पीएम किसान सम्मान निधि: कोई अभी लगा रहा है दफ्तरों के चक्कर, किसी की मिल गई तीनों किस्तें

Divendra SinghDivendra Singh   31 Jan 2020 10:58 AM GMT

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पीएम किसान सम्मान निधि: कोई अभी लगा रहा है दफ्तरों के चक्कर, किसी की मिल गई तीनों किस्तेंकृषि भवन में अपने दस्तावेज़ में सुधार कराने आए लाइन में खड़े 58 वर्षीय मोहम्मद आलम

लखनऊ (उत्तर प्रदेश)। "सोचा था कि दो हजार रुपए मिलेंगे तो खेती के काम आ जाए, लेकिन अभी तक पैसा नहीं मिला। पढ़ा लिखा तो हूं नहीं इसलिए समझ नहीं पाता कि कागज में क्या गलत है।, "कृषि भवन में अपने दस्तावेज़ में सुधार कराने आए लाइन में खड़े 58 वर्षीय मोहम्मद आलम कहते हैं।

मोहम्मद आलम उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के रहने वाले हैं, कई दिनों से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के लिए जरूरी दस्तावेज में सुधार कराने के लिए अपने जिले के कृषि भवन का चक्कर लगा रहे हैं। वि

दूसरा केस प्रतापगढ़ जिले के बिहार ब्लॉक के सकरदहा गाँव के रहने वाले उदय बहादुर सिंह का है। शुरूआत में ही अपने से सारे जरूरी दस्तावेज़ लेखपाल को दे दिये थे। पैसे न आने पर जब ऑनलाइन चेक किया तो 3 बार पैसा भेजा जा चुका है, जबकि बैंक खाता संख्या, नाम सब कुछ उन्हीं का है, लेकिन आईएफएससी कोड किसी दूसरे बैंक का है।

संसद के बजट सत्र के भाषण में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, "प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के तहत 8 करोड़ से ज्यादा किसान-परिवारों के बैंक खाते में 43 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक राशि जमा कराई जा चुकी है।"

प्रधानमंत्री सम्मान निधि की वेबसाइट के अनुसार तीन बार पैसे भेजे जा चुके हैं, जबकि आईएफएससी कोड किसी दूसरे बैंक का है।

केंद्र सरकार ने दो हेक्टेयर (4.9 एकड़) से कम जमीन वाले छोटे और सीमांत किसानों के लिए प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरूआत की गई। एक फरवरी 2019 को अंतरिम केंद्रीय बजट में इसकी घोषणा की थी। इस योजना के तहत पात्र किसान को तीन किश्तों में छह हजार रुपए मिलने हैं। लेकिन देश के ज्यादातर राज्यों में गड़बड़ी की खबरें आ रही हैं, कई किसानों को अभी तक इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया। जबकि बजट 2020 में इस योजना का बजट 54370 करोड़ से बढ़ाकर 75000 करोड़ कर दिया गया हे।

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झारखंड के रांची जिले के अनगढ़ा ब्लॉक की किरन देवी अपनी पंचायत में में कृषक मित्र का काम करती हैं, उन्होंने अपने गाँव में 280 लोगों का फार्म भराया, लेकिन सिर्फ 100 लोगों को ही पैसे मिल रहे हैं। वो बताती हैं, "हम लोग गाँव में खेती की जानकारी देने के साथ ही लोगों का फार्म भी भरवाते हैं। मैंने अपने गाँव 280 लोगों का रजिट्रेशन कराया था, लेकिन बाद बहुत लोगों के जब पैसे नहीं आए तो पता किया तो पता चला कि उनके कागज गलत हैं।"

"2000 मिल जाते तो खेती में कुछ मदद मिल जाती, कई बार कागज देने के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हो पाया है, "झारखंड के रांची जिले के अनगढ़ा ब्लॉक की रिनी देवी कहती हैं। इस प्रकार की योजना के तहत अगर छोटे एवं सीमांत किसानों को समय पर किस्त जारी कर दी जाती है तो उन्हें बीज, खाद जैसा कच्चा माल खरीदने में सुविधा होती है। इससे न केवल खेती को गति मिलती है बल्कि उपभोक्ता वस्तुओं की मांग बढ़ती है जिससे अर्थव्यवस्था को लाभ होता है और आर्थिक वृद्धि तेज होती है।


कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संसद को प्रदान किए गए आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2018 में जब योजना की शुरूआत हुई थी, दिसंबर 2019 तक केवल 3.85 करोड़ किसानों को 2000 रुपए की सभी किस्तें मिली हैं।

राजस्थान में सहकारिता विभाग को प्रधानमंत्री सम्मान निधि की जिम्मेदारी दी गई है। सहकारिता विभाग के संयुक्त सचिव नारायण सिंह कहते हैं, "राजस्थान में भी कई सारे किसानों के साथ दिक्कतें आयीं हैं, उन्हीं किसानों के साथ समस्या आयी है, जिनका आधार नंबर उनके एकाउंट के साथ नहीं कनेक्टेड है।"

कृषि मंत्रालय की 'पीएम किसान' वेबसाइट के अनुसार, योजना के तहत कुल चिन्हित 8.80 करोड़ लाभार्थियों में से 8.35 करोड़ छोटे किसानों को पहली किस्त के रूप में दो-दो हजार रुपये की राशि दी गयी। वहीं दूसरी किस्त में लाभार्थियों की संख्या घटकर 7.51 करोड़, तीसरी में 6.12 करोड़ और चौथी किस्त में केवल 3.01 करोड़ (29 जनवरी तक) रह गयी है। द वायर में प्रकाशित एक खबर के अनुसार अभी सिर्फ 25 प्रतिशत किसानों को तीन किस्त मिली हैं, जबकि 75 प्रतिशत किसानों को इस योजना लाभ नहीं मिल पाया है।

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"एक भी किस्त किसान सम्मान निधि खाते में नही आयी कईयों बार लेखपाल को कागज दे चुके हैं वो कहते हैं कि इस बार आ जाएगी, लेकिन आज तक एक भी किस्त नहीं आयी लेखपाल कहते हैं हमने अपना काम कर दिया किस्त क्यों नहीं आयी हम नहीं बता पाएंगे, "यह कहना हैं ललितपुर तहसील अंतर्गत मसौरा खुर्द गाँव के मनोहर (42 वर्ष) का। मनोहर की तरह हर रोज सैकड़ों किसान कृषि विभाग जाकर अपने कागज जमा करते हैं। उन्हें हर बार की तरह आश्वासन मिलता हैं कि अबकी बार आ जाएगी लेकिन सम्मान निधि का पैसा आता नहीं है।

पांचवी बार कृषि विभाग में आधार, पासबुक जमा करने आये मनोहर बताते हैं, "मैं पहली बार नहीं आया घर का काम धाम छोड़कर पांचवी बार आया हूं, जिले पर आने में पूरा दिन बेकार जाता है। कागज लेने के बाद अधिकारी कहते हैं कि इस बार आ जायेगी, अब ये भी पता नहीं कि सम्मान निधि का पैसा मिल पायेगा।"

किसान अपने जिले के कृषि विभाग का चक्कर लगा रहे हैं कि उनके खाते में अब तक पैसे क्यों नहीं आ पाए।

उन्हीं के पास खडे़ बिरधा ब्लाँक के तौर गाँव के रहने वाले बालचंद्र अहिरवार (34 वर्ष) के पास ढाई एकड़ जमीन है, अपने कागज दिखाते हुऐ बालचन्द्र कहते हैं, "बैंक के खाते में कईयों बार दिखवाया लेकिन सम्मान निधि का पैसा नही आया! अब ये कागज कृषि विभाग में जमा करने दूसरी बार आया हूं।"

छोटे किसानों के लिए शुरू की गई योजना में कई खामियां भी हैं, इसके अलावा योजना के लाभ के लिये आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है।

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पीएम किसान सम्मान निधि की वेबसाइट के अनुसार पश्चिम बंगाल इस योजना में शामिल नहीं है और वहां के एक भी किसान को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा। वहीं, बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में यह संख्या लगातार कम हो रही है। बिहार में चिन्हित 54.58 लाख किसानों में से जहां पहली किस्त 52.19 लाख किसानों को मिली थी, वह तीसरी किस्त में कम होकर 31.41 लाख रह गयी। इसी प्रकार, उत्तर प्रदेश में 2.01 करोड़ लाभार्थियों को चिन्हित किया गया था। वहां पहली किस्त 1.85 करोड़ किसानों को दी गयी जबकि तीसरी किस्त में यह संख्या कम होकर 1.49 करोड़ पर आ गयी।

इस बारे में बेंगलुरू स्थित इंस्टीट्यूट फॉर सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज के प्रोफेसर और अर्थशास्त्री डॉ. प्रमोद कुमार ने कहा, "छोटे किसानों की आय बढ़ाने के इरादे से यह योजना लाई गई लेकिन आंकड़ों से स्पष्ट है कि लाभार्थियों की सूची लगातार घट रही है. यह बताता है कि बड़ी संख्या में किसान इस योजना से बाहर हो रहे हैं। पोर्टल पर डाले गये आंकड़ों में विसंगतियां पायी गयी हैं. इसके अलावा योजना के लाभ के लिए आधार को बैंक खाते से जुड़ा होना अनिवार्य किया गया है। संभवत: इसके कारण कई छोटे एवं सीमांत किसान योजना से बाहर हुए हैं।"

उन्होंने कहा कि इसके कारण उत्तर प्रदेश में 1.4 करोड़ तथा पूरे देश में 5.8 करोड़ किसानों को चौथी किस्त नहीं मिलने की आशंका है।

उत्तर प्रदेश के बाराबंकी के कृषि उप निदेशक अनिल कुमार सागर कहते हैं, "साल 2011 की जनगणना के अनुसार हमारे जिले में 466000 किसान परिवार हैं, अभी तक हमारे पांच लाख से अधिक किसानों का पंजीकरण हो गया है। बहुत कम समय में इसे पूरा करना था, इसलिए कई सारे विभाग के लोगों को इसमें लगाया गया। जल्दबाजी में कई सारी गलतियां भी हुईं, किसी का आधार नंबर गलत हो गया, किसी का एकाउंट नंबर गलत हो गया। कई ऐसे भी केस आए हैं, जिनमें दूसरे के एकाउंट के साथ दूसरे का आधार नंबर फीड हो गया है, ऐसे केस को हम मुख्यालय भेज रहे हैं।

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