छत्तीसगढ़ : देश का पहला राज्य जहाँ गोबर बेच कर कमाई कर रहे पशुपालक

छत्तीसगढ़ में गोधन न्याय योजना के जरिये राज्य सरकार द्वारा गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों और किसानों से गोबर ख़रीदा जा रहा है। पशुपालक से ख़रीदे गए गोबर का उपयोग सरकार जैविक खाद और वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए कर रही है।

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(छत्तीसगढ़ से जिनेन्द्र पारख, हर्ष दुबे और तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट)

छत्तीसगढ़ के धमतरी ज़िले के भटगांव में रहने वाले डोरेलाल ने पिछले दिनों सिर्फ गोबर बेचकर इलेक्ट्रॉनिक स्कूटी खरीद ली। डोरेलाल दो एकड़ में खेती के साथ पशुपालन भी करते हैं। डोरेलाल हर दिन करीब 1.5 कुंतल गोबर केंद्र में जाकर बेच देते हैं।

डोरेलाल कहते हैं, "पहले साइकिल से चलता था अब गोबर बेचकर जो अतिरिक्त आय हुई है, उससे एक स्कूटी खरीद ली है। गोबर का काम करने में मुझे किसी प्रकार की कोई शर्म नहीं है और अब तो हर महीने लगभग 9000 रुपये की आय हो जा रही है।"

छत्तीसगढ़ में सरकार ने किसानों और पशुपालकों से गोबर खरीदने और फ़िर उससे जैविक खाद बनाने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की है। इस योजना के जरिये अब पशुपालकों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती नजर आ रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य ने गोबर ख़रीदी की शुरुवात कर गोबर को ग्रामीण विकास एवं आर्थिक मॉडल का एक बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा बना दिया है। इससे पहले पशुपालक गोबर का उपयोग कंडे बनाने करते थे जिससे मामूली आय ही हो पाती थी। मगर अब सरकार की गोधन न्याय योजना से पशुपालकों और किसानों की अतिरिक्त आय हो रही है।

गोधन न्याय योजना के जरिये राज्य सरकार द्वारा गाय-भैंस पालने वाले पशुपालकों, किसानों से गोबर ख़रीदा जा रहा है। पशुपालक से ख़रीदे गए गोबर का उपयोग सरकार जैविक खाद या वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने के लिए कर रही है।

छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के गोबर खरीदी केंद्र में गोबर बेचने के लिए पहुंचे पशुपालक। फोटो : गाँव कनेक्शन

पहले चरण में राज्य के 2,240 गोशालाओं को इस योजना से जोड़ा जा रहा है, फिर कुछ ही दिनों में 2,800 गौठानों का निर्माण होने के बाद दूसरे चरण में बचे गौठानों को योजना से जोड़कर भी गोबर खरीदा जाएगा। राज्य सरकार द्वारा नियमित रूप से विभिन्न केंद्रों से गोबर ख़रीदा जा रहा है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा 21 जुलाई 2020 को पहली बार गोबर ख़रीदा गया और पहली बार में ही 46,964 लाभार्थियों को 1.65 करोड़ रुपये का ऑनलाइन भुगतान किया गया है ताकि पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जा सके। सिर्फ कांकेर ज़िले में ही 2,221 पशुपालकों ने योजना की शुरुवात के पहले 15 दिनों में ही 2,500 कुंतल से ज्यादा गोबर बेचा है।

इसी तरह पिछले दिनों राज्य के ‌दंतेवाड़ा के टेकनार में स्व-सहायता समूह की दीदियों ने गोबर का उपयोग करते हुए इको फ्रेंडली दीये और गणेश मूर्तियां बनाई थीं और इन्हें बाज़ार में बेच कर उन्हें अतिरिक्त आय भी हुई।

सूरजपुर स्वयं सहायता समूह की सदस्य मीणा सोनवाणी 'गाँव कनेक्शन' से बताती हैं, "हर दिन 20 कुंतल गोबर ख़रीदा जा रहा है जिसे खाद बनाने में उपयोग किया जाता है। नियमित रूप से 15 दिन में पशुपालकों को भुगतान भी हो जाता है जिससे पशुपालकों को लाभ हो रहा है।"

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में जैविक खाद और वर्मी कम्पोस्ट बनाने में लगीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं। फोटो : गाँव कनेक्शन

दूसरी ओर मोपका गोबर खरीदी केंद्र, बिलासपुर की नोडल अधिकारी कीर्ति बताती हैं, "स्वयं सहायता समूह द्वारा गोबर से खाद बनाया जा रहा है। यहाँ टंकी में गोबर को स्टोर किया जाता है, हर टंकी में लगभग चार टन गोबर रखा जा सकता है, उसके बाद केंचुआ डाला जाता है और लगभग एक महीने में खाद तैयार हो जाती है। इस कार्य में लगी महिलाओं को खाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण भी दिया जाता है।"

पशुगणना के अनुसार छत्तीसगढ़ में 1.5 करोड़ मवेशी हैं, इनमें से 98 लाख गौवंशीय हैं, जिनमें 48 लाख नर और 50 लाख मादा हैं। इन आंकड़ों के अनुसार राज्य में गोधन न्याय योजना से बड़ी क्रांति हो सकती है।

गोधन न्याय योजना के बारे में राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "फ़िलहाल राज्य में पांच हज़ार गौठानों के ज़रिए गोबर ख़रीदी और खाद निर्माण का फ़ैसला लिया गया है और इसमें लगभग साढ़े चार लाख लोगों को रोज़गार मिलेगा। इसका विस्तार चरणबद्ध तरीके से किया जायेगा ताकि अधिक से अधिक लोगों को योजना का लाभ मिल सके।"

लॉकडाउन में किया गया ऑनलाइन भुगतान

लॉकडाउन के दौरान भी वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये सरकार ने गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश के 83 हजार 809 गौपालकों एवं गोबर विक्रेताओं को चतुर्थ किश्त के रूप में 8 करोड़ 02 लाख रुपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया गया। इस योजना के तहत अब तक कुल 20 करोड़ 72 लाख रुपए का भुगतान किया जा चुका है। योजना का अधिकतम लाभ प्रदेश के गरीबों, भूमिहीनों और गौ-पालकों को मिल रहा है।

गोबर से वर्मी कम्पोस्ट तैयार करतीं स्वयं सहायता समूह की महिलाएं। फोटो : गाँव कनेक्शन

यह हैं योजना के लिए पात्र

योजना का लाभ लेने के लिए आवेदक पशुपालक छत्तीसगढ़ राज्य का स्थायी निवासी होना चाहिए और उसे पंजीयन कराना अनिवार्य है। पंजीयन के लिए आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, मोबाइल नंबर, पशुओं से सम्बंधित जानकारी पासपोर्ट साइज फोटो आदि केंद्र में जमा करना होगा।

योजना का किसी भी दृष्टिकोण से दुरूपयोग न हो इसलिए बड़े जमींदारों व्यापारियों को उनकी समृद्धता के आधार पर इस योजना का लाभ नहीं दिया जायेगा। इसलिए पंजीयन करवाना सभी के लिए अनिवार्य है ताकि योजना का लाभ विशुद्ध रूप से ज़रूरतमन्द लोगों को ही मिले।

रायपुर के गोबर खरीदी केंद्र में गोबर बेचता एक पशुपालक। फोटो : गाँव कनेक्शन

ऐसे होगी अतिरिक्त आय

राज्य सरकार ने पशुपालकों से गोबर खरीदने की कीमत दो रुपये प्रति किलो तय की है और जो पशुपालक/किसान गोबर से जैविक खाद बनाकर बेचना चाहें उनसे सरकार आठ रुपए प्रति किलो की दर से जैविक खाद भी खरीदेगी।

गौठान में गोवंशीय और भैसवंशीय पशुपालकों से गोठान समितियां गोबर खरीद कर उससे जैविक वर्मी कम्पोस्ट एवं अन्य उत्पाद तैयार करेंगी। खरीदे हुए गोबर से वर्मी कंपोस्ट बनाने का कार्य स्व-सहायता समूह कर रहे हैं जिसके लिए कृषि विभाग से उन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया है।

गोबर से जैविक खाद बनाने के कार्य में जुड़ी बिलासपुर से ही स्वयं सहायता समूह की एक अन्य सदस्या बताती हैं, "अब तो गोबर खरीदी के साथ ही खाद बनाने का काम शुरू कर दिया है और हम सभी दो प्रकार का खाद बना रहे हैं। हमारे केंद्र में ही स्वयं सहायता समूह की 35 महिलाओं को इससे काम मिला है। काम मिलने से अतिरिक्त आय होने लगी है।"

क्या है गोबर ख़रीदने के पीछे की सोच ?

इस योजना को लागू करने की सोच के पीछे एक प्रमुख कारण है कि अगर जब पशु दूध देना बंद कर देते हैं तो मालिक उन्हें लावारिस छोड़ दिया करते हैं और दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, इस योजना के लागू होने से अब पशु अगर दूध नहीं भी दे रहा है तो पशुपालक उसे लावारिस छोड़ेंगे नहीं। उसके गोबर से या खाद से उन्हें अतिरिक्त आय भी हो सकेगी।

दूसरा कारण भी आय से ही जुड़ा है। पशुपालकों को कई बार पैसों की कमी की वजह से अपने पशुधन बेचने भी पड़ जाते हैं, सरकार की दलील है कि इस योजना के लागू होने से यहां के पशुपालकों के सामने ऐसी नौबत नहीं आएगी।

गोबर चोरी के मामले आने लगे सामने

छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के मनेंद्रगढ विकासखण्ड के एक गांव में दो किसानों के बाड़े में रखा हुआ करीब सौ किलो गोबर चोर चुरा कर ले गए। किसान जब सुबह सो कर उठे तो उनके बाड़े से गोबर गायब मिला। इसके बाद किसानों ने गोठान समिति पहुंचकर यहां अपनी शिकायत दर्ज कराई। गोठान समिति की ओर से चोर को पकड़ने की फरियाद के साथ एक आवेदन स्थानीय थाने में भी दिया गया है।

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