कांट्रैक्ट फार्मिंग के लिए बनेगा कानून, किसानों को मिलेगा अपनी उपज का सही दाम
Divendra Singh 16 March 2018 6:34 PM GMT
केन्द्र सरकार देश में मॉडल संविदा खेती (कांट्रैक्ट फार्मिंग) को लागू करने के लिए कानून बनाने की तैयारी में है। कृषि एवं किसान कल्याण राज्यमंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा में कांग्रेस की रेणुका चौधरी द्वारा इस बारे में पूछे गये सवाल के लिखित जवाब में बताया कि सरकार एक प्रगतिशील, सर्वांगीण, और सुविधाजनक मॉडल पर आधारित संविदा कृषि अधिनियम बना रही है।
खाद्य प्रसंस्करण को मिलेगा बढ़ावा
इस अधिनियम में फसल के बाद नुकसान को कम करने और प्रसंस्करण क्रियाकलापों में निवेश करने के लिये निजी क्षेत्र के प्रसंस्करणकर्ताओं को प्रोत्साहन देने का प्रावधान होगा। इसके अलावा इस अधिनियम में किसानों को उनकी फसल के लिये बेहतर दाम प्राप्ति सुनश्चिति करने के उद्देश्य से किसानों और प्रसंस्करणकर्ताओं के बीच समन्वय करने के प्रावधान भी किये गये हैं।
संविदा कृषि अधिनियम के प्रारूप मसौदे पर जनता और विभिन्न हितधारकों से सुझाव और आपत्तियां मांगी गयी है। शेखावत ने किसानों को कृषि उद्योगों से जोड़ने और उनके उत्पादों के बेहतर मूल्य सुनिश्चति करने के लिये उठाये गये कदमों की जानकारी देते हुये कहा कि सरकार प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना, समेकित बागवानी विकास मिशन और कृषि विपणन अवसंरचना योजनाओं के माध्यम से किसानों का कृषि उद्योगों के साथ समन्वय कर रही है।
इसके अलावा राज्यों द्वारा मॉडल संविदा कृषि अधिनियम का स्वीकार किया जाना, कृषि उद्योगों के साथ किसानों का समन्वय सुनश्चिति करेगा, जिससे उनकी उपज का बेहतर मूल्य प्राप्त हो सके।
इससे पहले केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा था कि कृषि में कई तरह की बुनियादी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, इनमें से एक हमारे जोत का आकार है। अधिकांश खेत छोटे और सीमांत प्रकृति के हैं और खेतों का औसत आकार केवल 1.1 हेक्टेयर है। भूमि विखंडित होती जा रही है। एक दुखद पहलू यह भी सामने आया है कि स्वतंत्रता प्राप्ति के 70 साल बाद भी हमारे किसान समुदाय में से 22.5 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे गुजर बसर कर रहे हैं।
उन्होंने आगे कहा, "ऐसी स्थिति में खेती को प्रोत्साहित करने के लिए हम मॉडल संविदा खेती (कंट्रैक्ट फार्मिंग) अधिनियम पर कार्य कर रहे हैं ताकि हम सुनिश्चित मार्केटिंग के साथ छोटे एवं सीमांत किसानों को जोड़ने में सक्षम हो सकें। इस बारे में सार्वजनिक राय आमंत्रित की जा रही है और इसी महीने मॉडल कानून का प्रारुप तैयार हो जायेगा, जिसे राज्यों के साथ साझा किया जायेगा।"
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