सामूहिक प्रयासों से ही हल होगी छुट्टा जानवरों की समस्या

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo

मोहम्मद फहद

गाँव कनेक्शन नेटवर्क टीम

बांदा। ''आवारा जानवरों की समस्या को रोकने के लिए सरकार तो लगातार प्रयास कर रही है लेकिन इन प्रयासों से यह समस्या हल होने वाली नहीं है जब तब सामूहिक प्रयास नहीं होंगे।'' ऐसा बताते हैं, बांदा जिले के सदर ब्लॉक के उप मुख्यपशुचिकित्सा अधिकारी डॉ राजीव धीर।

उत्तर प्रदेश में पहले आवारा पशुओं (अन्ना जानवर) की समस्या सिर्फ बुंदेलखंड में थी। लेकिन पिछले 3-4 वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर प्रतिबंध और गोरक्षकों के हमलों की ख़बरें एक के बाद एक सुर्खियां बनने के बाद छुट्टा जानवरों की संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो गई है। ये पशु सड़कों पर हादसों की वजह बन ही रहे हैं साथ ही ग्रामीण इलाकों में किसानों की हज़ारों एकड़ की फसल को बर्बाद करने में लगे है।


यह भी पढ़ें- कमाई का जरिया और पूजनीय गाय सिरदर्द कैसे बन गई ?


छुट्टा जानवरों की उपयोगिता को समझाते हुए डॉ धीर ने गाँव कनेक्शन को बताया,''देश में ऑर्गेनिक उत्पाद की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में किसानों को छुट्टा जानवरों की उपयोगिता को समझना होगा। गाय के गोमूत्र से इनकी पंचतत्व से तमाम दवाइयां ,गोनाइल ,वर्मी खाद आदि का उत्पादन करके किसान इन्हीं छुट्टा जानवरों से कमाई कर सकता है। बांदा जिले में यह प्रयास किया जा रहा है कि अन्ना पशुओं की उपयोगिता बढ़ाते हुए इनसे में खाद बनाई जाए।''

छुट्टा जानवरों की समस्या को हल करने के लिए योगी सरकार ने गौ कल्याण सेस भी लगाया है। इसके साथ ही ग्रामीण और नगरीय क्षेत्रों में गौ आश्रय स्थल बनाए जा रहे हैं। जहां पर कम से कम 1000 आवारा जानवरों की देखभाल होगी। राज्य सरकार ने इसके लिए 100 करोड़ रुपये जारी किए हैं।

यह भी पढ़ें-छुट्टा पशु समस्या: 'यूरिया की तरह गाय के गोबर खाद पर मिले सब्सिडी, गोमूत्र का हो कलेक्शन'

''जब गाय दूध देना बंद कर देती है किसान उसे छुट्टा छोड़ देते हैं। इसलिए हम लोगों का काम है किसानों को जागरूक करना ताकि वह वर्मी खाद का इस्तेमाल करें, जिससे अन्ना पशुओं की उपयोगिता बढ़ सके। पंजाब के कई गाँवों में बड़े-बड़े गोबर गैस के प्लांट लगाए गए हैं उन्हीं से पूरे गांव की बत्ती जलती है उन्हीं से गांव के चूल्हे जलते हैं तो क्या हम बुंदेलखंड में ऐसा नहीं कर सकते इसका भी प्रयास यहां पर किया जा रहा है।'' डॉ राजीव ने बताया।


कृषि मंत्रालय द्वारा जारी 19वीं पशुगणना के अनुसार पूरे बुंदेलखंड में 23 लाख 50 हजार गोवंश हैं, जिनमें से चार लाख से ज्यादा छुट्टा जानवर हैं। इन्हीं पशुओं की बदौलत बुंदेलखंड दुनिया में सबसे कम उत्पादकता वाले क्षेत्र में शामिल है। डॉ राजीव बताते हैं, ''ज्यादातर पशुपालक पशुओं के पोषण पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे वह कुपोषित हो रही है और उनमें बांझपन की समस्या बढ़ रही है। इसके लिए शिविर लगाकर लोगों को जागरुक भी किया जा रहा है।

बुदेंलखंड के किसानों की आय बढ़ाने और छुट्टा जानवरों की समस्या को हल करने के लिए सरकार ने कई योजना शुरू की है। इन के बारे में डॉ राजीव धीर बताते हैं, ''बुदेंलखंड में महिलाओं को केंद्र बिंदु बनाकर उनकी आजीविका को सुधारने के लिए शासन की तरफ बकरी पालन पर योजना शुरू की जाएगी। जिसमें 1680 इकाइयां स्थापित की जानी है। साथ ही इस योजना के तहत 50-50 ब्यालर के 3 बेच देंगे पहला बैच शासन की तरफ से दिया जाएगा।

यह भी पढ़ें- गाय समस्या नहीं समाधान है... बशर्ते


    

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.