जलवायु संवाद: 'लखनऊ के लिए प्रदूषण और गोमती बनें चुनावी मुद्दा'

नागरिक संगठनों ने ग्रीन चार्टर जारी कर पर्यावरण संरक्षण को चुनावी मुद्दा बनाने की अपील की।

गाँव कनेक्शनगाँव कनेक्शन   15 April 2019 12:33 PM GMT

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जलवायु संवाद: लखनऊ के लिए प्रदूषण और गोमती बनें चुनावी मुद्दा

लखनऊ। मार्च में आई ग्रीनपीस और एयर विजुअल की संयुक्त रिपोर्ट में विश्व की 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 15 शहर भारत के हैं। इसमें उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ 9वें स्थान पर है। एक तरफ वायु प्रदूषण, वहीं दूसरी तरफ गोमती नदी की हालत दयनीय है। लेकिन लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के बीच यह मुख्य चुनावी मुद्दा नहीं बन सका है। इसी विषय पर सोमवार को लखनऊ के शीरोज़ कैफे में गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन और ग्रीनपीस इंडिया की तरफ से क्लाइमेट संवाद का आयोजन किया गया।

इस संवाद में शहर के कई गणमान्य लोगों, नागरिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं, शिक्षकों, छात्रों, सफाई कर्मचारियों और अन्य लोगों ने भारी संख्या में उपस्थिति दर्ज करवाई। कार्यक्रम में एक ग्रीन चार्टर जारी किया गया जिसमें स्वच्छ ऊर्जा, साफ हवा, सुरक्षित भोजन और प्लास्टिक मुक्त धरती बनाने की मांग की गई। लोगों ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जाहिर करते हुए मांग की कि आने वाली नई सरकार यह सुनिश्चित करे कि उसकी नीतियां, योजनाएं और कार्यक्रम पृथ्वी के साथ-साथ सभी भारतवासियों के जीवन, आजीविका और स्वास्थ्य की सुरक्षा को सुनिश्चित करें।


पर्यावरण संस्था गो ग्रीन सेव अर्थ फाउंडेशन के विमलेश निगम ने कहा, "ग्लोबल वार्मिंग आज पूरी दुनिया के लिये चुनौती बन चुका है। इसका सबसे ज्यादा प्रभाव लखनऊ जैसे शहरों पर पड़ रहा है, जहां की हवा से लेकर पानी तक प्रदूषित हो चुका है। इससे बचने के लिये सरकार को तत्काल पर्यावरण संरक्षण क़ानूनों को कठोरता से पालन करवाना चाहिए।"

वहीं ग्रीनपीस कार्यकर्ता अभिषेक चंचल ने कहा, "प्रदूषण की वजह से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 8.5% की गिरावट दर्ज की जा रही है जबकि रिपोर्ट बताती हैं कि वायु प्रदूषण की वजह से एक साल में 12 लाख लोगों की मौत हो जा रही है। यह हमारी लिए चिंता की बात होनी चाहिए।"

लखनऊ विश्वविद्यालय, जनसंचार विभाग के हेड ऑफ डिपार्टमेंट प्रोफेसर मुकुल श्रीवास्तव ने 'पर्यावरण और समुदाय' विषय पर बोलते हुए कहा, "भारत में जल-जंगल-जमीन और पर्यावरण बचाने के लिए ज़रूरी है कि ऐसे क़दम उठाए जाएं जो सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांतों को ध्यान में रखकर पर्यावरण संकट से प्रभावित समुदायों का सहयोग करें।"

आपको बता दें कि भारत के ज्यादातर राज्य जलवायु परिवर्तन की वजह से वायु प्रदूषण, जल संकट, सूखा, बाढ़, मौसम में बदलाव जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है। देश के बच्चे और युवा महसूस कर रहे हैं कि भारत को जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों के लिये विकसित देशों की तरफ ताकना बंद करना होगा. स्वच्छ हवा, पानी, मिट्टी को बचाने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है।

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के कुप्रभाव दिख रहे हैं। प्रदूषण और व्यापक जलवायु परिवर्तन की गंभीर चुनौतियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि यह चुनावी मुद्दा नहीं बन पा रहा है।

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