गन्ना किसानों के लिए 8,000 करोड़ रुपए का पैकेज लाएगा केंद्र

किसानों का गन्ना बकाया 22,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने से चिंतित सरकार नकदी की तंगी से जूझ रही चीनी मिलों के लिये 8,000 करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा कर सकती है

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गन्ना किसानों के लिए 8,000 करोड़ रुपए का पैकेज लाएगा केंद्र

नई दिल्ली। गन्ना किसानों को राहत देने तथा उनके बकाया भुगतान के लिए केंद्र सरकार 8,000 करोड़ से ज्यादा का व्यापक पैकेज लाने वाला है। विशेष सूत्र ने यह जानकारी दी। गन्ना किसानों का बकाया 20,000 रुपये से ज्यादा हो गया है। माना जा रहा है कि सरकार का यह कदम 2019 के आम चुनावों में किसानों को आकर्षित करने के उद्देश्य से लिया गया है।

सूत्रों के अनुसार, "इस पैकेज में 30 लाख मीट्रिक टन गन्ने के भंडारण किया जाएगा जिससे रुपया सीधे गन्ना किसानों के खातों में हस्तांतरित हो। ऐसे भंडारण की सुविधा होने से गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान होगा तथा मांग और आपूर्ति का संतुलन बनाने से चीनी की आपूर्ति सुनिश्चित होगी।" उन्होंने कहा कि भंडारण के निर्माण की कुल अनुमानित कीमत 1,200 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा, "पैकेज में देश में एथनॉल की क्षमता बढ़ाने की 4,400 करोड़ रुपये से ज्यादा की महत्वपूर्ण योजना है।"

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किसानों का गन्ना बकाया 22,000 करोड़ रुपये से अधिक हो जाने से चिंतित सरकार नकदी की तंगी से जूझ रही चीनी मिलों के लिये 8,000 करोड़ रुपये से अधिक के राहत पैकेज की घोषणा कर सकती हैन्यूनतम मूल्य होगा तय

सरकारी सूत्रों ने बताया कि बफर स्टॉक बनाने पर करीब 1200 करोड़ रुपये की लागत आएगी। चीनी मिलें यह स्टॉक अपने पास रखेंगी और सरकार रख-रखाव के साथ ही बाकी खर्चों का वहन करेगा। सूत्रों के मुताबिक इस पैकेज में एथनॉल कपैसिटी बढ़ाने के लिए 4400 करोड़ रुपये से ज्यादा की योजना है। इसकी बदौलत गन्ना किसानों को समय पर बकाया अदा करने में मदद मिलेगी। देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में ही किसानों की 12,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि बकाया है। सूत्रों के मुताबिक, चीनी मिलों की तरफ से किसानों की बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित हो सके इसके लिए सरकार ने कई उपाय किए हैं। उन्होंने कहा, 'इनमें 7,000 करोड़ रुपये का एक राहत पैकेज प्रस्तावित है।' खाद्य मंत्रालय ने 30 लाख टन चीनी के बफर स्टॉक बनाने का प्रस्ताव दिया है. उन्होंने कहा कि चीनी स्टॉक को बनाये रखने की लागत सरकार द्वारा वहन की जाएगी, जिसके कारण राजकोष पर करीब 1,300 करोड़ रुपये का बोझ आने का अनुमान है. बफर स्टॉक बनाने के अलावा, खाद्य मंत्रालय ने 30 रुपये प्रति किलो का न्यूनतम एक्स-मिल बिक्री मूल्य तय करने, मासिक चीनी को जारी करने की व्यव्स्था को पुन: लागू करने और प्रत्येक मिल के लिए कोटा तय करके मिलों पर स्टॉक रखने की सीमा तय करने का प्रस्ताव किया है।

साभार: एजेंसी

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