मंडी जाकर आलू बेचने से मुक्ति चाहिए तो उगाइए चिप्सोना आलू

Ashwani NigamAshwani Nigam   6 Nov 2017 7:17 PM GMT

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मंडी जाकर आलू बेचने से मुक्ति चाहिए तो उगाइए चिप्सोना आलूआलू की खेती।

लखनऊ। चिप्स के लिए आलू की बढ़ती मांग को देखते हुए केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान ने चिप्स के लिए कुफरी चिप्सोना-1, कुफरी चिप्सोना-2 और कुफरी चिप्सोना-3 नामक किस्मों को विकसित किया है। इस रबी सीजन में किसान इन प्रजातियों की बुवाई करके लाभ कमा सकते हैं।

केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला के निदेशक डा. एसके चक्रवर्ती ने बताया '' भारत में आलू का उपयोग व्यापक पैमाने पर ताजे आलू की खपत के रूप में किया जाता है। आलू की खुदाई करके जो आलू मिलता है उसमे 68.5 प्रतिशत घरेलू खपत में चला जाता है। जबकि जो विकसित देश है वहां पर आलू की घरेलू उपयोगिता मात्र 31 प्रतिशत है। जबकि शेष आलू को चिप्स और ब्रिवरेज में किया जाता है। खासकर चिप्स में तो कुल आलू उत्पादन का 12 प्रतिशत होता है।''

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उन्होंने बताया कि भारत में आलू का प्रसंस्करण 1990 तक प्रचलन में नहीं था। लेकिन अब देशी और बहुराष्ट्रीय कंपनियां आलू प्रोसेसिंग में तेजी से आगे आ रही हैं। देश में उत्पादन होने वाले कुल आलू का 7.5 प्रतिशत आलू का प्रसंस्करण किया जा रहा है। आलू की मांग में आने वाले 40 सालों में काफी वृद्धि की संभावना है। साल 2050 तक आलू प्रोसेसिंग उद्योग के लिए 25 मिलियन टन आलू की जरुरत पड़ेगी। ऐसे में जरूरत इस बात कि चिप्स और दूसरे उत्पाद के लिए जिस आलू की जरुरत है उसे किसान उगाएं। उनका कहना है कि आने वाले दिनों बहुत सारी कंपनियां आलू के उत्पादन में आगे आ सकती हैं।

पूर्वांचल में आलू के सबसे बड़े केन्द्र गोरखपुर के आलू मंडी के थोक व्यापारी प्रकाश अग्रवाल ने बताया '' चिप्सोना आलू के प्रति किसान जागरूक हो रहे हैं, इस आलू की बुवाई से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे किसानों को उनकी फसल का उचित दाम मिल जाता है और मंडी में आलू ले जाने की झंझट से उन्हें छुटकारा मिल जाता है।''

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स्नैक्स के लिए आलू चिप्स की बढ‍़ती खपत को देखते हुए साफ्ट डिंक्स बनाने वाली बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी आलू की खेती में भी उतर रही हैं। उत्तर प्रदेश के सीतापुर, लखीमपुरखीरी, उन्नाव, कानपुर देहात से लेकर मेरठ और पूर्वांचल में चिप्स बनाने में काम आने वाले आलू की चिप्सोना प्रजातियों की खेतों में बुआई का काम शुरू चुका है। बहुराष्ट्रीय कंपनियां सीधे नहीं बल्कि किसानों के माध्यम से चिप्स बनाने वाले आलू की प्रजातियों को खेतों में बढ़ावा दे रही हैं। इससे एक तरफ जहां कंपनियों को अपनी पसंद का आलू सीधे मिल जाता है वहीं दूसरी तरफ किसानों का आलू का उचित मूल्य मिलने से उनका मुनाफा भी हो रहा है।

चिप्सोना आलू के प्रति किसानों के बढ़ते रूझान के कारण इस साल चिप्साना आलू का रकबा पिछले साल के मुकाबले दोगुना होने की संभावना है। मैनपुरी जिले रूद्रपुर गांव के राजेश यादव ने बताया उनके गांव के आसपास लोग बड़ी संख्या में चिप्स के लिए आलू की चिप्सोना प्रजाति की बुवाई कर रहे हैं। पिछले सात साल से चिप्सोना आलू की खेती कर इसी गांव के सुधीर तिवारी ने बताया कि इस आलू की खेती करने से सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे आलू के रेट में चाहे जितना उतार-चढ़ाव रहे किसानों को आलू की पैदावार का उचित मूल्य मिल जाता हैं। उनका कहना है कि चिप्सोना आलू की बुवाई के समय ही पेप्सिको औ दूसरी बड़ी कंपनियों किसानों के साथ आलू के खेत का करार कर लेती हैं। ऐसे में आलू तैयार होने के बाद खेत से ही वह आलू को खरीद लेती हैं। इससे किसानों को मंडी ले जाकर आलू बेचने की परेशानी से मुक्ति मिल जाती है।

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इस वर्ष में देश में आलू का उत्पादन 43.4 मिलियन टन से बढ़ाकर रिकॉर्ड 48.2 मिलियन टन हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 11.1 प्रतिशत अधिक है। मुख्‍य आलू उत्‍पादक राज्‍य्र उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और पंजाब हैं।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय ने 2016-17 के मंडी मध्यस्थता योजना (एमआईएस) के तहत आलूओं की खरीद के लिए मंजूरी भी दी है। इस योजना में किसान प्रसंस्‍करण इकाईयों को अपना आलू सीधे बेच सकता है।

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