चार धाम परियोजना को मिली सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

चार धाम परियोजना के माध्यम से उत्तराखंड के चार धामों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ तक किसी भी मौसम में जाना आसान हो जाएगा।

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चार धाम परियोजना को मिली सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी

चार धाम परियोजना को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई है, सुप्रीम कोर्ट ने ऑल वेदर राजमार्ग परियोजना में सड़क को चौड़ाई बढ़ाने की अनुमति दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत न्यायिक समीक्षा में सेना के सुरक्षा संसाधनों को तय नहीं कर सकती है। हाइवे के लिए सड़क की चौड़ाई बढ़ाने में रक्षा मंत्रालय की कोई दुर्भावना नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाल के दिनों में सीमाओं पर सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां सामने आई हैं। यह अदालत सशस्त्र बलों की ढांचागत जरूरतों का दूसरा अनुमान नहीं लगा सकती है। पर्यावरण के हित में सभी उपचारात्मक उपाय सुनिश्चित करने के लिए पूर्व सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एके सीकरी के नेतृत्व में एक निरीक्षण समिति भी गठित की गई है।

एससी ने कहा है कि निगरानी समिति को रक्षा मंत्रालय, सड़क परिवहन मंत्रालय, उत्तराखंड सरकार और सभी जिलाधिकारियों का पूरा सहयोग मिलेगा।

करीब 900 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क परियोजना काफी महत्वपूर्ण है, इस परियोजना की लागत लगभग 12 हजार करोड़ रुपये आने का अनुमान है। इस परियोजना का माध्यम से उत्तराखंड के चार पवित्र धामों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में संपर्क बनाना है।

शीर्ष अदालत आठ सितंबर, 2020 के आदेश में संशोधन का अनुरोध करने वाली केंद्र की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को महत्वाकांक्षी चारधाम राजमार्ग परियोजना को लेकर जारी 2018 के परिपत्र में निर्धारित सड़क की चौड़ाई 5.5 मीटर का पालन करने को कहा गया था।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत यहां सरकार की नीतिगत पसंद पर सवाल नहीं उठा सकती है और इसकी अनुमति नहीं है। राजमार्ग जो सशस्त्र बलों के लिए रणनीतिक सड़कें हैं, उनकी तुलना ऐसी अन्य पहाड़ी सड़कों से नहीं की जा सकती है। हमने पाया कि रक्षा मंत्रालय द्वारा दायर एमए में कोई दुर्भावना नहीं है। सुरक्षा समिति की बैठक में उठाई गई सुरक्षा चिंताओं से रक्षा मंत्रालय की प्रामाणिकता स्पष्ट है।

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