शिवराज लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने के पक्ष में 

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शिवराज लोकसभा-विधानसभा चुनाव साथ कराने के पक्ष में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

नई दिल्ली (आईएएनएस)। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ कराए जाने के प्रस्ताव का समर्थन किया, ताकि सरकार और सत्ताधारी पार्टियां चुनाव के बाद शासन-व्यवस्था पर अच्छी तरह ध्यान दे सकें। मुख्यमंत्री ने एक साक्षात्कार में बताया कि उप-चुनाव भी समाप्त किए जाने चाहिए, क्योंकि निरंतर चुनाव होने से सरकार का शासन से ध्यान भंग होता है।

उन्होंने कहा, "मैं लंबे समय से इस मुद्दे को उठा रहा हूं। प्रधानमंत्री (नरेंद्र मोदी) भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। बार-बार चुनाव होने से न केवल देश का विकास रुकता है, बल्कि लोक कल्याण भी नहीं हो पाता है। एक चुनाव पूरा होने के बाद, दूसरा चुनाव आ जाता है। चुनाव होने से हमारा ध्यान भंग हो जाता है और विकास कार्यो की गति प्रभावित हो जाती है।"

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शिवराज ने कहा, "फैसले लेने में दिक्कतें आती हैं और कभी-कभी देरी भी हो जाती है। मैं एक साथ चुनाव कराने का समर्थन करता हूं। संविधान में लिखे आवश्यक प्रावधान में संशोधन कर इसे लागू किया जाना चाहिए। इसके बाद जिस किसी पार्टी को जनादेश मिलता है, वह अपने पूर्ण कार्यकाल के दौरान सरकार चलाए और विकास पर ध्यान दे।" मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने के लिए कहा है।

शिवराज ने कहा, "इसे एक पार्टी तय नहीं कर सकती.. क्योंकि (अगर प्रस्ताव स्वीकार किया जाता है) कुछ सरकारों के कार्यकाल में कटौती हो सकती है। राजनीतिक दलों को प्रधानमंत्री की अपील को स्वीकार करना चाहिए और इस पर व्यापक सहमति बनानी चाहिए।" मुख्यमंत्री ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि इससे कुछ सकारात्मक परिणाम उभरकर सामने आएंगे। हालांकि यह इतना आसान नहीं है, लेकिन यह देशहित में जरूरी है।"

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शिवराज ने कहा, "निर्वाचन आयोग इस प्रक्रिया को ठीक कर सकता है। यदि किसी के निधन के कारण सीट खाली हो जाती है, तो विजेता पार्टी उस सीट पर अपना उम्मीदवार नियुक्त कर सकती है या फिर जिसने भी चुनाव में दूसरा स्थान (चुनाव में) हासिल किया है, उसे मौका दिया जा सकता है। आयोग को इसके लिए रास्ता खोजना चाहिए।" उन्होंने राज्य में चुनाव निधि बनाए जाने का समर्थन भी किया।

शिवराज ने कहा, "निर्वाचन आयोग सभी राजनीतिक दलों को बजट आवंटित कर ऐसा कर सकता है। यह पार्टियों के चुनावी घोषणापत्र व अपील को प्रकाशित करने के लिए कदम उठा सकता है। यह पार्टियों के चुनावी भाषणों के लिए मंच की व्यवस्था के साथ-साथ किस दिन कौन सी पार्टी भाषण देगी, यह भी तय कर सकता है। राज्य-निधि का गठन नितांत जरूरी है।"

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