कोरोना का खौफ: बीमारी से बचने के लिए थाली में बढ़ गई ये चीजें, नॉनवेज के शौकीनों ने भी बदली आदत

कोरोना महामारी में लोगों के खाने-पीने के आदतों में बदलाव आए हैं, लोग बाहर के खाने बजाए घर के खाने को तवज्जो देने लगे हैं, यही नहीं अब लोग खाने में ज्यादा मात्रा में हरी सब्जियां और फलों का इस्तेमाल करने लगे हैं, गाँव कनेक्शन सर्वे में पढ़िए किस तरह लोगों की खाने की आदतें बदल गईं हैं।

Divendra SinghDivendra Singh   28 Dec 2020 11:09 AM GMT

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गांव कनेक्शन के सर्वे में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि उन्होंने कोरोना काल में क्या उनके खाने की आदतों में कोई बदलाव आया है? इस सवाल के जवाब के आधे अधिक लगभग 56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके खाने की आद�कोरोना की वजह से बदली खाने की आदत, बाहरी खाने से तौबा, बीमारी से बचने के लिए हरी सब्जियों और फलों को किया शामिल

कोरोना से बचने के लिए लोगों की बहुत सी आदतों में बदलाव आ गया, लोग अब साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान देने लगे, बगैर मास्क के बाहर नहीं निकलते, ऐसी ही एक और भी बदलाव आया है, लोगों की खाने की आदतों में बदलाव आ गया है। गांव कनेक्शन के सर्वे में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि उन्होंने कोरोना काल में क्या उनके खाने की आदतों में कोई बदलाव आया है? इस सवाल के जवाब के आधे अधिक लगभग 56 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनके खाने की आदतों में बदलाव आ गया है।

मध्य प्रदेश के भोपाल में रहने वाली कुमुद सिंह के घर में भी पिछले कुछ महीनों में लोगों के खाने की आदतों में काफी बदलाव आ गया है। कुमुद सिंह बताती हैं, "कोरोना के बाद से ज्यादातर लोगों के साथ ये हुआ है कि उनकी खाने की बहुत सी आदतें बदल गईं हैं, मेरे यहां ऐसे कई लोग थे, जो हफ्ते में दो-तीन दिन तो बाहर खाने जाते ही थे, लॉकडाउन के बाद जो आदत बदली, अभी तक चली आ रही है। अभी बच्चों का वर्क फ्रॉम होम ही चल रहा है, अब बच्चों की खाने की आदतों में काफी बदलाव आ गया है, लोग बाहर जाकर खाने के बजाए, अब घर पर ही बना लेते हैं। इस दौरान लोग खाने के प्रति जागरूक भी हुए हैं।

कुमुद सिंह की तरह देश के लाखों लोगों के खाने की आदतों में बदलाव आ गया है, ये आंकड़े देश के 16 राज्यों और एक केंद्र शाषित राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 6,000 से ज्यादा लोगों के बीच कराए गए सर्वे में निकल कर आए हैं।

खाने की आदतों में बदलाव की बात मानने वाले 56% लोगों में से 70% लोगों ने कहा कि उन्होंने बाहर का खाना बंद कर दिया है, जबकि 30 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अब वो खाने में ज्यादा फलों का इस्तेमाल करने लगे हैं, 33 फीसदी लोगों का कहना था कि अब हरी सब्जियां ज्यादा खाने लगे हैं, इनमें से 18.8 प्रतिशत ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने कहा कि उन्हें इस दौराना भरपेट खाना ही नहीं मिला।

गाँव कनेक्शन सर्वे में लोगों ने बताया कि लोगों के खाने में क्या बदलाव आया है।

दिल्ली में रहने वाली न्यूट्रीशनिस्ट डॉ. शालिनी गाँव कनेक्शन से बताती हैं, "पहले लोग खाने-पीने को लेकर कम जागरूक थे, लेकिन कोविड के बाद से अब लोग खाने-पीने का बहुत ध्यान रखने लगे हैं, क्योंकि जैसे खाना आप खाते हैं, शरीर में उसी तरह के न्यूट्रीशंस भी जाएंगे और शरीर की इम्युनिटी भी बढ़ेगी। जो अब लोग समझने लगे हैं, जोकि अच्छी बात है।

कोविड महामारी और कोरोना वैक्सीन को लेकर लोगों की राय जानने के लिए अपनी तरह का ये खास सर्वे देश से सबसे बड़े ग्रामीण मीडिया हाउस गांव कनेक्शन की सर्वे विंग "गांव कनेक्शन इनसाइट्स" के द्वारा 16 राज्यों और 1 केंद्र शाषित प्रदेश के 60 जिलों के 6040 लोगों के पास पहुंच कर फेस टू फेस किया गया है। एक दिसंबर से 10 दिसंबर 2020 के बीच हुए इस सर्वे में क्षेत्रों का चुनाव केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के द्वारा कोविड-19 के असर के आधार पर किया गया।


ये सर्वे अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग सभी के बीच किया गया ताकि सबकी राय जानी जा सके। सर्वे में शामिल 41 फीसदी लोगों की मासिक आय 5 हजार से कम थी तो 37 फीसदी लोग 5000 से 1000 के बीच कमाई करने वाले थे। सर्वे में लोगों से कोरोना वैक्सीन का टेस्ट, पॉजिटिव होने पर इलाज कहां कराया, किस वैक्सीन पर ज्यादा भरोसा, वैक्सीन लगवाएंग या नहीं, पैसे देकर लगवाएंगे या मुफ्त? कोरोना के चलते जीवन में, खानपान में क्या बदला है, ये समझने के लिए 40 से ज्यादा सवाल किए गए थे। इस सर्वे के सभी नतीजों को आप द रुरल रिपोर्ट-3 नाम से जारी किया है, जिसे आप www.ruraldata.in पर पढ़ सकते हैं।

भारत के हर एक राज्य के खानपान और जलवायु में अंतर होता है, इसलिए गाँव कनेक्शन ने जोन (क्षेत्रवार राज्यों के हिसाब) से भी सर्वे किए है कि किस राज्य में लोगों की क्या राय है?

पूर्व-उत्तर-पूर्व राज्यों के लगभग 52.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने बाहर का खाना बंद कर दिया है, 19.3 प्रतिशत लोगों ने कहा कि ज्यादा मात्रा में फल खाने लगे हैं, 30.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सब्जियां ज्यादा खाने लगे हैं, पूर्व उत्तर पर्व के राज्यों ( सर्वे में शामिल- ओडिशा, आसाम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश) में हर 4 में से एक लगभग एक परिवारों (29.5%) को भरपेट भोजन नहीं मिल रहा है।


पश्चिमी राज्यों में ये आंकड़ा क्रमश: 81.4 प्रतिशत, 21.5 प्रतिशत, 21.1 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत रहा। पश्मियी राज्यों में गांव कनेक्शन के सर्वे में महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश शामिल थे।

उत्तरी राज्यों (सर्वे में शामिल- यूपी, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा) में 83.9 प्रतिशत, 34.9 प्रतिशत, 36.6 प्रतिशत, 20.01 प्रतिशत रहा। जबकि दक्षिण के प्रदेशों में 57.4 प्रतिशत, 41.6 प्रतिशत, 42.3 प्रतिशत और 15.5 प्रतिशत रहा। दक्षिण भारत से केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को शामिल किया गया था।

इस तरह पश्चिमी राज्यों में सबसे अधिक लोगों ने बाहर का खाना कम किया (81.1%), दक्षिण के राज्यों में लोग ज्यादा फल (41.6%) और सब्जियां (42.3%) खाने लगे, जबकि पूर्व-उत्तर-पूर्व राज्य के लोगों को भरपेट खाना नहीं मिला (29.5%)।

कोरोना के शुरूआत में देश ही दुनिया भर में ये अफवाह फैलने लगी की चिकन, अंडा और मांस-मछली से कोरोना फैल रहा है। सर्वे में जिन लोगों ने कहा कि वे मांसाहारी हैं, उनसे पूछा गया कि क्या अब भी मांसाहारी भोजन करते हैं, या फिर कुछ बदलाव आया है।


मांसाहार के सवाल पर 53 प्रतिशत लोगों ने कहा कि पहले की तरह ही खा रहे हैं, 40.03 प्रतिशत लोगों ने कहा कि खा रहे हैं लेकिन कम मात्रा में, 8.6 प्रतिशत लोगों ने कहा कि मांसाहार बिल्कुल छोड़ दिया है, 10.2 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वो सिर्फ अंडा खा रहे हैं, मछली, मांस और चिकन छोड़ दिया है। जबकि 3.8 प्रतिशत लोगों ने कहा कि सिर्फ मांस खा रहे हैं चिकन और अंडा खाना छोड़ दिया है।

कोरोना नॉनवेज खाने से फैलता है, ऐसी अफवाहों के चलते जनवरी फरवरी (जब कोरोना सिर्फ चीन में था) पॉल्ट्री का कारोबार ठप पड़ने लगा था, चीन से आने वाली खबरों के चलते लोगों ने चिकन खाना छोड़ दिया था, हालांकि एक बड़ी आबादी तब भी बकरे का मीट खा रही थी, इसलिए बकरा का गोस्त 700-800 रुपए किलो बिकने लगा था, बाद में मछली खाने वालों ने भी उपयोग कम किया, जिसके बाद बिगड़ते हालातों को देखते हुए केंद्रीय मत्स्य पालन पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एजवाइजी जारी कर रहा था कि मीट-मुर्गा मछली खाने से कोरोना नहीं फैलता है।

गाँव कनेक्शन सर्वे में पता चला है कि एक बड़ी आबादी ने कोरोना वायरस से बचने के लिए खूब च्वनप्राश और गिलोय खाया तो कुछ लोगों ने अश्वगंधा, अदरक, तुलसी, दालचीनी, लेमनग्रास का काढ़ा भी पिया। एक बड़ी आबादी ने विटामिन्स की गोलियों का भी खूब इस्तेमाल किया है। गांव कनेक्शन के सर्वे में निकलकर आया है कि 49 फीसदी यानि हर दूसरे व्यक्ति ने इम्युनिटी बूस्टर यानि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर ज्यादा पैसे खर्च किए हैं।


सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि देश के पूर्व-उत्तर-पूर्व के राज्यों ( सर्वे में शामिल- ओडिशा, आसाम, पश्चिम बंगाल, अरुणाचल प्रदेश) के लगभग 63 फीसदी लोग पैकेज्ड इम्युनिटी बूस्टिंग उत्पादों को खरीदने और उपभोग (खाने) पर अब अधिक पैसा खर्च कर रहे हैं। जबकि पश्चिम के राज्यों (सर्वे में शामिल- महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश) के लगभग 49.7 फीसदी लोगों ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं तो उत्तरी राज्यों में (सर्वे में शामिल- यूपी, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा) 40% फीसदी लोगों ने कहा वो ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं, जबकि 60% फीसदी लोगों ने न कहा। दक्षिण भारतीय राज्यों में हां और नहीं का प्रतिशत 48.8% और 51.2% है। दक्षिण भारत से केरल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक को शामिल किया गया था।

ये भी पढ़ें: कोरोना से बचने के लिए लोगों ने जमकर खाया च्वनप्राश, गिलोय, खूब पिया काढ़ा, 49 फीसदी ने इम्युनिटी बूस्टर पर खर्च किए ज्यादा पैसे

  

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