शहरी गरीबों के लिए 'मनरेगा' योजना - झारखंड में मिलेगी 100 दिन रोजगार की गारंटी, बनेगा पहला राज्य

ग्रामीण भारत में चल रही केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की तरह झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब नयी योजना के जरिये शहरों में 'रोजगार की गारंटी' देने जा रही है।

Kushal MishraKushal Mishra   25 Jun 2020 3:32 PM GMT

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शहरी गरीबों के लिए मनरेगा योजना - झारखंड में मिलेगी 100 दिन रोजगार की गारंटी, बनेगा पहला राज्यमुख्यमंत्री श्रमिक योजना के शुरू होने पर शहरों को लौटे झारखण्ड के प्रवासी मजदूरों को मिलेगी रोजगार की गारंटी। फोटो : गाँव कनेक्शन

ग्रामीण भारत में चल रही केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी मनरेगा की तरह झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार अब नयी योजना के जरिये शहरों में 'रोजगार की गारंटी' देने जा रही है।

कोरोना संक्रमण से लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में दिल्ली, मुंबई, इंदौर, पंजाब, हरियाणा और दक्षिण भारत के राज्यों से झारखंड वापस लौटे प्रवासी मजदूरों और शहरों के स्थानीय मजदूरों को रोजगार देने के लिए झारखंड सरकार 'मुख्यमंत्री श्रमिक योजना' को शुरू करने की तैयारी में है। इस योजना के जरिये अकुशल श्रमिकों को मनरेगा की तरह एक वित्तीय वर्ष में 100 दिन रोजगार की गारंटी मिलेगी और समय से काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाएगा।

इस योजना के शुरू होने के साथ ही शहरों में रोजगार की गारंटी देने वाला झारखण्ड देश का पहला ऐसा राज्य बन जायेगा। राज्य के नगर विकास एवं आवास विकास विभाग ने इस योजना को जल्द ही लागू करने के लिए भी काम शुरू कर दिया है।

इस योजना का ड्राफ्ट तैयार करने वाले झारखण्ड सरकार के सोशल ऑडिट यूनिट के डायरेक्टर और राज्य समन्व्यक गुरजीत सिंह 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "मुख्यमंत्री श्रमिक योजना के जरिये शहरों के मजदूरों को 100 दिन रोजगार की गारंटी के साथ बेरोजगारी भत्ता भी दिया जाएगा। इसमें 15 दिनों के अन्दर काम न मिलने पर झारखंड की तय न्यूनतम मजदूरी का एक चौथाई पैसा पहले महीने दिया जाएगा, जबकि काम न मिलने पर श्रमिक को दूसरे महीने में न्यूनतम मजदूरी का आधा और तीसरा महीना बीतने पर न्यूनतम मजदूरी के बराबर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा।"


ड्राफ्ट के अनुसार योजना के तहत शहरी रोजगार गारंटी काउंसिल का भी गठन किया जाएगा। इस काउंसिल के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे जबकि सम्बंधित विभागों के सचिवों के साथ शहरी विकास मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए यह काउंसिल हर तीन महीने में एक बैठक भी करेगी।

इसके अलावा राज्य के शहरी आजीविका मिशन के तहत शहरी रोजगार सेवक भी तैयार किये जाएंगे जो राज्य के अकुशल श्रमिकों को इस योजना के तहत रोजगार मुहैय्या कराने का काम करेंगे। ये रोजगार सेवक ब्लॉक या नगरपालिका स्तर पर अनुबंध के आधार पर नियुक्त किये जाएंगे।

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गुरजीत सिंह बताते हैं, "हमने अपने ड्राफ्ट में असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को भी जोड़ने का प्रस्ताव दिया है। इस योजना के जरिये श्रमिकों को अपने शहर और वार्ड में काम मिल सकेगा। इसके लिए श्रमिकों के जॉब कार्ड भी बनाये जाएंगे।"

ड्राफ्ट के अनुसार झारखण्ड के शहरों से इस योजना में जॉब कार्ड के लिए आवेदन करने वाले अकुशल श्रमिकों की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए और उनका ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के तहत जॉब कार्ड नहीं होना चाहिए। साथ ही योजना के क्रियान्वयन के लिए एक विशेष सॉफ्टवेर भी तैयार किया जाएगा।


झारखंड सरकार इस योजना को राज्य में जल्द ही शुरू करने की तैयारी में है ताकि झारखण्ड के शहरी श्रमिक अपने परिवार का पालन पोषण करने के लिए दूसरे राज्यों की ओर रुख न करें। झारखंड में लॉकडाउन के दौरान अब तक 6.89 लाख प्रवासी मजदूर वापस लौट चुके हैं।

झारखण्ड के शहरी विकास और आवास सचिव विनय कुमार चौबे 'गाँव कनेक्शन' से बताते हैं, "झारखण्ड सरकार की इस योजना के जरिये शहरों में श्रमिकों को 100 दिन की रोजगार गारंटी और काम न मिलने पर बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। इस योजना के संचालन के लिए राज्य सरकार शहरी क्षेत्रों में उपलब्ध बजट का ही उपयोग करेगी, मगर नगर निकायों के लिए क्रिटिकल गैप फण्ड के रूप में अतिरिक्त धनराशि दी जा सकेगी। इसके लिए बजट में अलग से प्रावधान भी होगा।"

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उन्होंने बताया, "झारखंड के विभिन्न विभागों की शहरी योजनाओं के जरिये श्रमिकों को रोजगार देना सुनिश्चित किया जाएगा। यह योजना नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा राज्य के शहरी आजीविका मिशन के जरिये संचालित की जायेगी। नगर निकायों के नगर आयुक्त, कार्यपालक पदाधिकारी और विशेष पदाधिकारी इसके नोडल अधिकारी होंगे।"

इसके साथ झारखण्ड सरकार श्रमिकों के कार्यस्थल पर पीने की पानी, फर्स्ट एड बॉक्स समेत जरूरी सुविधाएँ मुहैय्या कराएगी। कार्यस्थल पर महिला श्रमिकों के होने पर उनके बच्चों को रखने के लिए भी व्यवस्था की जायेगी। इस साल 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस योजना को रांची से शुरू कर सकते हैं।

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