जन नायक चौधरी चरण सिंह: कुछ संस्मरण

Alok Singh BhadouriaAlok Singh Bhadouria   23 Dec 2018 6:21 AM GMT

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जन नायक चौधरी चरण सिंह: कुछ संस्मरणचौधरी चरण सिंह पूर्व राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी के साथ

चौधरी साहब के व्यक्तित्व में ग्रामीण परंपरा, सभ्यता और तौर तरीके इतनी सहजता से रचे-बसे थे कि वह उनके आभामंडल को और चमकीला बनाते थे। चरण सिंह सत्ता के शिखर पर भी मूलतः एक औसत भारतीय किसान ही बने रहेे। लेकिन यह छवि उन पर किसी ने थोपी नहीं थी बल्कि उन्होंने खुद बनाई थी। कुछ ऐसे ही किस्से हैं जो उनके जानने वाले बताते हैं:

यह 1977 की बात है जब चौधरी चरण सिंह केंद्रीय गृहमंत्री थे। वह मेरठ दौरे पर आए, सर्किट हाउस में पहुंचे तो वहां उन्हें किसी ने भुट्टे खाने को दिए। चौधरी साहब भुट्टे खा रहे थे उसी समय उन्होंने अपने साथ आए एक वरिष्ठ नेता को देखा जो भुट्टे के दाने हाथ से निकाल-निकाल कर खा रहे थे। चौधरी साहब से रहा नहीं गया, अपने खास अंदाज में वह बोले, भाई जी ये चने नहीं है भुट्टे हैं इन्हें मुंह लगाकर ही खाया जाता है।

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1979 में जब चरण सिंह प्रधानमंत्री बने तो अपने संसदीय क्षेत्र छपरौली पधारे। प्रेस कान्फ्रेंस के समय जब वह प्रेस के सामने पहुंचे तो उन्होंने मौजूद पत्रकारों को हाथ जोड़कर नमस्कार किया। कुछ पत्रकारों ने तो उसका जवाब दिया कुछ यों ही बैठे रहे। कोई और नेता होता तो शायद बुरा मान जाता लेकिन चौधरी हंसते हुए बोले, वैसे तो चमत्कार को नमस्कार होता है लेकिन कम से कम मेरे वरिष्ठ ग्रामीण पत्रकार होने के नाते ही खड़े हो जाते। इतना सुनते ही सभी पत्रकार हंस पड़े और खड़े होकर उनका अभिवादन किया।

इसी दौरान का एक संस्मरण वरिष्ठ पत्रकार रवि कुमार विश्नोई बताते हैं, प्रधानमंत्री चरण सिंह बागपत से मेरठ के सर्किट हाउस की ओर जा रहे थे। बेगमपुल से जब उनका काफिला निकला तो उनकी नजर सड़क किनारे खड़े रवि विश्नोई पर पड़ी। विश्नोई एक समय में छात्र नेता थे और चौधरी साहब की पार्टी क्रांति दल से चुनाव लड़ चुके थे। चौधरी साहब ने फौरन अपनी कार रूकवाई और विश्नोई को अपने साथ बैठाते हुए बोले, भाई, पत्रकार हमें भूल सकते हैं लेकिन हम पत्रकारों को नहीं भूलते।

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चौधरी साहब और मशहूर समाजवादी नेता राजनारायण अच्छे मित्र थे। एक बार राजनारायण ने चौधरी साहब को राम और खुद को उनका हनुमान कहा था। लेकिन 1979 में दोनों की राहें अलग हो गईं। लोकसभा चुनावों में राजनारायण ने चौधरी साहब के खिलाफ उनके ही संसदीय क्षेत्र बागपत से चुनाव लड़ने का फैसला किया। उस समय अपने भाषणों मे राजनारायण कहते थे, चौधरी की चौधराहट वोट की चोट से निकालूंगा। बहरहाल, संयोग ऐसा हुआ कि दोनों एक ही दिन नामांकन के लिए अपने दल-बल समेत निकले। चौधरी साहब पहले से तय समय के अनुसार जिस समय पहुंचने वाले थे राजनारायण जान-बूझकर उसी समय अपने समर्थकों समेत नामांकन के लिए पहुंच गए। डर था कि कहीं दोनों नेताओं के समर्थक आपस में भिड़ न जाएं, ऐसे में चौधरी साहब ने अपने समर्थकों से कहा, राजनारायण हमारे मेहमान हैं इन्हें ही पहले नामांकन करने दें।तो ऐसे थे जन नायक चौधरी चरण सिंह।

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