CBSE बोर्ड की 12वीं की परीक्षा टली, 10वीं के छात्रों के लिए होगा यह नियम

गाँव कनेक्शन | Apr 14, 2021, 09:18 IST
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं की बोर्ड परीक्षा को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया गया है जबकि 10वीं के छात्रों के लिए सरकार यह नियम लेकर आई है। पढ़िये सरकार ने अपने फैसले में क्या कहा।
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कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की 12वीं की परीक्षा को टाल दिया गया है जबकि 10वीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। ये परीक्षाएं मई और जून के बीच प्रस्तावित थीं। नई तरीखों का ऐलान एक जून के बाद होगा। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिक्षा मंत्री और मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ बैठक की थी, जिसमें ये फैसला लिया गया।

10वीं की परीक्षा के लिए हुआ यह फैसला

सरकार की ओर से जारी आदेश के अनुसार 4 मई से 14 जून तक होने वाली 12वीं की परीक्षाओं को टाल दिया गया है। अब एक जून को मंत्रिमंडल की फिर से बैठक होगी जिसके बाद परीक्षा पर फैसला लिया जायेगा। 15 दिन पहले छात्रों को परीक्षा की सूचना दी जायेगी।

10वीं के छात्रों के लिए जरूरी खबर

सीबीएसई की भी 10वीं की परीक्षा जो 4 मई से 14 जून तक होनी थी, उसे पूरी तरह से रद्द कर दिया गया है। बोर्ड की ओर से छात्रों के परफॉर्मेंस के आधार पर नंबर्स दे दिए जाएंगे। अगर कोई छात्र या छात्रा अपने नंबर्स से खुश नहीं होगा, तो उसे बाद में परीक्षा देने का मौका मिलेगा।

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सरकार ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके जानकारी दी है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ने अपने ट्वीट में कहा, "4 मई से 14 जून तक आयोजित होने वाली दसवीं की बोर्ड परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं। 10वीं क्लास के छात्रों को आतंरिक मूल्यांकन के आधार पर अगली क्लास में भेजा जाएगा। अगर कोई छात्र मूल्यांकन से संतुष्ट नहीं है तो कोरोना से हालात सामान्य होने पर वह परीक्षा दे सकता है।"

इंटरनेट न होने की वजह से ऑनालइन क्लास में भी दिक्कत

कोरोना वायरस के चलते बच्चों की पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है। क्लास तो ऑनलाइन चल रहे हैं लेकिन इंटरनेट की पर्याप्ता व्यवस्था ना होने के कारण बहुत से बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे हैं। यूनिसेफ की रिपोर्ट 'COVID-19 and School Closures: One year of education disruption' के अनुसार कोरोना, लॉकडाउन और स्कूलबंदी के कारण दुनिया भर के 21 करोड़ से अधिक बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है, जिसमें 17 करोड़ छात्र ऐसे हैं, जिनकी पढ़ाई सालभर पूरी तरह ठप रही।

रिपोर्ट में कहा गया है कि ऑनलाइन शिक्षा इन बच्चों के लिए विकल्प नहीं है क्योंकि विश्व के चार में से सिर्फ एक बच्चे (25 फीसदी) के पास मोबाइल और इंटरनेट की सुविधा है। इनमें से अधिकतर बच्चे सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समाज से हैं। भारत के लिए यह प्रतिशत और भी कम है और यहां पर सिर्फ 8.5% बच्चों के पास ही इंटरनेट सुविधा है, जो कि दक्षिण एशियाई देशों में अफगानिस्तान के बाद सबसे कम है।

यूनिसेफ की यह रिपोर्ट कहती है कि इन परिस्थितियों में स्कूलों में ड्रॉप आउट रेट और बढ़ सकता है, जो कि पहले से ही भारत में बहुत अधिक है। यूनिसेफ ने अपनी इस रिपोर्ट में बताया है कि भारत में 60 लाख से अधिक लड़के-लड़कियां कोविड-19 महामारी की शुरुआत से पहले भी स्कूल नहीं जा पा रहे थे। कोरोना के बाद यह संख्या और बढ़ने का खतरा है।

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