मोटे अनाजों की खरीद पर सरकार का जोर, पीडीएस के वितरण नियमों में किया गया बदलाव

केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद, बिक्री और वितरण से जुड़े नियमों में संशोधन किया है। सरकार के मुताबिक इन बदलावों से किसान ज्यादा ऐसी फसलें उगाएंगे जो बाद में कोटे से न्यूनतम सरकार दर पर कोटे में मिल भी सकेंगी।

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मोटे अनाजों की खरीद पर सरकार का जोर, पीडीएस के वितरण नियमों में किया गया बदलाव

नई दिल्ली। ज्वार और रागी समेत दूसरे मोटे अनाजों की बिक्री और वितरण को लेकर 6 साल पुराने एक दिशा निर्देश में बदलाव किया है। राज्य अब मोटे अनाजों के खरीद के 6-7 महीने तक पीडीएस के जरिए बांट सकेंगे। सरकार का मानना है नए नियमों से मोटे अनाजों की खेती बढ़ेगी और गरीब घरों तक पहुंच होने से कुपोषण जैसी समस्याओं से लड़ाई में मदद मिलेगी।

केंद्र सरकार के उपभोक्ता कार्य, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के बयान के मुताबिक केंद्र सरकार ने मोटे अनाजों के मामले में साल 2014 के नियमों में संशोधन कर दिया है। मोटे अनाज की खरीद को दिनांक 21.03.2014/26.12.2014 के दिशा-निर्देशों द्वारा मोटे अनाज की खरीद,आवंटन,वितरण और बिक्री को विनियमित किया गया था। इन दिशा-निर्देशों के तहत राज्यों को केंद्रीय पूल के तहत किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर मोटा अनाज खरीदने की अनुमति दी गई थी।

इसके लिए भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के परामर्श से राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई विस्तृत खरीद योजना को भारत सरकार की पूर्व स्वीकृति जरूरी थी। इसकी खरीद अवधि समाप्त होने के 3 महीने के भीतर अनाज की पूरी मात्रा वितरित की जानी थी। लेकिन कई राज्यों को 3 महीने के अंदर अनाज को वितरित करने में समस्या आ रही थी, इसलिए सरकार ने इस संबंध में संबंधित विभागों से बात करने के बाद नियमों में बदलाव कर दिया है।


केंद्र सरकार के बयान के बयान के अनुसार सरकार ने मोटे अनाजों की खरीद, आवंटन, वितरण और बिक्री के लिए 7 दिसंबर 2021 को नए नियम जारी किए हैं।

संशोधित दिशा-निर्देशों की मुख्य विशेषताएं

1. ज्वार और रागी की वितरण अवधि पहले की 3 महीने से बढ़ाकर क्रमशः 6 और 7 महीने कर दी गई है। इससे इन अनाजों की खरीद और खपत में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि राज्य के पास इन अनाजों को लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली/अन्य कल्याण योजना में वितरित करने के लिए अधिक समय होगा।

2. खरीद शुरू होने से पहले उपभोक्ता राज्य द्वारा रखी गई अग्रिम मांग को पूरा करने के लिए एफसीआई के माध्यम से अतिरिक्त मोटे अनाज के अंतरराज्यीय परिवहन का प्रावधान शामिल किया गया है।

3. नए दिशा-निर्देश सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से मोटे अनाज की खरीद/खपत को बढ़ाएंगे। ये फसलें आम तौर पर सीमांत और असिंचित भूमि पर उगाई जाती हैं, इसलिए इनकी बढ़ी हुई उपज स्थायी खेती और फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करेगी। खरीद बढ़ने से इन फसलों की खरीद से लाभान्वित होने वाले किसानों की संख्या भी बढ़ेगी।

4. सीमांत और गरीब किसान जो पीडीएस के लाभार्थी भी हैं, उन्हें बाजरे की खरीद और उसके बाद 1 रुपये प्रति किलो की दर से वितरण के कारण लाभ होगा। क्षेत्र विशेष में पैदा होने वाले मोटे अनाज को स्थानीय खपत के लिए वितरित किया जा सकता है जिससे गेहूं/चावल की परिवहन लागत बचेगी।

5. मोटे अनाज अत्यधिक पोषक, अम्ल-रहित, ग्लूटेन मुक्त और आहार गुणों से युक्त होते हैं। इसके अलावा,बच्चों और किशोरों में कुपोषण के खिलाफ हमारी लड़ाई को मजबूत करने में मोटे अनाज का सेवन काफी मददगार होगा क्योंकि इससे प्रतिरक्षा और स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

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