मोदी सरकार में लगातार कम हो रही कीटनाशक की खपत

कृषि सांख्यिकी 2017 के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में 60.28 हजार टन कीटनाशक का इस्‍तेमाल हुआ था, जो कि साल दर साल कम होता रहा है।

Ranvijay SinghRanvijay Singh   1 Nov 2018 6:12 AM GMT

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मोदी सरकार में लगातार कम हो रही कीटनाशक की खपत

लखनऊ। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के द्वार जारी आंकड़ों के मुताबिक, 2014 से लेकर 2017 के बीच खेती में कीटनाशक की खपत लगातार कम हुई है। जानकार इसके पीछे किसानों के पर्यावरण को लेकर सजग होने और सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा देने की बात कहते हैं। वहीं, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत कीटनाशक की कम होती खपत पर खुशी जाहिर करते हुए कहते हैं, ''ये अच्‍छा है कि किसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहा है।''

कृषि सांख्यिकी 2017 के आंकड़ों के अनुसार, 2013-14 में 60.28 हजार टन कीटनाशक का इस्‍तेमाल हुआ था, जो कि साल दर साल कम होता रहा है। भारत में 2014-15 में 56.12 हजार टन, 2015-16 में 50.41 हजार टन और 2016-17 में 52.75 हजार टन (तेलंगाना और असम का डाटा नहीं) कीटनाशक का इस्‍तेमाल किया गया। ये आंकड़े 20 नवंबर 2017 तक के हैं।

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केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत।

कृषि सांख्यिकी 2017 के इस आंकड़े पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गांव कनेक्‍शन से बताया, ''हमने लगातार परंपरागत कृषि योजना के तहत जैविक खेती को प्रोत्‍साहित करने का काम किया है। जिस तेजी से जैविक खेती की ओर किसान बढ़ रहा है तो ये अच्‍छे संकेत हैं। अगर हमारे यहां कीटनाशक का इस्‍तेमाल कम हो रहा है तो ये अच्‍छा है। हमारा प्रयास हैं कि जैविक खेती को लेकर जो योजनाएं चल रही हैं उनको राज्‍यों में अच्‍छे से लागू कराया जाए।''

जहां एक ओर ये आंकड़े किसानों की जागरूकता को दर्शा रहे हैं, वहीं बहुतायत में ऐसे किसान भी हैं जिन्‍हें लगता है कि कीटनाशक के कम इस्‍तेमाल का असर सीधे फसल की उपज पर होगा. हालांकि कृषि सांख्यिकी 2017 के आंकड़े कुछ और ही बयान करते हैं। आंकडों के मुताबिक, प्रमुख फसलों (गेहूं, धान, गन्‍ना, कपास) की उपज पर कीटनाशक के कम इस्‍तेमाल का खास असर नहीं दिखता। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के आर्थ‍िक एवं सांख्‍यि‍की निदेशालय के आंकड़ों के अनुसार 2013-14 में गेहूं की पैदावार 95.85 मिलियन टन रही थी। जो कि 2014-15 में 86.53 मिलियन टन, 2015-16 में 92.29 मिलियन टन और 2016-17 में 98.38 मिलियन टन रही। इसी तरह 2013-14 में धान की पैदावार 106.65 टन रही, जो कि 2014-15 में 105.48 मिलियन टन, 2015-16 में 104.41 मिलियन टन और 2016-17 में 110.15 मिलियन टन रही।

प्रमुख फसलों की उपज का आंकड़ा।

पंजाब के ममदोट गांव के हरप्रीत सिंह धान के किसान हैं। कीटनाशक के कम होते इस्‍तेमाल पर वो कहते हैं, ''कीटनाशक के नुकसान को लेकर किसान सचेत हुआ है। हमारे यहां बहुत से किसान जैविक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। लेकिन अभी भी उपज को लेकर कई किसानों के मन में आशंका रहती है। किसान को अपनी उपज से ही आसरा है। ऐसे में कीटनाशक का प्रयोग पूरी तरह से बंद करना तो मुमकिन नहीं, लेकिन जितना हो सके इससे बचने के उपाय किए जा रहे हैं।''

वहीं, उत्‍तर प्रदेश के लखीमपुर खिरी के किसान करनजीत सिंह बताते हैं, ''किसान जागरूक हो रहा है। उसे पता है कि जो जहर वो फसलों में डाल रहा है उससे सबको नुकसान है। किसानों को जैविक खेती के तौर पर एक विकल्‍प भी मिला है। आज के वक्‍त में गौ मूत्र से बढ़ि‍या कीटनाशक कोई नहीं। ये घर में बन जाता है इस वजह से इसकी लागत भी शून्य है।'' करनजीत कहते हैं, ''किसान ये जान गए हैं कि जहर घूम कर हमारे पास ही वापस आएगा। इससे हमारे बच्‍चों को ही नुकसान होना है। इस वजह से भी किसान कैमिकल कीटनाशक का कम इस्‍तेमाल कर रहे हैं।''

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किसानों का जैविक खेती की ओर बढ़ रहा रुझान

बता दें, देश में जैविक खेती को लेकर भी किसानों के बीच रुझान देखने को मिला रहा है। जानकार पेस्‍टीसाइड के कम होते इस्‍तेमाल के लिए जैविक खेती के बढ़ते रकबे को भी एक वजह मानते हैं। मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में एक प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने कहा था, "परंपरागत कृषि विकास योजना (पीकेवीआई), पूर्वोत्तर क्षेत्र जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन, (एमओवीसीडीएनईआर) और राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) के तहत पूरे देश में करीब 23.2 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है।"

किसान स्वराज (आशा) की सदस्य कविथा कुरुगंति।

''पिछले 10 साल से तुलना करें तो किसान की खेती को लेकर जानकारी बढ़ी है। इस वजह से भी कीटनाशकों की खपत कम हो सकती है। साथ ही कीटनाशक के वॉल्‍युम में भी अंतर आ गया है। अब ऐसे मॉलिक्‍युल भी आ गए हैं जो मात्रा में कम होने के बावजूद भी असर उतना ही करते हैं। मतलब कम मात्रा में भी किसाना उसी हिसाब का कीटनाशक इस्‍तेमाल कर रहा है।''- किसान स्वराज (आशा) की सदस्य कविथा कुरुगंति कहती हैं।

भारतीय कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार पूर्वोत्तर राज्यों के क्षेत्रों में जैविक कृषि के तहत 50,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य है। अब तक 45863 हेक्टेयर क्षेत्र को जैविक योग्य क्षेत्र में परिवर्तित किया जा चुका है और 2406 फार्मर इंटरेस्ट ग्रुप (एफआईजी) का गठन कर लिया गया है, 2500 एफआईजी लक्ष्य के मुकाबले 44064 किसानों को योजना से जोड़ा जा चुका है।

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कीटनाशक उत्पादक देश

भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कीटनाशक उत्पादक देश है। विश्व भर में प्रति वर्ष लगभग 20 लाख टन कीटनाशक का उपयोग किया जाता है। टॉक्सिक लिंक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 108 टन सब्जियों को बचाने के लिए 6000 टन कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है। जबकि कुल कीटनाशकों में से करीब 60 फीसदी का उपयोग कपास में होता।

    

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