अधिकार के लिए उतने झगड़े-फसाद नहीं होते, जितना मवेशियों को लेकर खूनी संघर्ष होता है। जवानों ने बताया कि गाय देने पर हत्या की सजा भी माफ हो जाती है। शादियां भी पशुओं की तादाद पर निर्भर होती हैं। भारतीय जवान संयुक्त राष्ट्र के दक्षिण सूडान मिशन (यूएनएमआइएसएस) के तहत तैनात हैं।

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सूडान ट्रिब्यून के अनुसार राजधानी जुबा से तकरीबन 190 किलोमीटर दूर बोर में तैनात जवान मयूर शेकातकर ने बताया कि यहां दहेज के तौर पर मवेशी दिए जाते हैं। कम से कम 200 मवेशी होने पर ही यह तय किया जाता है कि युवक शादी के योग्य है या नहीं। भारतीय दल के ब्रिगेडियर केएस बरार ने यूएनएमआईएसएस को सीरिया के बाद दूसरी सबसे खतरनाक जगह बताई जहां उन्होंने सेवा दी। बरार ने कहा, क्षेत्र या भूमि जैसे आम संसाधनों को लेकर झड़प नहीं होती है। वे (जनजातीय लोग) मवेशी को लेकर लड़ते हैं जो इंसानों से अधिक कीमती समझे जाते हैं। हथियारों के प्रसार के कारण स्थिति अधिक जटिल हो गई है।

हिंसा से जूझ रहा साउथ सूडान।

खूनी संघर्ष में अब तक सात भारतीय जवानों को जान गंवानी पड़ी है।’ दक्षिण सूडान में कृषि के लिए माकूल व्यवस्था नहीं होने के कारण पशुओं का महत्व बहुत ज्यादा है। शेकातकर बताते हैं कि शुष्क मौसम में कबायली समुदाय नील नदी की ओर पलायन करते हैं। इस दौरान सबसे ज्यादा टकराव होते हैं। यूएन के शांति अभियान में 7,600 से ज्यादा भारतीय जवान तैनात हैं।

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मेडिकल ऑफीसर लेफ्टिनेंट कर्नल आनंद शेल्के ने वहां की भयानक स्थिति को आंकड़ों के जरिए स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने दो हजार लोगों का इलाज किया है, जबकि इस अवधि में तकरीबन 10 हजार से ज्यादा मवेशियों के मामले उनके पास आए जबकि केवल 2000 इंसान ही उनके पास अपनी समस्या लेकर आए। 2011 में लगभग दो दशक की लड़ाई के बाद दक्षिण सूडान सूडान से आजाद होकर एक अलग देश बना। लेकिन 2013 में देश एक बार फिर हिंसा के चपेट में आ गया।

          

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