CJI रंजन गोगोई ने यौन शोषण के आरोप को किया खारिज, बोले- इसके पीछे कोई बड़ी ताकत
गाँव कनेक्शन 20 April 2019 6:41 AM GMT
लखनऊ। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने अपने ऊपर लगे यौन शोषण के आरोप को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा, 'इसके पीछे कोई बड़ी ताकत है। वो सीजेआई के कार्यालय को नष्क्रिय करना चाहते हैं। एक महिला द्वारा सीजेआई पर यौन शोषण का आरोप लगाने के बाद सुप्रीम कोर्ट की एक स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की।
चीफ जस्टिस ने इसका खंडन करते हुए कहा, ''यह अवश्विसनीय है। मुझे नहीं लगता कि इन आरोपों का खंडन करने के लिए मुझे इतना नीचे उतरना चाहिए। न्यायाधीश के तौर पर 20 साल की निस्वार्थ सेवा के बाद मेरा बैंक बैलेंस 6.80 लाख रुपये है। कोई मुझे धन के मामले में नहीं पकड़ सकता है, लोग कुछ ढूंढना चाहते हैं और उन्हें यह मिला।''
CJI on sexual harassment allegations against him says independence of judiciary is under very very serious threat and there is a "larger conspiracy" to destabilise the judiciary. He says there is some bigger force behind the woman who made sexual harassment charges. https://t.co/tc05vQcBZK
— ANI (@ANI) April 20, 2019
भारत के चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, "मुझे जवाब देने के लिए दस घण्टे से भी कम का समय दिया गया है। मैं नागरिकों को यह कहना चाहता हूं कि इस देश की न्याय व्यवस्था गंभीर खतरे में है।"
Less than 10 hours notice was given to me to respond.
— Bar & Bench (@barandbench) April 20, 2019
What I want to tell citizens is that judiciary of this country is under serious threat
- Chief Justice of India Ranjan Gogoi@scroll_in @thewire_in @thecaravanindia #RanjanGogoi pic.twitter.com/s8VLvtR5Fm
"मैं अपने पद पर रहूंगा और निर्भीक रूप से अपना काम करता रहूंगा जब तक कि मेरा कार्यकाल पूरा नहीं हो जाता," - चीफ जस्टिस ने आगे कहा।
"I will sit on this Bench and discharge my duties without fear and favour till my tenure is over", CJI Ranjan Gogoi.
— Bar & Bench (@barandbench) April 20, 2019
एक महिला ने जो कि कोर्ट में जूनियर असिस्टेंट के पद पर मई 2014 से दिसंबर 2018 तक कार्यरत थी चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
सर्वोच्च न्यायालय को सम्बोधित करते हुए लिखे गए हलफनामे (एफिडेविट) में महिला ने बताया कि यौन उत्पीड़न की घटना के बाद उसे अचानक उसके पद से निष्कासित कर दिया गया। महिला ने ये भी आरोप लगाया कि उसके निष्कासन के बाद भी उसे प्रताड़ना सहनी पड़ी। उसने कहा कि इस साल मार्च में उसके और उसके परिवार के खिलाफ एक घटिया एफआईआर भी दायर की गई।
इस पूरे मामले की सुनवाई के लिए एक स्पेशल बेंच का गठन किया गया और शनिवार को इस मसले पर सुनवाई हुई।
#Breaking: Special sitting of Supreme Court today at 10.30 am to deal with a matter of grave public importance.
— Bar & Bench (@barandbench) April 20, 2019
The Bench will comprise CJI Ranjan Gogoi and Justices Arun Mishra and Sanjiv Khanna.
Mention was made by Solicitor General Tushar Mehta. pic.twitter.com/GiI1HENb2S
सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी जनरल के ऑफिस ने सभी आरोपों को खारिज किया है। महिला के आरोपों के जवाब में कोर्ट ने कहा कि महिला कभी चीफ जस्टिस से मिली ही नहीं।
जवाब में आगे कहा गया कि महिला को कोर्ट की प्रक्रिया के तहत ही निकाला गया था। ये अनुमान लगाया जा रहा है कि महिला ने झूठे और घटिया आरोप कोर्ट को बदनाम करने के लिए लगाए हैं।
वहीं दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कहा कि वह इस महिला की धोखाधड़ी और आपराधिक धमकी के मामले में जमानत रद्द करने की पुलिस की अर्जी पर 24 अप्रैल को सुनवाई करेगी। मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनीष खुराना ने यह मामला 24 अप्रैल के लिए निलंबित कर दिया है क्योंकि आरोपी को पुलिस की अर्जी की प्रति नहीं भेजी गई है।
समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, पुलिस ने महिला को 12 मार्च को मिली जमानत रद्द करने का अनुरोध किया है। शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उन्हें महिला और उसके सहयोगियों से धमकी मिल रही है। कथित धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और आपराधिक साजिश रचने के अपराध में महिला के खिलाफ तीन मार्च को एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इस सिलसिले में यहां तिलक मार्ग पुलिस थाना को हरियाणा के झज्जर निवासी नवीन कुमार से एक शिकायत मिली थी। कुमार ने आरोप लगाया था कि शीर्ष न्यायालय की पूर्व कर्मचारी ने उनसे 50,000 रूपये की धोखाधड़ी की है जिसे उसने अदालत में नौकरी दिलाने के एवज में रिश्वत के तौर पर लिया था।
इनपुट- भाषा
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